आधुनिक पद्धति से देसी मुर्गी पालन तथा प्रबंधन

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आधुनिक पद्धति से देसी मुर्गी पालन तथा प्रबंधन

देसी मुर्गी ,आदिवासी बाहुल्य, वन जंगलों से घिरे राज्यो जैसे कि झारखंड, छत्तीसगढ़ ,ओडिशा में गरीबों का एटीएम है। प्राय सभी के घरों में देसी मुर्गी पाया जाता है यह इनके संस्कृतिक ,आम जीवन का अभिन्न अंग हो गया है। वे इज़ देसी मुर्गे को मनोरंजन के लिए लड़ाते हैं, इसको खाते हैं तथा पैसा अर्जन करने के लिए बाजार में इसको बेच कर अच्छा पैसा अर्जित करते हैं। यदि इनके आर्थिक स्तर को ऊंचा उठाना है तो पशुपालन आधारित देसी मुर्गी पालन का उद्मम इनके लिए सबसे उत्तम जरिया है। यदि इस देसी मुर्गी को वैज्ञानिक तरीके यानी कि आधुनिक तकनीकी के समावेश से किया जाए तो इनके लाभ में कई गुना इजाफा हो सकता है।
मुर्गियों के जगह की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है की फार्म कीतने मुर्गीयों के साथ खोला जा रहा है| 1 लेयर मुर्गी के लिए 2 वर्गफुट की जगह पर्याप्त है, पर हमें थोड़ी ज्यादा जगह लेनी चाहिए जिससे मुर्गियों को कोई तकलीफ या चोट न लगे और उन्हें अच्छी जगह मिले जिससे वो जल्द बड़े हो सकें| इसलिए 1 मुर्गी के लिए 2.5 वर्गफुट जगह अच्छी रहेगी| यदि हम 1000 मुर्गी पालन करते है तो हमें 2500 वर्गफुट का शेड बनाना है या 2000 मुर्गियों 4500 वर्गफुट इस तरह से हम जगह का चुनाव कर सकते हैं।

फार्म के लिए जगह का चयन :

• जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके।
• मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।
• बिजली और पानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।
• चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
• ब्रायलर मुर्गी बेचने के लिए बाज़ार भी हो।

फार्म के लिए शेड का निर्माण:

• शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।
• शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।
• शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
• शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
• शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिज जाये।
• शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
• शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।
• एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बना कर भी बाँट सकते हैं.

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मुर्गियो के लिए संतुलित आहार:

मुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है… मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है लेकिन देशी मुर्गी को बेवसायीक हेतु पालने मे खर्च कम आता है क्योकि ईसको आहार मे केवल जरूरी पूरक आहार देते है। अतः इस पहलु पर भी विशेष ध्यान देना चाहि।

स्टार्टर राशन :

यह एक से लेकर 8 सप्ताह तक दिया जाता है
इसमें प्रोटीन की मात्रा 22-24 प्रतिशत, ऊर्जा 2700-2800 ME (Kcal/kg )
और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये
राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है –
मक्का = 50 किलो
सोयाबीन मील = 16 किलो
खली = 13 किलो
मछली चुरा =10 किलो
राइस पोलिस = 8 किलो
खनिज मिश्रण = 2 किलों
नमक = 1 किलो

ग्रोवर (वर्धक) राशन :
यह 8 से लेकर 20 सप्ताह तक दिया जाता है
इसमें प्रोटीन की मात्रा 18 -20 प्रतिशत, ऊर्जा 2600 – 2700 ME (Kcal/kg )
और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये
राशन बनाने हेतु निमनलिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है –
मक्का = 45 किलो
सोयाबीन मील = 15 किलो
खली = 12 किलो
मछली चुरा =7 किलो
राइस पोलिस = 18 किलो
खनिज मिश्रण = 2 किलों
नमक = 1 किलो
फिनिशर राशन :
यह 20 से लेकर आगे के सप्ताह तक दिया जाता है
इसमें प्रोटीन के मात्रा 16 -18 प्रतिशत, ऊर्जा 2400 – 2600 ME (Kcal/kg )
और कैल्सियम 3 प्रतिशत होनी चाहिये
राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है –

मक्का = 48 किलो
सोयाबीन मील = 15 किलो
खली = 14 किलो
मछली चुरा =8 किलो
राइस पोलिस = 11 किलो
खनिज मिश्रण = 3 किलों
नमक = 1 किलो

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पीने का पानी:

मुर्गी 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –
पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा
मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन : मुर्गी पालन के व्यापार में चूजों की देखभाल करना सबसे जरूरी होता है। यह इसलिए जरूरी होता है क्योंकि चूजों के बेहतर विकास पर ही मुर्गी पालन का पूरा व्यापार निर्भर करता है। चूजों बहुत नाजुक होते हैं इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत मुश्किल होता है हर चीज पर सही से ध्यान देना पड़ता है। अंडे से निकलने के बाद चीजों को सीधे मुर्गी पालन करने वाले व्यापारियों के पास ऑर्डर के अनुसार डिलीवरी दिया जाता है। मुर्गी फार्म तक चूजे पहुंचने से पहले और बाद में कुछ महत्वपूर्ण चीजों का है ध्यान देना चाहिए जिन के विषय में आज हमने भी आर्टिकल में बताया है।
दाने और पानी के बर्तनों की जानकारी:

• प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।
• दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।

बुरादा या लिटर:

• बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।
• चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।
ब्रूडिंग:
• चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सहीतरीके से नहीं हो पायेगा।
• जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
• ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है – बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।
बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग:

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इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।

गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंग :

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है।
अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग:

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है।

 

संकलन -डॉ राजेश कुमार सिंह, पशु चिकित्सक ,जमशेदपुर, झारखंड ,94313 09542

 

NB-अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नो 18004198800 पर संपर्क करे.

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