आफरा
(Ruminal tympany/bloat)
जैसाकि आपको पता है गाय , भैस , भेड़ व बकरी आदि रूमन्थि पशु है अर्थात , ये जुगाली करते है तथा आमाशय के रुमन मे सूक्ष्मजीवी द्वारा सडाने से (fermentation) से भोजन पचता रहता है एवं इस क्रिया मे गैसे बनती है जब इन गैसो के ज्यादा बनने से बॉयी तरफ की फ्लेक ऊपर उठ जाती(फूल जाती ) है !
रोगकारक (etiology):
रोग के उत्पन्न होने के कारण के अनुसार इसे निम्न दो प्रकारो मे बाँटा जा सकता है !
(A). प्राथमिक आफरा (primary ruminal tympany/froathy bloat/ झागदार आफरा )
* अधिक मात्रा मे हरा चारा खिलाना – जैसे- रिंजका , बरसीम , मटर !
* अधिक मात्रा मे दाना देना !
* अधिक मात्रा मे गोभी , आलू , मूली व शकरकन्दी के पत्ते इत्यादि खाने से !
* Diaphragmatic hernia (D.H.) के रोगियो मे भी इस तरह का आफरा आ सकता है !
B. द्वितीयक आफरा
* आहार नाल मे किसी वस्तु का फँस जाना (choke)
* आहार नाल मे गाँठ का होना !
* अखाध पदार्थ जैसे- प्लास्टिक की थैली आदि खाने से !
* आहार नाल का सुकड़ जाना (stenosis ).
* पेट मे अत्यधिक परजीवियो का होना !
* मिल्क फीवर रोग मे !
लक्षण (symptoms):
1.बहुत घातक स्थिती मे रोगी प्राणी की अचानक मृत्यु हो जाती है !
2. रोगी प्राणी का पेट फूला हुआ दिखाई देता है जो बांए पेरालम्बर फोसा मे स्पष्ट दिखाई देता है !
3. पशु बैचेनी महसूस करता है , बार-बार बैठता व उठता है, थोड़ा-थोड़ा पैशाब व गोबर करता है !
4. रोगी प्राणी बार-बार पेट की ओर देखता है , लात मारता है एवं जमीन पर लोटता है !
5. मुँह खोल कर अथवा जीभ बाहर निकालकर श्वाँस लेता है !
6. बांए पेरालम्बर फोसा पर अंगुलियो से मारा जाता है तो ड्रम के बजने जैसी आवाज आती है !
7. कुछ रोगी प्राणीयो मे बहुत गम्भीर स्थिती मे बिना संघर्ष के अचानक मृत्यु हो जाती है !
उपचार (treatment):
* रोगी प्राणी का खान-पान कुछ समय के लिए बन्द कर देना चाहिए !
* रोगी प्राणी को ऐसी स्थिती मे खड़ा करे कि उसका मुँह वाला हिस्सा ऊँचाई पर हो ताकि डाँयफ्राम(diaphragm) पर दबाव नही पड़ें !
* 15-20ml.तारपीन का तेल , 10gm.हींग , 20gm अजवायन , 200-300ml.सरसो का तेल भी वयस्क गौवंश , भैस (भेड़ व बकरी को कम मात्रा दे ) मे दिया जा सकता है
* गम्भीर स्थिती मे रोगी प्राणी के बांए पेरालम्बर फोसा के मध्य मे ट्रोकार व कैनूला डालकर रूमन से गैस निकालनी चाहिए !
* मुँह से भी पिला सकते है जैसे- Bloat , bloatosil, blotocare, (ऐह सभी बाजार मे मिल जायेगे 100ml.) !
* इसके अलावा रोगी प्राणी की स्थिती के अनुसार उसे सहारात्मक उपचार व लक्षणात्मक उपचार भी उपलब्ध कराना चाहिए !
* आफरा ठीक होने के पश्चात रोगी प्राणी को मुलायम , आसानी से पचने वाला आहार देना चाहिए , उपयुक्त व्यायाम करवाना चाहिए , तथा ही rumenotoric drugs (rumentas) देनी चाहिए |