खरगोश पालन से आमदनी में बढ़ोत्री
प्रति इकाई 8-10 लाख रुपए की आमदनी
खरगोश पालन के लाभ:
- छोटे आकार के जानवर होने के कारण बहुत कम जगह की आवश्यकता होती है। खरगोश की एक छोटी इकाई आसानी से घर में पाली जा सकती है।
- कम समय में उच्च उत्पादन क्षमता: खरगोश एक अत्यधिक विपुल प्रजनन वाला जानवर है। उनकी गर्भ अवधि केवल 30 दिनों की होती है। एक वर्ष में 4 से 5 बार खरगोश उत्पादन किया जा सकता है। एक वयस्क खरगोश एक वर्ष में 20-25 युवा पैदा कर सकता है। कम उम्र में खरगोश परिपक्व हो जाते हैं और 6-7 महीनों तक उत्पादन के लिए तैयार हो जाते हैं।
- खरगोश की एक छोटी इकाई (7 मादा और 3 नर खरगोश) को रसोई के कचरे, चारे की पत्तियों, खाने योग्य खरपतवारों, घास, पेड़ों के पत्तों, सब्जियों के कचरे आदि के साथ सफलतापूर्वक पाला जा सकता है।
- तेज विकास दर: खरगोश 10-12 सप्ताह के भीतर 1.5-1.8 किलोग्राम वजन प्राप्त करता है।
आवास प्रबंधन : खरगोश को तीन अलग-अलग आवास प्रणालियों में पाला जा सकता है:-
- पिंजरा पद्धति (केज सिस्टम)
- यह प्रणाली आमतौर पर अर्ध-वाणिज्यिक और वाणिज्यिक खरगोश उत्पादन में प्रयोग होती है जहां खरगोशों को पिंजरे में पाला जाता है।
- शेड का आकार जानवरों की संख्या पर निर्भर करता है।
- पिंजरों को एकल या स्तरीय प्रणाली में पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाता है।
- पिंजरे का सामान्य आकार 2.5 फीट&2 फीट&2.5 फ़ीट का होता है ।
- किंडलिंग (बच्चे देने की प्रक्रिया ) के लिए पिंजरा थोड़ा बड़ा होना चाहिए (4 फीट&3 फीट )।
- पिंजरों में जल, गोबर, मूत्र आदि की निकासी के लिए इंतजाम हो ।
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- स्व-निहित पिंजरा (हच सिस्टम)
- यह स्व-निहित पिंजरा है, जिसे आवश्यकता पडऩे पर दूसरे को एक स्थान से स्थानांतरित किया जा सकता है।
- हच को लकड़ी, बांस या लोहे की फ्रेम की मदद से बनाया जा सकता है ।
- छत घास की, जी. आई. शीट की हो सकती है।
- प्रत्येक डिब्बे का आकार 3.5 फीट & 3 फीट &3.5 फीट हो सकता है।
- हच में 2-8 डिब्बे हो सकते हैं।
- यह प्रणाली खरगोशों के घर आंगन पालन के लिए उपयुक्त है।
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- फर्श पद्धति (फ्लोर सिस्टम)
- इस प्रणाली में खरगोशों को फर्श पर मुर्गे की तरह रखा जाता है, लेकिन फर्श सीमेंट कांक्रीट का हो।
- विभिन्न प्रकार के खरगोशों को रखने के लिए घर का विभाजन किया जा सकता है, जैसे उत्पादक, फ्रायर, वयस्क नर और मादा आदि।
- प्रति खरगोश लगभग 4 वर्ग फीट की जगह की आवश्यकता है।
- हालांकि, उच्च नमी और बारिश क्षेत्र में इस प्रणाली की सलाह नहीं दी जाती है।
प्रजनन प्रणाली और प्रबंधन :
प्रजनन
- खरगोश 6-7 महीने की उम्र में परिपक्वता प्राप्त करते हैं।
- खरगोश में गर्भावस्था की अवधि 30-31 दिन है।
- नवजात शिशुओं के लिए घोंसला तैयार करने में मादा खरगोश को गर्भावस्था के 25वें दिन पर सूखी साफ बिस्तर सामग्री जैसे घास/धान उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
- एक मादा खरगोश 6-12 की संख्या में बच्चों को जन्म देती है।
- प्रति वर्ष, उचित योजना के माध्यम से 4-5 बार बच्चे प्राप्त किये जा सकते हैं।
- एक खरगोश को 3-4 साल तक पाला जा सकता है।
- नर और मादा अनुपात 1:10 है।
नवजात शिशु की देखभाल
- नवजात खरगोश अपने शरीर पर किसी भी बाल से रहित होते हैं और 9-10 दिनों तक देख नहीं सकते हैं। चौथे दिन से बाल विकसित करना शुरू कर देते हैं।
- लगभग 20 दिनों के युवा खरगोश फीड को निबटना शुरू करते हैं।
मां से अलग करने का उचित समय :
- उनकी वृद्धि और फीड लेने की क्षमता के आधार पर, युवा खरगोश अपनी मां से 30 से 42 दिनों के बीच अलग हो सकते हैं (जिसे कहा जाता है ‘वीनिंगÓ)।
- सभी युवाओं को हमेशा साथ रखने की सलाह दी जाती है।
- वीनिंग के कुछ दिन बाद और फिर धीरे-धीरे उन्हें व्यक्तिगत पिंजरे में अलग कर दें।
- 45 दिनों में तैयार युवा खरगोश का बैच लगभग 2 लाख रुपए में बिकता है। ये अगली नस्ल तैयार करने, मीट, और ऊन व्यापार में उपयोग आते हैं।
खरगोश के लिए चारा व्यवस्था
- घर आंगन में एक मादा खरगोश वर्ष भर में 4-5 बार प्रजनन करती है तो साल भर में 8-10 लाख रुपए के खरगोश की बिक्री हो जाती है। जबकि पूरी इकाई की लागत 2 से 3 लाख रु. होती है। पाले गए खरगोशों को उपलब्ध रसोई से बचा हुआ खाना, सब्जियों और घास के साथ प्रबंधित किया जा सकता है।
- लेकिन अर्ध-वाणिज्यिक और वाणिज्यिक खेतों के लिए जहां एक बड़ी जानवरों की संख्या रखी गई है, संतुलित फीड आवश्यक है। हालांकि उन्हें गुणवत्ता वाला चारा, फसलें, हरी फलियां, देकर 40-50 प्रतिशत फीड कम किया जा सकता है।
- पानी को दिन-रात दिया जा सकता है।
विभिन्न आयु वर्ग द्वारा दैनिक फीड की आवश्यकता
- वीनर (45-70 दिन) – 50 ग्राम/दिन
- उत्पादक (71-90 दिन)-75 ग्राम/दिन
- उत्पादक (91-120 दिन) 100 ग्राम/दिन
- वयस्क (>121 दिन)-120 ग्राम/दिन
अनुदान: केन्द्र सरकार की खरगोश पालन की एकीकृत विकास स्कीम के तहत मार्केट के लिए खरगोश पालन पर नाबार्ड एवं व्यवसायिक बैंकों द्वारा लोन दिया जाता है। सामान्य वर्ग के लिए 2.25 लाख रु. की लागत पर खर्च का 25 प्रतिशत अधिकतम 56,000 रु. सब्सिडी है। वहीं अजा/अजजा के लिए 33.33 प्रतिशत सब्सिडी अधिकतम रू. 75,000/- है। अधिक जानकारी के लिए जिले के पशु चिकित्सा अधिकारी से या बैंक में जाकर संपर्क करें।
- डॉ. अनुराग शर्मा (एम.वी.एससी.)
कसौली, (हिमाचल प्रदेश), मो. : 9459718471