दुध उत्पादन बढाने मे लार का महत्वपुर्ण योगदान

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दुध उत्पादन बढाने मे लार का महत्वपुर्ण योगदान

लार क्या है ?

जैसी की हम सब जानते है की गाय, भैंस जुगाली करनेवाले पशुओ के समूह से आते है। इसका मुख्य कारण है उनकी पाचन संस्था की विशेष बनावट। गाय के पेट में ४ भाग होते है, पहला रूमेण दुसरा रेटिकुलम, तीसरा ओमेजम और चौथा अबोमेजम । अबोमेजम ही सच्चा पेट होता है, जैसे मनुष्य का होता है। रुमेन सबसे बड़ा होता है, इसमे १५०-२०० लिटर्स तक पाचन योग्य आहार एवं पानी के भंडारण की क्षमता होती है। मनुष्यो में पाचन क्रिया एंजाइम की सहायता सी होती है परंतु जुगाली करनेवाले प्राणियों मे पाचन क्रिया खमीरीकरण तथा जैविक क्रिया द्वारा आहार के विघटन से होती है।
रुमेन के अंदर करीब २०० प्रकार के जीवाणु एवं २० प्रकार के प्रजीव करोडो की संख्या मे होते है, ये सबके साथ मिलकर पशु आहार एवं चारे पर हमला करते है और कार्बोदिक पदार्थ जैसे की शुगर और सेलुलोज का खमीरीकरण करते है। इस कारण वाष्पशील फेटी एसिड का उत्पादन होता है।
औसतन एक गाय ५००-१५०० लीटर गॅस उत्पादन करती है और इसमें २०-४० % मीथेन होती है। रुमेन मे गॅस का बनना इस बात पर निर्भर रहता है की हम गाय को किस तरह का आहार दे रहे है। अल्प ऊर्जावाला और अल्प गुणवत्ता वाला घास चारा देने मे से अधिक गॅस बनती है जो अधिकतर मीथेन होती है। प्रोटीनयुक्त आहार का विघटन मुख्यतः रुमेन मे ही होती है, जबकी चर्बीयुक्त पदार्थ एबोमेजम मे चला जाता है। यहा एंजाइम की मदत से पाचनक्रिया संपन्न होती है, फिर भी अधिकतर पाचनक्रिया रुमेन एवं रेटिकुलम मे ही होती है।

लार क्यों महत्वपुर्ण है?

अगर हम गाय के खाने या चरने के व्यवहार का सुक्ष्म निरीक्षण है तो यह मालुम पडता है की गाय बिना चुनते या पसंद करके लगातार चारा खाते रहती है। चबाते चबाते इसमे लार घुल जाती है और चारे का एक निवाला बनके निगल लिया जाता है।
गाय जब चारा नहीं खा रही होती है तब पहले का खाया हुआ आहार अच्छी तरह से चबाने हेतु, रुमेन मे से दोबारा गाय के मुंह मे आ जाता है। इस चबाने की क्रिया को जुगाली करना है कहते है। आहार को इस तरह से पीसने की क्रिया से रुमेन के अंदर की उपरी सतह या परत का क्षेत्र बढ जाता है। जो रुमेन मे आहार की विघटन मे मदत करता है।
जुगाली क्रिया से आहार मे लार मिलती / घुलती है, रुमेन को कार्यक्षम रहने हेतु एक दिन मे करीब १५० लीटर लार का निर्माण अति आवश्यक है। गायो को प्रमुखता से जब बना बनाया पशुआहार या दानायुक्त आहार देते है, तब लार का उत्पादन बहुत काम याने ५० लीटर प्रति दिन हो जाता है और आहार मे अगर चारा या सायलेज मिला हो तो लार का उत्पादन १००-१५० लीटर प्रति दिन तक हो जाता है।
लार मुख्य्तः २ काम करती है, सबसे महत्वपुर्ण कार्य है की ये २ प्रकार के आहार के पाचनक्रिया मे होने वाले टकराव या संघर्ष मे बिच बचाव का का करती है। लार मे सोडियम बायकार्बोनेट की मात्रा अधिक होने की वजह से लार का गुणधर्म क्षारीय होता है इसी गुण के कारण रुमेन के pH में निर्माण होनेवाली गॅस एवं अम्लीय पदार्थो के कारण रुमेन के उतार चढाव को रोकने मे लार की अहम भुमिका होती है।
कुछ पशुआहार जैसे की अनाज (मक्का, जुवार, जौ), आलू, चुकंदर, कसावा, गुड़, गन्ना जैसी चीजें पाचन के समय रूमेन में बहुत अधिक मात्रा मे अम्ल बनाता हैं। अब अगर इस परीस्थिति मे लार नही होगी तो रुमेन के pH में बदलाव आ सकता है और जैविक पाचन लरिया मे बाधा डाल सकता है। रुमेन मे खमीरीकरण क्रिया से गॅस उत्पादन होता है तथा झाग बनता है। झाग को बनने से रोकने का काम भी लार करती है।
रुमेन को देखने से यह पता चलता है की उसके अंदर की उपरी चादरनुमा परत या सतह, अनपच पदार्थो की होती है । रुमेन की नियमित हलचल से यह अनपचा पदार्थ पीछे की तरफ धकेला जाता है। जुगाली की क्रिया के कारण आहार के छोटे छोटे कण जालीदार सतह मे फंस हुवे कणो को चिपक जाते है। जुगाली करने की हर प्रक्रिया मे रुमेन की उपरी परत के पदार्थ का भाग दोबारा चबा चबा के खाया जाता है, इस दौरान आहार के साथ लार के मिलने / घुलने से पदार्थ का आयतन / आकर बडा हो जाता है। अब गाय इस निवाले को निगलकर धक्का देते हुवे रुमेन के पिछले भाग मे पहुंचा देती है। यहा आहार का जीवाणुओसे मिलन होता है, जो आहार को विघटन करते है। रुमेन की हलचल क्रिया के चलते तरल एवं ठोस पदार्थ एक साथ मिलकर खमीरीकरण की क्रिया को बढावा देते है। इस प्रक्रिया मे गॅस निकलती है, रुमेन की चरनुमा परत मे फंसी गॅस को मुक्त कराने का काम भी लार ही करती है। बाद मे डकार दे कर यह पुरी गॅस बाहर फेक दी जाती है। डकार देने की क्रिया मे कुछ गडबड या अवरोध होबे से पशु के पेट फुलने की बीमारी बीमारी होने का खतरा होता है।
पशुआहार के सुक्ष्म कण जब सही आकार के होते है तब वे रुमेन की हलचल से रेटिकुलम के रास्ते ओमेजम मे पहुंच जाते है, इस संपुर्ण क्रिया मे लार की भुमिका बहुत महत्वपुर्ण है। गाय के रुमेन मे पाचनक्रिया खमीरीकरण द्वारा ही संपन्न होती है, इसीलिये रुमेन का अंदरूनी वातावरण योग्य होना बहुत जरुरी है। रुमेन की कार्यक्षमता बनी रहने के लिये सही pH बने रहना जरुरी है। अधिक अनाजवाला पशुआहार देने से रुमेन का PH अम्लीय हो सकता है या आहार में घासाचारा अधिक मात्रा मे होगा तो pH क्षारीय हो सकता है। इसीलिये चबाये हुवे चारे के साथ योग्य मात्रा ने लार का घुलना बहुत महत्व रखता है। गौ पालको ने यह बात ध्यान मे रखना चाहिये की गाय को संतुलित आहार दे। साथ साथ गौशाला मे गायो को बैठने या लेटने के लिये भी पर्याप्त जगह होना चाहिये इस कारण से योग्य गाय को जुगाली करने मे समय मिलेगा और जुगाली करने से भरपूर लार भी उत्पन्न होगी। यह भी देखने मे आया है की हर गाय अधिक समय तक जुगाली करती है और pH आदर्श ६ से ६.५ होता है। क्योकि इस सीमा मे जीवाणु स्वस्थ एवं कार्यशील रहते है। pH बार बार बदलने से कुछ जीवाणु नष्ट हो जाते है और पाचनक्रिया गडबडा सकती है। उदाहरन. अगर pH ६.० से निचे चला जाता है तो सैल्यूलोज पचानेवाले जीवाणु की वृद्धि नही होती है और सैल्यूलोज पाचन मे बाधा आती है।
रुमेन स्वस्थ एवं क्रियाशील रहने के लिये गौपालक ने क्या करना चाहिये?
दिवस का प्रथम आहार लंबी पत्तेदार बिना कटी हुवी सुखी घांस का देना चाहिये ऐसा करने से गाय को चबाने की क्रिया अधिक करनी पडेगी और अधिक मात्रा मे लार का उत्पादन होगा। आहार मे बनेबनाये दानेदार आहार की तुलना मे अच्छी गुणवत्ता का मुरघास या सुखे चारे की मात्रा अधिक होना चाहिये।
आहार का ऐसा आयोजन करे की गाय बार बार आहार खाये (संपुर्ण दिवस मे छोटे छोटे हिस्से मे १०-१२ बार)
हर समय भरपुर मात्रा मे पेयजल उपलब्ध हो क्योकि गाय हर २-३ घंटे की अवधि मे पानी पीती है।
गाय को बांध कर के मत रखो, बंधे रहने से गाय बैठने या लेटने मे सहजता नही महसुस करती गाय जब बैठी या लेटी होती है तो सर्वाधिक लार का स्त्राव होता है।
गाय को अधिक मात्रा मे बनाबनाया आहार खिलाना है तो उसे सिर्फ २ बार न दे, बल्कि थोडी थोडी मात्रा मे करके दिन मे अधिक बार दे। चित्र मे बताये ग्राफ मे यह दिखाया है की गाय की गाय को दें मे सिर्फ २ बार आहार देने से pH मे कैसे उतार चढाव होता है। दुसरा ग्राफ यह दर्शाता है की गाय को जब पुरे दिन भर मिश्र आहार उपलब्ध कराते है तो गाय अपनी मर्जी से जब चाहे तब आहार खा सकती है।
अगर गाय खा नही रही है और बैठे या लेटे हुवे जुगाली कर रही होगी तो जुगाली करते करते उसके मुंह से बहुत ज्यादा झाग निकलता है।

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