दूध का पाश्चराइजेशन।

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दूध का पाश्चराइजेशन।

Savin Bhongra
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आजकल पैकेट वाले दूध का चलन ज्यादा हो गया है. शहर में तो अधिकतर लोग इसी दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं. पैकेट दूध को पाश्चराइज्ड मिल्क भी कहते है. अधिकतर लोग दूध का सेवन करते है परन्तु टाइम और जगह के अभाव के कारण ग्वालों के पास से दूध को लाना संभव नहीं हो पाता है इसलिए भी हम लोग आस पास की डेरी से पैकेट मिल्क ले लेते है. परन्तु क्या आप जानते हैं कि पाश्चराइज्ड मिल्क क्या होता है, इस प्रक्रिया को कैसे किया जाता है, इसके क्या फायदे और नुकसान है, होमोजिनाइज्ड (homogenised) दूध क्या होता है

पाश्चराइजेशन (Pasteurisation) दूध क्या है?

इस तकनीक में दूध को अधिक तापमान में गर्म करने के बाद तेजी से उसको ठंड़ा करके पैक किया जाता है. यह प्रक्रिया दूध को लंबे समय तक सही रखती है. साथ ही यह तकनीक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बैक्टीरिया को भी खत्म करती है. इसे ऐसे कहा जा सकता है कि इस विधि में तरल पदार्थों को गरम करके उसके अन्दर के सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, कवक, विषाणु आदि को नष्ट किया जाता है.

इस विधि में विसंक्रमित पदार्थ को मामूली तापमान पर एक निशिचत समय तक गर्म किया जाता है जिससे हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और इस पदार्थ के रसायनिक संगठन में कोई परिवर्तन भी नहीं होता है.

पाश्चराइजेशन (Pasteurisation) कितने तरीकों से किया जाता है?

1. होल्डर विधि (Holder Method)

2. High Temperature and Short Time Method

3. Ultra High Temperature Method

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1. होल्डर विधि (Holder Method)

इस विधि में दूध को 144.5°F तापमान पर आधे घंटे के लिए गर्म किया जाता है और फिर तुरंत 50C पर ठंडा कर लिया जाता है. यह छोटे पैमाने पर pathogens को नष्ट करने का तरीका है.

2. High Temperature and Short Time Method

इस विधि में दूध को 161°F तापमान पर 15 सेकंड के लिए गर्म किया जाता है और फिर 40C पर तुरंत ठंडा कर लिया जाता है. हम आपको बता दें कि अधिकतर इस विधि का इस्तेमाल दूध को पाश्चराइज करने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया से दूध दो से तीन हफ्ते तक सही या फ्रेश रहता है.

3.Ultra High Temperature Method

इस विधि में दूध को 275 °F पर 1 से 2 सेकंड्स के लिए गरम किया जाता है जिससे इसकी लाइफ नौ महीने तक बढ़ जाती है.

आइये अब बात करते हैं कि Homogenization क्या होता है?

ये पाश्चराइजेशन विधि के बाद होता है. इसका मुख्य उद्देश्य दूध के अंदर के फैट के अणुओं को तोड़ना ताकी ये दूध से अलग होकर पैकेट में ऊपर ना आजाए या फिर दूध में ही रहें.

देखा जाए तो यह एक मैकेनिकल प्रक्रिया है जिसमें कोई अलग से केमिकल या additive मिलाया नहीं जाता है और इससे दही, क्रीम यानी डेरी वाले प्रोडक्ट अच्छे से बनते हैं.

पाश्चराइजेशन दूध के फायदे और नुक्सान

पाश्चराइजेशन, दूध में बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. कच्चे दूध की तुलना में यह दूध की शेल्फ लाइफ को बड़ा देता है.

पाश्चराइज्ड और पाउडर दूध में कच्चे दूध की तुलना में पोषक तत्व कम होते हैं.

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पाश्चराइजेशन तकनीक दूध में सभी सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देती है, जैसे कि लैक्टिक एसिड बैसिलि, जो कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं.

पेस्टाइजेशन दूध में एमिनो एसिड को बदल देता है; फैटी एसिड को बढ़ा देता है; विटामिन ए, डी, सी और बी 12 को नष्ट कर देता है, खनिज कैल्शियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सोडियम और सल्फर, साथ ही कई ट्रेसेसमें खनिजों को भी कम कर देता है.

कुछ synthetic विटामिन को भी पाश्चराइज्ड दूध में मिलाया जाता है क्योंकि दूध के प्राकृतिक एंजाइमों के बिना, उसे पचाना मुश्किल होता है.

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