नवजात बछड़े का पोषण एवम् प्रबंधन
राम देव यादव1*, ऋषभ चुघ1, राशिका श्रीवास्तव1,अनूप कुमार सिंह2
1पी एच डी शोधविद्वान (पशु पोषण विभाग)
2पी एच डी शोधविद्वान(पशुधन उत्पादन प्रबंधन)
*Corresponding author –vetrd2015@gmail.com
राष्ट्रीय डेरी अनुसन्धान संस्थान, करनाल-132001
पशुओंको उनकी शारीरिक आवश्यकता के हिसाब से चारा देना अति महत्वपूर्ण होता हैं। इन जरूरतों को ध्यान मे रखते हुए पशुओं के लिए संतुलित आहार का निर्माण किया गया, वैज्ञानिकदृष्टिकोणसे बनाया गया संतुलित आहार मे सभी आवश्यक आवश्यक तत्त्व (प्रोटीन, ऊर्जा, खनिज, विटामिन इत्यादि) पर्याप्त मात्रा और अनुपात में उपलब्ध होते हैं। संतुलित आहार बनाते समय ये ध्यान मे रखा जाता है की उसमे सभी आवश्यक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होने चाहिए। दुधारू पशुओं कोसंतुलित आहार उचित समय एवमं उचित मात्रा मेंदेने से उनकी दुग्ध उत्पादन छमता मेंवृधि होती है और पशु शारीरिक रूप से स्वस्थ भी रहते है साथ ही पुनः गर्भ धारण में कोई समस्या भी नही आती है।
नवजात बछड़े कीमृत्यु के कारण :
बछड़े पशुधन उधोग का भविष्य हैंअच्छी गुणवत्ता की अनुवांशिकता( जर्मप्लास्म) को बनाये रखने के लिए बछड़े की देखभाल आवश्यक हैSA जन्म के तुरंत बाद आधे घंटे के अंदर बछड़े को खींस (Colostrum) देना अति अवश्यक होता है क्योंकि बछड़े की आंतों के छिद्र जन्म के 24 घंटे के अंदर बंद हो जाते है जिससे बछड़ेको माँ के द्वारा मिलने वाली रोग प्रतिरोधक छमता में कमी आ जाती है नवजात बछड़े की मृत्यु के निम्नलिखित कारण हो सकते है,
जीवाणु या वायरस संक्रमण |
पशुचिकित्सा का आभाव |
खींसकी अनुचित मात्र देना |
नवजात बछड़े की मृत्यु |
अस्वस्छता |
अतिशय भीड़ |
अल्पतपावस्था(hypo-thermia) |
नवजातपशुओंका आहार एवम् प्रबंधन:
- पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए तथा उनसे बेहतर दुग्ध उत्पादन के लिए उनके जन्म से ही उनके आहार प्रबंधन की तरफ विशेष ध्यान देना आवश्यक है ।
- नवजातबछड़े को जन्म के आधे घंटे से 4 घंटे के अन्दर खीस जरुर पिलानी चाहिए । बछड़े के जन्म के पश्चात4 दिन तक गाय जोप्रथम दूध देती है, उसे खीस कहते हैं । बछड़े के शरीर भार के अनुसारप्रति 10 किलो भार पर 1 किलो खीस पिलानी चाहिए ।
- खीसके अन्दर गामा ग्लोब्युलिन नामक एंटीबाडी होती है, जो नवजात बछड़े को संक्रामक रोगों के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। जिन बछड़ों को24 घंटे के अन्दर खीस नहीं मिल पाती है, वे सदा कमज़ोर रहते हैं, और शीघ्र रोगोंके शिकार हो जाते हैं।
- दूध की अपेक्षा खीस में5-6 गुना ज्यादा प्रोटीन एवं15-17 गुना ज्यादा विटामिनए पाया जाताहै तथा खनिज तत्वों की मात्र भी अधिक होती है। यह बेहद पाचकऔर स्वादिष्ट भी होता है।
- अगर किसी कारणवश मां की मृत्यु हो जाये तो बछड़े को अन्य पशुओं से उपलब्ध खीस का सेवन कराना चाहिए।
- अगर किसी अन्य पशु से भी खीस उपलब्ध ना हो सके, तो निचे बताये विधि से कृत्रिम खीस बना लेना चाहिए, कृत्रिम खीस निम्नलिखित संघटक को मिल कर बने जा सकती है।
अंडा-1
दूध750 मिलीलीटर
गर्म पानी250 मिलीलीटर
काड लीवर आयल- 1 चम्मच
एरंड का तेल- 1 चम्मच
- कृत्रिम खीस बना कर बछड़े को दिन में 3 बार 4 दिन तक अवश्य देना चाहिए जिससे उनकी शारीरिक खुराक पूरी होती रहे।
- नवजात पशु को जन्म के 4 दिन बाद दूध पिलाना चाहिए क्योकि ये पशु की पौष्टिक तत्वों की ज़रूरत को पूरा करते हैं, मोटे तौर पर कहा जाये तो, दूध बछड़े बछड़ी के लिए सम्पूर्ण आहार है।
- 5 से 60 दिन तक उसे शरीर भार का दसवां भाग दूध देना चाहिए।
- ये अनुमानित है की 1 नवजात पशु को 4-5 सप्ताह के अन्दर खीसके अलावा 110 लीटर दूध पिलाना चाहिए।
- जन्म के 30 दिन के बाद से हर 1 पशु को हरा चारा भी डालना चाहिए, जो उनके रुमेन के विकास में सहायक होता है, और पशु का रुमेन शीघ्र ही विकसित हो जाता हें।
- बछड़ेको रखने का स्थान स्वच्छ होना अति अवश्यक हैं, जिससे हम उसे कई बीमारियों से बचा सकते हैं।
- 5 दिन की आयु से ले कर 6महीने तक ली आयु के बछड़ों को निचे दी गयी सारणी-1 के अनुसार खिलाना चाहिए।
पशुकी उम्र | शरीर का भार
(कि.ग्रा.) |
दूध की मात्रा
(कि.ग्रा.) |
काफस्टार्टर की मात्रा (ग्रा.) | हरे चारे की मात्रा
(कि.ग्रा.) |
4 दिन- 4 सप्ताह | 25 | 2.5 | 0 | 0 |
4-6 सप्ताह | 30 | 2.5 | 50-100 | जितना खा सके |
6-8 सप्ताह | 35 | 2.5 | 100-250 | जितना खा सके |
8-10 सप्ताह | 40 | 2 | 250-350 | जितना खा सके |
10-12 सप्ताह | 45 | 1.5 | 350-400 | 0.5-1 |
12-16 सप्ताह | 55 | – | 400-450 | 1-2 |
16-20 सप्ताह | 65 | – | 650-1000 | 2-3 |
20-24 सप्ताह | 75 | – | 1000-1500 | 3-4 |
45 दिन के बाद के बछड़े का पोषण:
- 45 दिन के बाद से बछड़े को उनको उच्च प्रोटीन युक्त काफ स्टार्टर खिलाना चाहिए, उसकाफ स्टार्टर में पाच्य प्रोटीन 18% एवं कुल पाचक पदार्थ70% तक होने चाहिए। काफ स्टार्टर में खनिज पदार्थ एवं विटामिन का समिश्रण भी अनिवार्य है।
- निचे बताये गए काफ स्टार्टर को45 दिन के बाद से दिया जा सकता है।
सामग्री | अनुपात | कुल प्रोटीन | पाच्य प्रोटीन | कुल पाचक तत्त्व |
मक्के का दलिया | 42 | 3.78 | 2.94 | 33.60 |
मूंगफली की खल | 28 | 11.2 | 9.80 | 21.00 |
मछली का चूरा | 7 | 4.90 | 4.44 | 4.60 |
गेहूं का चोकर | 20 | 3.20 | 2.00 | 12.00 |
खनिज मिश्रण | 03 | – | – | – |
कुल | 100 | 23.08 | 19.29 | 72.00 |
- इसे दूध या सप्रेटा दूध के साथ खिलाने सेबेहतर शरीर भार वृद्धि प्राप्त की जा सकती है।
- 3-4 महीने बाद सामान्यतः बछड़े बछ्डीयों को1 दिन में 1 किलोग्राम काफ स्टार्टर खिलाया जा सकता है।
- उन्हें 2-3 किलोग्राम तक रसदार हरा चारा इच्छानुसार खिलाना चाहिए जितना भूसा वो खा सकें उतना खिलानाचाहिए।
- जिससे उनकी वृधि दर तेजी से होती है साथ ही वो जल्द ही ओसर(Heifer) मेंपरिवर्तित हो जाती हैं।
- बछड़े को हरतीन माह मे अन्तःएवम् वाह्य परजीवी नाशक दवाएं अवस्य देनी चाहिए।
निष्कर्ष:
डेरी उधोग को बेहतर ढंग से चलाने एवं आर्थिक लाभ पाने के लिए नवजातबछड़े का देखभाल जन्म से अति अवश्यक है,सही ढंग से पोषण एवं प्रबंधन से बछड़े को वयस्क पशु में कम से कम लागत में तैयार किया जा सकता है।बछड़े के पालन में जन्म से लेकर 6 माह तक की आयु तक उपर्युक्त बातों का ध्यान मे रखना चाहिए जिससेबछड़े स्वस्थ रहेंगें।