नाकोड़ा रोग (Nasal granuloma)

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नाकोड़ा रोग (Nasal granuloma)

यह मुख्यणः गौवंश (cattle) मे होने वाला एक परजीवीजनित रोग (parasitic disease) है व इसे snoring disease , nasal schistosomiasis के नाम से भी जाना जाता है !

रोगकारक (etiology) :
इस रोग का रोगकारक schistosoma nasale नामक परजीवी है जो एक रक्तकृमि (blood fluke) है तथा यह संक्रमित प्राणी की नासा गुहा (nasal cavity) की शिराओ मे रहता है ! इस परजीवी के नर मे एक gynaecophoric canal पाई जाती है जिसमे यह परजीवी मैथून के दौरान मादा परजीवी को रखता है !

Epidemiology :
भारत मे होने वाला यह एक महत्वपूर्ण रोग है तथा यह मुख्यतः गौवंश व भैस मे भी होता है !इसके अलावा यह भेड़ व बकरियो मे भी हो सकता है ! इस रोग के कारण हालांकि रोगी पशु की मृत्यु बहुत कम होती है !

लक्षण (symptoms) :
1. नाक से स्राव आना (nasal discharge)जो पानी की तरह पतले (watery)से लेकर गाढ़ा (mucous) , मवादयुक्त (mucopurulent)या रक्तयुक्त (blood tinged) भी हो सकता है !
2 . पशु का बार-बार छींकना (sneezing)
3 . नासा गुहा के बाधित होने के कारण सांस मे आवाज आना (snoring)
4 .नासा गुहा मे गांठे (nodules) दिखाई देती है !
5. सांस लेने मे तकलीफ होना (dyspnoea)
6 . सुस्ती व तनाव !
7. पशु की कार्य क्षमता या उत्पादन मे गिरावट !

निदान (diagnpsis) :
रोग की पहचान इसके लक्षणों व नासा गुहा मे गांठों की उपस्थिती से की जा सकती है !
प्रयोगशाला मे जाँच !

उपचार (treatment) :
इस रोग मे निम्न औषधियां काम मे ली जा सकती है ! जैसे – Lithium antimony thiomalate 6% (Anthiomaline )15-20 ml.,deep I/m , twice a week
potassium antimony tartarate(Tartar emetic) , 1.5-2 mg./kg.b.wt.,slow I/v
Sodium antimony tartarate (2% solution in 10% DNS) , 1.5 mg./kg.b.wt.,slow I/v
Sodium antimony biscatechol (Antimosan),20-40 ml./animal ,I/v ,I/m , S/c
उपरोक्त औषधियो को गर्भित पशुओ (pregnant animals) मे काम मे नही लेना चाहिए क्योकि इसके कारण गर्भपात (abortion) हो सकता है !
* इसके अलावा praziquantel (5 mg./kg.b.wt.,orally) , oxyclozanide (10 mg./kg.b.wt.,orally) , levamisole (7.5 mg./kg.b.wt.,S/c) , Ivermectin(0.2 mg./kg.b.wt.,S/c) आदि भी काम मे ली जा सकती है !

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रोकथाम (control) :
इस रोग के नियंत्रण के लिए प्राणियो का इलाज ,प्राणियो को स्वस्थ जल की आपूर्ति , मध्यस्थ मेजबानो (घोंघों ) को नष्ट करना आदि तरीके काम मे लिए जा सकते है |

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