पशुओं को दवा देने की विधियां
संकलन- राजेश कुमार सिंह पशुधन सलाहकार ,94313 09542 ,
जमशेदपुर ,झारखंड
जब पशु बीमार होते हैं तब पशुपालक पशुओं को पशु चिकित्सक से दिखाते हैं या उनसे सलाह लेते हैं ।अक्सर पशु चिकित्सक उन्हें सलाह देते हैं कि पशुओं को इस तरह की दवा देनी है, लेकिन अनुभव यह जानकारी के अभाव में पशुपालक अक्सर गलती कर बैठते हैं ।इस लेख में पशुओं को दवाई देने की विभिन्न विधियां बताई जा रही है ,लेकिन पशु चिकित्सक से सलाह लेने के उपरांत ही उनके निर्देशानुसार पशुपालक को चाहिए कि पशुओं को दवाइयां निम्नलिखित विधियों के द्वारा दें:
पशुओं को निम्नलिखित विधियों से दवाएं दी जा सकती है :
(i) मुंह के द्वारा दवा पिलाना :- अधिकांश औषधिया पानी अथवा तेल में मिलाकर पशु के मुख द्वारा पिलाई जाती है।
(ii) दवा चटाना (चटनी के रूप में) :- कई दवाईया ऐसी होती है, जिनको कि पशु को पिलाने के बजाए चटाना अधिक आसान होता है।
(iii) खुराक के साथ दवाई देना :- संतुलित पशु आहार अथवा खली-चोकर के साथ मिलाकर भी पशुओं को दवाईया खिलायी जाती है।
(iv) सुई (इंजेक्शन द्वारा) :- पशुओं के रोग की गंभीर स्थिति के कारण जब उन्हें एन्टीबायोटिक देने होते है तो उन्हें सुई (इन्जेक्शन) द्वारा दिये जाते हैं।
(v) पैर धोना (फुटबाथ) :- सामान्यतया जब पशु में खुर संबंधी बीमारियां होती है तो उन्हें दवाईयों के घोल में खड़ा किया जाता है।
(vi) मालिश द्वारा :- पशुओं के मोच आने की स्थिति में काले मलहम या बेलाडोना लिनिमेंट या तारपीन लिनिमेंट की मालिश करने से पशु को लाभ होता है।
(vii) सिंकाई करना :- पशुओं को चोट लगने से जब उनके मुख में सूजन आ जाती है तो उस पर सेंक करना उपयोगी होता है।
(viii) पुल्टिस बांधना :- पशुओं को फोड़ा होने की स्थिति में इसको पकाने के लिए प्रायः अलसी के दानों को बारीक पीसकर उसमें पानी मिलाकर तथा आग पर थोड़ा गर्म करके उसकी पुल्टिस को एक कपड़े की तह में रखकर प्रभावित अंग में बांध दिया जाता है जिससे घाव शीघ्र पक जाता है।
(ix) एनिमा लगाना :- पशु द्वारा गोबर न करने अथवा कब्ज होने की स्थिति में उसे एनिमा दिया जाता है जिससे उसका मल बाहर आ जाता है।
(x) ऑख-कान में दवा डालना :- पशुओं के ऑख तथा कान के रोगों में द्रव अथवा मलहम लगाया जाता है। दवा लगाने अथवा डालने से पहले आँख तथा कान को अच्छी तरह से रूई के फाहे से साफ कर लेना चाहिए।