पशुओं में हीटस्ट्रोक – लक्षण, उपचार व बचाव
तापघात हीटस्ट्रोक को उष्माघात भी कहा जाता है। यह ऐसी अवस्था है जिसमें पीड़ित पशु का तापमान अत्याधिक धूप या गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है। हीटस्ट्रोक की स्थिति में पशु के शरीर का प्राकृतिक कुलिंग सिस्टम सुचारू रूप से काम बंद कर देता है जिसकी वजह से पशु का तापमान कम नहीं होने पाता जिसके परिणाम स्वरूप तापमान बढ़ता जाता है और अगर इस तापमान को बाहरी मदद देकर या घरेलू उपचार या पशु चिकित्सक की सहायता से कम नहीं किया गया तो बहुत ही भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है औरपीड़ित पशु की जान भी जान सकती है।
हीटस्ट्रोक के कारण –
1. हीटस्ट्रोक अत्याधिक गर्मी या तेज धूप के संपर्क में आने के कारण होता है, जिसके परिणाम स्वरूप शरीर का तापमान असामान्य रूप से बढ़ने लगता है।
2. जलाभाव भी इस स्थिति का एक कारण है।
3. हाइपोथेलमस का आघात।
हीटस्ट्रोक के लक्षण-
1. पशु सुस्त हो जाता है।
2. पशु के शरीर का तापमान 106 डिग्री से 110 डिग्री फार्नहाइट तक पहुँच जाता है।
3. पशु को पसीना आना बंद हो जाता है।
4. पशु खाना-पीना छोड़ देता है।
5. पशु के हृदय की धड़कन तेज हो जाती है।
6. पशु की श्वास गति तेज हो जाती है और पशु मुँह खोलकर और जीभ बाहर निकालकर सांस लेने लगता है।
7. आँख की श्लेष्मा झिल्ली लाल हो जाती है।
8. दुधारू पशु का दूध उत्पादन कम हो जाता है।
9. अंत में पशु मूर्छित और शक्तिहीन-सा हो जाता है।
पशुओं में हीटस्ट्रोक का प्राथमिक उपचार-
1. सर्वप्रथम शरीर के तापमान का नियंत्रित करने के लिए पशु को छायादार, हवादार व ठंडे स्थान पर रखना चाहिए।
2. हीटस्ट्रोक के उपचार के लिए मुख्य लक्ष्य शरीर के तापमान को कम करना है और इसके लिए शीतल जल से स्नान कराएं, माथे पर बर्फ रखें तथा सूती कपड़े की ठंडे पानी में भीगी हुई पट्टी लगाएं।
3. पशु को पानी से भरे गड्डे में रखना चाहिए अथवा पूरे शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करना चाहिए। संभव हो तो बर्फ अल्कोहल पशुओं के शरीर पर रगड़ना चाहिए।
4. ठंडे पानी में तैयार किया हुआ चीनी, भुने हुए जौ का आटा व थोड़ा नमक का घोल बराबर पिलाते रहना चाहिए।
5. पशु को पुदीना व प्याज का अर्क बनाकर देना चाहिए।
6. शरीर के तापमान को कम करने वाली औषधि का प्रयोग करना चाहिए।
7. शरीर में पानी एवं लवणों की कमी को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रो लाइट थैरेपी देनी चाहिए।
8. प्राथमिक उपचार के बाद नजदीकी पशु चिकित्सालय से संपर्क कर पशु चिकित्सक को बुलाकर पूरा उपचार कराएं।
हीटस्ट्रोक से बचाव के तरीके-
1. गर्मियों के मौसम में पशु को दिन में 3-4 बार ठंडा पानी पिलाएं।
2. पशुओं का बाड़ा हवादार और खुला होना चाहिए ताकि पशुओं को पर्याप्त हवा व बैठने के लिए स्थान मिल जाये।
3. बाड़े के आस-पास छायादार पेड़ होने चाहिए ताकि बाड़ा ठंडा रहे। 4. पशुशाला में कूलर या पंखे की व्यवस्था होनी चाहिए।
5. भैंसों को सुबह शाम ठंडे पानी से नहलाना चाहिए।
6. ज्यादा गर्मी के दिन पशुओं को पानी में नमक और चीनी मिलाकर देनी चाहिए, इससे पशु को राहत मिलेगी और गर्मी लगने का डर नहीं रहेगा।