पशु आहार संयंत्र के बिभिन्न भाग एवं संयंत्र का प्रचलन व रख रखाव

0
658

पशु आहार संयंत्र के बिभिन्न भाग एवं संयंत्र का प्रचलन व रख रखाव

हमारे देश में पशुओं की संख्या दुनिया में सबसे अधिक होने के बावजूद भी दूध उत्पादन बहुत पीछे हैं। इसका कारण यह है कि देश में दूध उत्पादन किसानों का मुख्य व्यवसाय होने की बजाय कृषि व्यवसाय का एक उपपुरक व्यवसाय ही है और पशुओं को अधिकतर समय कृषि आधारित उद्योग के उत्तोत्पाद व सूखे चारे पर ही निर्भर रहना पड़ता है। पशुओं को वैज्ञानिक विधि से ना खिलाने की वजह से उत्पादन कम रहता है।

गुजरात राज्य में स्थित कृषि सहकारी संस्था की सफलता के आधार पर डेयरी विकास के लिए बनाई गई राष्ट्रीय प्रणाली ने देश भर में संतुलित पशु आहार बनाने के कार्यक्रम को काफी प्रोत्साहित किया है, इसीलिए इस अध्याय में हमने उन सभी किसानों की सहायता करने का प्रयास किया है जो संयोजित पशु आहार संयंत्र के भागों के बारे में जानना चाहते हैं। पशु आहार फैक्ट्री परिसर में निर्माण विभाग में सभी मशीनें जैसे की कच्चे माल का गोदाम, तैयार माल का गोदाम, गुणवत्त संरक्षण प्रयोगशाला एवं प्रशासनिक विभाग शामिल होते हैं। इसके अलावा संयंत्र परिसर में अन्य आवश्यक सुविधाएं जैसे पानी, बिजली तथा कार्यालय आदि भी होते हैं। संयोजित पशु आहार संयंत्र के प्रमुख भाग इस प्रकार हैं-
क. अंतग्र्रहण भाग
ख. पिसाई भाग
ग. बैच मिश्रण भाग
घ. शीरा मिश्रण विभाग
ड़ गोली बनाने वाला भाग
च. बोरी भरने वाला भाग
छ. चूषण भाग
ज. सहायक भाग

क. अंतग्र्रहण भाग :
शीरे या अन्य कच्चे पदार्थों का संग्रहण टैंक अथवा गोदाम में किया जाता है। कच्चे माल को आवश्यकतानुसार गोदाम से निकालकर पिसाई भाग में ले जाया जाता है फिर इसको ट्राॅली या पट्टे द्वारा ले जा सकता है।

ख. पिसाई भाग:
कच्चे माल के विभिन्न पदार्थों का मिश्रण बनाने के लिए उनकी पड़ती अन्यथा मिश्रण समरूप नहीं बन पाता है। पिसाई विभाग में मुख्यतया हिलने वाली फीडर, पिसाई चक्की और चूषण वायवीय प्रणाली शामिल होते हैं। पिसाई चक्कियों में मुख्यतया आटा चक्की, रोलर मील और हैमर मील का उपयोग होता है परन्तु आमतौर पर हैमर मील का ही प्रयोग किया जाता है। हैमर मील के अंदर लोहे की आयताकार छड़े लगी होती है जिनसे टकराने पर दाने या खली आदि मोटे पदार्थों के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते है जो नीचे लगी जाली से बाहर निकल जाते हैं। मोटी या पतली पिसाई, जाली के छिद्रों की मोटाई पर निर्भर करती है। मोटे पदार्थ की पिर्साइ करने के लिए उनको हिलने वाले फीडर में डाल दिया जाता हैं जहाँ से वोचुम्बक के ऊपर से गुजरते हुए हौमर मील में चले जाते हैं। फिर यहाँ से पिसा हुआ माल चूषण बयबोय प्रणाली द्वारा संग्रहण टैंक में भर दिया जाता हैं।

READ MORE :  नवजात बछड़ों की देखभाल:

ग. बैच मिश्रण भाग:
गुण नियंत्रण अधिकारी जो की मुख्यतया पशु पोषण अधिकारी ही होता है, विभिनन खाद्य पदार्थों की उपलब्धता एवं कीमत को ध्यान में रखते हुए पशु की पोषण आवश्यकता के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से फाॅर्मूला बनाकर निर्माण विभाग के अधिकारी को दे देता है। उस फाॅर्मूले के आधार पर ही विभिन्न पीसे हुए पदार्थों को तोलकर बैच मिश्रण विभाग में मिलाया जाता है। बैच विभाग के अंतर्गत मुख्यतः विसर्जक बिन, तुला, माल ढोने वाली चैन, उत्थापक और मिश्रण आदि शामिल हैं। गुण नियंत्रक विभाग द्वारा दिए गए के द्वारा और फिर उत्थापन मशीन के फाॅर्मूले के आधार पर एक मिट्रिक टन फीड के लिए विभिन्न पड्से हुए पदार्थों को बैच तुला पर टोल लिया जाता है। वहां से माल ढोने वाली चैन के द्वारा आरै फिर उत्थापन मशीन के द्वारा बैच मिश्रक मशीन में ले जाते हैं। बैच मिश्रक मशीन सारा बैच पांच से दस मिनट में पूरी तरह से मिश्रित किया जाता हैं।

घ. शीरा मिश्रण विभाग:
शीरा मिश्रक मशीन में बैच मिश्रण द्वारा मिश्रित किया हुआ माल आता है। यहाँ पर शीरे की पूर्व निर्धारित मात्रा शीरा टैंक से शीरा मिश्रक मशीन में डाल दी जाती है और फिर मशीन में 5 से 10 मिनट तक मिश्रित किया जाता है। यहाँ से शीरा मिश्रित होने के बाद यदि फीड मिश्रण के रूप में ही रखना है तो वह शीरा मिश्रण मशीन से बोरियों में भर दिया जाता है। अगर गोलीदार फीड चाहिए तो इसी मिश्रण को पैलेट मील के ऊपर लगे संग्रहण बिन में ले जाया जाता है जहाँ से वह पैलेट मील की अक्षमता के अनुसार बैच पैलेट मील में चला जाता है।

ङ. गोली बनाने वाला विभाग या पैलेट विभाग:
फीड मिश्रण शीरा विभाग में शीरा के साथ मिश्रण के पश्चात फीड को शीरा मिश्रण विभाग में ले जाता है। पैलेट भाग में मुख्यतया पैलेट मील, पैलेट कूलर तथा पैलेट जाली आदि शामिल होते हैं। शीरा मिश्रित फीड पैलेट मील के ऊपर लगे संग्रहण बिन से पैलेट अनुकूलक में आता है जहाँ पर उसके साथ 1 से 1.2 किलोग्राम प्रति से.मि. दबाव के साथ भाप मिला दी जाती है। भाप मिश्रित फीड फिर पैलेट मील में चला जाता है। फीड मिश्रण पैलेट मील से निष्कासन विधि द्वारा गोलीदार रूप में बाहर आता है। गोलियों की लम्बाई व आकार कई बातों पर निर्भर करता है जैसे की फीड मिश्रण में नमी की मात्रा, पैलेट मील में लगी जाली के छेदों का आकार इत्यादि। क्योंकि पैलेट मील से गोलियाँ निष्कासन विधि से बाहर आती है इसलिए वो काफी गरम होती है और यदि वो ऐसे ही बोरियों में भर दी जाएँ तो खराब हो सकती है इसलिए उन्हें पहले ठंडा होने दिया जाता है। पैलेट फीड को ठंडा करने के बाद उसको हिलती हुई जाली के ऊपर से गुजरा जाता है ताकि यदि अगर उनमें कोई चुरा आदि हो तो उसे अलग किया जा सके। जाली से गुजरने के बाद पैलेट को बोरियों में भर दिया जाता है और चूरे को दोबारा से पैलेट बनाने के लिए मील में डाल दिया जाता है।

READ MORE :  Confusions of pre layer diets – the calcium feeding management of pullets

च. बोरी भरने वाला भाग:
इस विभाग में तैयार माल को बोरियों में भरना, बोरियों की सिलाई करना व इन बोरियों को गोदाम में रखना आदि कार्य सम्मिलित होते हैं। बोरियां भरने का काम अर्धस्वचालित होता है। बोरियों को हाथ से फीड निकाली मशीन के मुँह पर रख दिया जाता है और बोरियों में एक निश्चित मात्रा का पैलेट फीड भरने के बाद उन्हें ढोने वाली चैन पर रख दिया जाता है जो उनको गोदाम तक ले जाती है। चैन के रास्ते में ही स्वचालित सिलाई मशीन होती है जो की बोरियों के मुँह को सिल देती है।

छ. चूषण भाग:
फीड प्लांट के विभिन्न भागों में धूल आदि आ जाती है इस धूल को साफ करने के लिए एक चूषन संयंत्र भी लगाया जाता है। चूषन विधि द्वारा फीड प्लांट के अलग भागों में हवा का तेज या कम बहाव किया जाता है। हवा के साथ यह धूल बह जाती है और फिर हवा व धूल को अलग कर दिया जाता है।

ज. सहायक भाग:
यह भाग बिजली, पानी, हवा, भाप एवं शीरा आदि की सप्लाई को जरूरत के हिसाब से उचित समय पर सही मात्रा में उपलब्ध करवाता है।

आहार संयंत्र का रख रखाव:
पशु आहार सयंत्रं का काम काज सही ढगं दांग से चलने के लिए सभी मशीनों का रख रखाव करने से ही फीड प्लांट की पूरी क्षमता को उपयेाग में ला सकते हैं और सही मशीन में बनने वाला आहार भी शुद्ध होता है। इस संयंत्र में काम आने वाली मशीनों का रख रखाव इस प्रकार है-
माल ढोने वाली चैन पट्टे व बालटीदार चैन को चलने से पहले खाली कर लेना चाहिए क्योंकि भरी हुई चलाने से पेंच, बैरिंग या मोटर में खराबी आने का खतरा रह सकता है।

यदि चैन का पट्टा मशीन के किसी भाग से रगड़ता हो तो उसे तुरंत बंद कर देना चाहिए नही तो मोटर पर अधिक भार पड़ता है और चिंगारी आदि से आग लगने का खतरा रहता है।

छः महीने में एक बार पेंच व चैन आदि को मशीन के ढांचे के साथ फाँसला माप कर उसे सही करना चाहिए।

READ MORE :  CONCEPT OF GUT HEALTH IN POULTRY

साल में एक बार पेंच, पेड या पैन आदि का कोई हिस्सा अगर टूट फूट गया हो तो उसे बदल देना चाहिए।

उत्पादक/एलीवेटर:
यदि उत्पादक फीड से भरा हो तो उसे नहीं चलाना चाहिए। ऐसा करने से टूटने का खतरा रहता है तो चलाने से पहले यह जरूरी है की इसे खाली कर लें।

सप्ताह में एक बार चैन व बैरिंग आदि में ग्रीस देना चाहिए तथा पेंच या चैन आदि को चैक कर लेना चाहिए।

महीने में एक बार शीरा मापक यंत्र को पानी के तेज बहाव साफ करना चाहिए और जांच करनी चाहिए की वह ठीक मापता है या नहीं।

बैच मिश्रक:
भरे हुए बैच मिश्रक को हीं चलना चाहिए इसलिए चलने से पहले उसे खाली करना जरूरी है। महीने में एक बार ग्रीस देना चाहिए।

पैलेट मील:
अगर पैलेट मील में ज्यादा समय तक फीड न बनाना हो तो उसे चावल की पोलिश से भर देना चाहिए ताकि उसे जंग आदि विकृति से बचाया जा सके।

यदि मील के अंदर फीड फंसा हो तो उसे नहीं चलना चाहिए चलने से पहले उसमें फंसे हुए फीड को निकाल देना चाहिए ताकि रोलरों को हाथ के साथ घुमाया जा सके।

मशीन में फीड तभी डालना चाहिए जब मशीन के रोलर पूरे चक्र के साथ घूमने लगे और मशीन रोकने से पहले यह जाँच लें की मशीन के अंदर मिश्रण समाप्त हो गया है या नहीं क्योंकि मिश्रण समाप्त होने के बाद ही मशीन को बंद करना चाहिए।

पेंच, बैरिंग, रोलर इत्यादि की समय समय पर जाँच करते रहना चाहिए और अगर जरूरत हो तो बदल देना चाहिए। बैरिंग में हर सप्ताह ग्रीस दें

मोटरें:
मोटर को कभी भी 360 वोल्ट से नीचे एवं 450 वोल्ट से ऊपर न चलाए।

अगर मोटर 25 हाॅर्सपावर से ऊपर की है तो उसके तीनों पक्ष के तारों में बिजली का प्रवाह माप लेना चाहिए यदि परवाह में 5 प्रतिशत की परिवर्तिता है तो ठीक कर लेना चाहिए।

निष्कर्ष:
हमारे देश में पशुओं को परम्परागत तरीके से खिलाया जा रहा आहार संतुलित नहीं होता तथा उसमें किसी तत्व की कमी या किसी तत्व की अधिकता होती है। दीर्घ काल तक पशुओं को ऐसा आहार खिलाने से स्वास्थ्य एवं दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। आधुनिक पशु आहार संयंत्र में विभिन्न मुख्य तत्वों को मिलाकर एक वैज्ञानिक तरीके से पशु आहार तैयार किया जाता है। यदि यह आहार पशु को उनकी जरूरत के हिसाब से नियमित तौर पर खिलाया जाए तो उनकी आनुवांशिक क्षमता का अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सकता है।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON