पशु बीमा योजना – करिए अपने पशुओं की रक्षा
हमें हमेशा से इनश्योरेंस कराने की सलाह दी जाती है ताकि आपातकाल में हमें सुरक्षा व आर्थिक सहायता प्राप्त हो। जिस तरह हमें इनश्योरेंस की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह पशुपालकों को भी पशुओं की सुरक्षा के लिए बीमा पॉलिशी करवाना जरूरी है। क्योंकि पशुपालक के लिए उसके पशुधन से बड़ा धन कुछ नहीं होता है। इसलिए इस बात को ध्यान में रखते हुए डेयरी ज्ञान आपको बीमा पॉलिशी के बारे में बता रहा है।
पशुधन बीमा योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों व पशुपालकों को पशुओं की मृत्यु के कारण होने वाले नुकसान के बदले सुरक्षा मुहैया कराना है। पशुधन बीमा योजना के तहत देशी व संकर दुधारू मवेशियों के साथ भैसों की बीमा उनके अधितकम वर्तमान बाजार मूल्य पर बीमा की सेवा उपलब्ध करायी जाती है।
इसमें कुल बीमा प्रीमियम का 50 प्रतिशत अनुदानित होता है औऱ अनुदानित की पूरी लागत की भरपाई केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अनुदान का लाभ अधिकतम दो पशु प्रति लाभार्थी को अधिकतम तीन साल की एक पॉलिसी के लिए मिलता है। यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से चलाया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 10 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष 2005 -06 और 2006-07 तथा 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत प्रयोग के रूप में पूरे देश से 100 चयनित जिलों में इसकी पहल की गयी थी। यह योजना गोवा को छोड़कर सभी राज्यों में संबंधित राज्य पशुधन विकास बोर्ड द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।
योजना में शामिल पशु तथा लाभार्थियों का चयन
ü इस योजना में दुधारू पशुओं के अलावा उन भैंस व पशुओं को भी लाभ प्राप्त होगा जो गर्भवती मवेशी हैं औऱ जिन्होंने कम से कम एक बार बछड़े को जन्म दिया हो।
ü इसके अलावा वे मवेशी जो किसी अन्य बीमा या योजना का लाभ प्राप्त नहीं कर रहे हैं।
ü कम से कम 3 साल के दो पशुओं तक इसे सीमित रखा गया है।
ü किसानों को डेयरी ज्ञान 3 साल की पॉलिसी लेने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि यह बीमा पॉलिसी का लाभ पशुपालक को बाढ़, सूखा जैसी विभिन्न प्राकृतिकआपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के रूप में सहायता प्रदान कर रहा हैं।
इन बातों पर पशुपालक को ध्यान दने की जरूरत –
1) यदि बीमा पॉलिशी खरीदने के बाद, पॉलिशी की अवधि समाप्त नहीं हुई है औऱ पशुपालक ने अपने पशु को बेच दिया है या अन्य दूसरे प्रकार के हस्तांतरण की स्थिति पैदा हुई है तो बीमा पॉलिसी की शेष अवधि का लाभ नए स्वामी को हस्तांतरित किया जाना जरूरी है।
2) ऐसी स्थिति का निपटारा करने के लिए पशुधन नीति के ढंग,शुल्क और हस्तातंकण से संबंधित आवश्यक जानकारी, विक्रय -पत्र आदि का निर्णय, बीमा कंपनी के साथ पॉलिसी लेते समय अनुबंध करते हुए कर लेनी चाहिए।
दावे का निपटारा –
1) किसी कारण दावा करने के बाद भी बकाया रह जाता है तो आवश्यक दस्तावेज जमा करने के 15 दिन के अंतराल या भीतर ही निर्धारित बीमित राशि का भुगतान निश्चित तौर पर किया जाता है।
2) बीमा कंपनी द्वारा दावे के निपटारे के लिए मुख्य रूप से चार दस्तावेज जरूरी होते हैं।
3) इन दस्तावेजों में शामिल है – प्रथम सूचना रिपोर्ट,बीमा पॉलिसी, दावा प्रपत्र और अन्य परीक्षण रिपोर्ट।
4) बीमा पॉलिसी तैयार करते समय अधिकारी द्वारा यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि दावे के निपटारे हेतु स्पष्ट प्रक्रिया का प्रावधान हो।
5) आवश्यक व जरूरी दस्तावेजों की सूची तैयार की जाए एवं पॉलिसी प्रपत्रों के साथ सूची लाभार्थी को भी उपलब्ध काराया जाए।
दावा प्रक्रिया: यदि किसी पशु की मौत हो जाती है तो इसकी सूचना तत्काल बीमा कंपनियों को भेजना चाहिए और निम्नलिखित आवश्यकताओं को प्रस्तुत किया जाना चाहिए:
- विधिवत दावा प्रपत्र पूरा।
- मृत्यु प्रमाण पत्र कंपनी के फार्म पर योग्य पशुचिकित्सा से प्राप्त की।
- शवपरीक्षा परीक्षा रिपोर्ट अगर कंपनी द्वारा की आवश्यकता है।
- कान टैग जानवर को लागू आत्मसमर्पण किया जाना चाहिए। ‘कोई टैग नहीं दावा’ की हालत अगर टैग नहीं की जरूरत है लागू किया जाएगा|
पीटीडी दावा प्रक्रिया
- योग्य चिकित्सक से एक प्रमाण पत्र प्राप्त करना |
- पशु कंपनी के पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा निरीक्षण ।
- उपचार के चार्ट पूरा इस्तेमाल किया, दवाओं, रसीदें, आदि प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- दावे की ग्राह्यता पशु चिकित्सक/कंपनी डॉक्टर की रिपोर्ट के दो महीने के बाद विचार किया जाएगा।
- क्षतिपूर्ति बीमित रकम का 75% तक ही सीमित है।
इसके अलावा हम आपको कुछ योजनाओं के बारे में बता रहे हैं जिसका लाभ हमारे किसानभाई व पशुपालक उठा सकते हैं।
गोपालक योजना – गोपालक योजना हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गयी योजना है, जिसके तहत बेरोजगार युवक रोजगार प्राप्त कर सकते हैँ। इस योजना के तहत बैंक द्वारा 5 वर्षों के लिए लोन प्रदान किया जाएगा। इस योजना का लाभ ज्यादा से ज्यादा युवाओं को मिलेगा।
ü इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश के रहवासी ही आवेदन कर सकते हैं।
ü इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए बोनाफाइड का होना जरूरी है।
ü इस योजना में आवेदन करने वाले व्यक्तियों की सालाना आय 1 लाख रूपए से कम नहीं होनी चाहिए।
ü इस योजना में 10 पशुओं के तहत डेढ़ लाख तक की पशुशाला खुद पशुपालक को बनानी होगी।
ü योजना के तहत पशुपालक को लोन तब ही प्राप्त होगा जब आप कम से कम 5 पशु रखेंगे, इससे कम होने पर ऋण प्राप्त नहीं होगा।
ü इन पांच पशुओं के लिए आवेदन करने के बाद करीब 3.60 लाख रूपए तक लोन बैंक द्वारा प्राप्त होगा।
ü गोपलक योजना के तहत डेयरी शुरू करने के लिए करीब 9 लाख रूपए तक का खर्च आता है, जिसमें आपको एसआरएफ़ 1.80 लाख रुपए ही खुद की तरफ से लगाने है।
इसके बाद बात करते हैं गौशाला योजना कि
- कोई भी भारतीय किसान और नागरिक गौशाला खोल सकता है ।
- उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार व्यक्ति के पास लगभग 200 गायों को रखने की सुविधा होनी चाहिए।
- गौशाला खोलने के लिए जीव जंतु कल्याण बोर्ड से मान्यता प्राप्त होनी आवश्यक है।
- गौशाला खोलने के लिए व्यक्ति के पास 5 बीघा से ज्यादा जमीन होना अनिवार्य है।
- गौशाला के पास पैन नंबर होना आवश्यक है।
- इस योजना के तहत आय का एक महत्वपूर्ण जरिया यह है कि इसमें सरकार द्वारा एक व्यक्ति को जो गौशाला खोलता है उसे कुछ राशि प्रदान की जाएगी यह राशि प्रति गाय पर ₹30 होगी यानी कि आपको हर एक गाय पर रोज ₹30 मिलेंगे ।
- गौशाला में किए जाने बाले उत्पादों के विक्रय से होने वाली आय आपकी कमाई का एक बेहतर जरिया हो सकता है।
तो मेरे किसानभाईयों ये थी कुछ योजना व बीमा पॉलिसी के बारे में जरूरी जानकारी। जिसकी सहायता से आप अपने पशुधन की रक्षा कर सकते हैं इसके अलावा इस तरह की योजनाओं के माध्यम से नयी डेयरी फार्मिंग खोल सकते हैं।