पशु मेले में प्रतियोगिता के लिए पशुओं की तैयारी कैसे करें

0
380

पशु मेले में प्रतियोगिता के लिए पशुओं की तैयारी कैसे करें

पशुओं को मेले में प्रदर्शित करने के लिए अच्छे पशुओं को ही शामिल करना चाहिए जिससे वह पशु प्रतिस्पर्धा में आ सकें। पशुपालक यदि मेले में किसी प्रतिस्पर्धा में या पशु प्रदर्शनी में भाग लेना चाहता है तो उसे पशु की तैयारी, भोजन की व्यवस्था, शरीर की साफ-सफाई एवं व्यवस्था आदि की जानकारी नीचे दी जा रही हैं।

1. पशुओं का चुनाव –
पशुओं के चुनाव में ऐसे पशुओं को चुना जाए जो काफी आकर्षक, समरुप, सुडालै एवं साफ-सुथरा हो। शरीर की बनावट मजबूत, जोड़ साफ- सुथरे, आकर्षक तथा स्थूलता विहीन हो, परै सीधे आरै खुर आगे से नुकीले हो। पशु की आयु के आधार पर अच्छे नस्ल के पशुओं को ही शामिल किया जाना चाहिए। दुधारु पशु का चुनाव करते समय थन नुकीले, सीधे नीचे की तरफ जाते होने चाहिए। पशु का चुनाव उसकी ल्योटी (बांक) के आधार पर किया जाता हैं पशु की दूध की अवस्था का भी ख्याल रखना चाहिए। पशुओं के चुनाव के लिए साधारणतः उनकी माँसपेशियाँ, बालों की चमक, शारीरिक विकास एवं फुर्तीलापन आदि गुणों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता हैं।

2. पशुओं का अवलोकन –
पशुओं का सही अवलाकेन करने से उनके शरीर में होने वाली संभावित कमियों का पता लगाया जा सकता हैं पशु के परै या खुर की कठिनाइयों का पता लगाकर उनकों ठीक किया जा सकता हैं बाह्य रोग, चर्म रोग, जुएं , खुजली आदि समय पर अवलोकन करने से प्रदर्शनी के समय पर ठीक किया जा सकता हैं नियम हैं कि प्रदर्शनी में भाग लेने वाले पशु सभी प्रकार की संक्रामक बीमारियों से मुक्त होना चाहिए।

READ MORE :  दुधारू पशुओं से अधिक उत्पादन हेतु कौन सा किफायती आहार दें और क्या ना दें

3. आहार –
पशुओं को ऐसा आहार देना चाहिए जो मोटापा की अपेक्षा शारीरिक विकास करे। प्रदर्शनी के समय आहार न खाने जैसी कठिनाई न हो इसलिए आहार में परिवर्तन न करें।

4. उचित अभ्यास –
पशु का उत्तम मार्गदर्शन एवं अभ्यास उसके शारीरिक बनावट में होने वाली कमियों को दूर करता या छिपा देता है। पशुओं को उसकी युवा अवस्था में धीरे-धीरे चलना, चलते समय छोटे-छोटे कदम रखना, सिर ऊँचा करके चलना, खडे़ रहते समय स्फुर्तीलापन दिखाना, हल्के इशारे पर तुरन्त प्रतिक्रिया करना, शरीर का पूरा वजन समान रुप से चारों पैरों पर डालकर खड़ा रहना आदि का अभ्यास करवाना चाहिए।

5. पशु के शरीर की सफाई –
पशु की सफाई तथा धुलाई से उसके चर्म रोग आदि का पता लग सकता हैं तथा उसे ठीक किया जा सकता हैं ब्रश तथा खरेरा से भी पशु को साफ करने में सहायता मिलती हैं नहलाने के बाद पशु की मालिश करना भी काफी लाभदायक होता हैं भैंस, भैंसा तथा कटड़ियों में तेल का हल्का प्रयोग शरीर के ऊपर किया जा सकता हैं पशु अगर सींग वाला हैं तो सींग की उचित सफाई, रगडा़ई तथा तेल की मालिश करनी चाहिए।

6. प्रतियोगिता के लिए तैयारी –
पशु को नायलोन, चमडा़ या सूत की रस्सी की माहेरी लगाने की आदत प्रशिक्षण के समय से ही डालनी चाहिए। पशु को प्रदर्शित करने से कुछ दिन पहले मोहरी लगाएं जिस प्रकार से उसको रिंग में घुमाएगें उसी प्रकार 8-10 दिन पहले मोहरी लगाकर घुमाएं ताकि पशु को आदत हो जाए। प्रतियोगिता से एक दिन पहले पशु की अच्छी तरह से सफाई के बाद साफ जगह पर आराम करने दें। गोबर आदि को हटाते रहे। उसे चारा, दाना व पानी समय पर पिलाएं।
पशु को सामान्य चाल से घुमाएं। पशु निरीक्षक की आरै ध्यान देें तथा पशु को प्रदर्शित करें। पशु को प्रदर्शित करते समय मोहरी से काबू करना चाहिए तथा पशु के बांई तरफ रहें।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON