प्रगतिशील किसान संतोष कुमार  की सफलता की कहानी, डेयरी फार्म से हर महीने होती है लाखों की कमाई

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प्रगतिशील किसान संतोष कुमार  की सफलता की कहानी, डेयरी फार्म से हर महीने होती है लाखों की कमाई

पशुधन प्रहरी  नेटवर्क,
पटना  (बिहार )

 

डेयरी फार्मिंग और पशुपालन आमतौर पर ग्रामीण किसानों और कम पढ़े लिखे लोगों का काम माना जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है, डेयरी फार्मिंग में इंजीनियर, डॉक्टर, एमबीए पास पेशेवर युवक लगातार किस्मत आजमा रहे हैं। डेयरी के सुल्तान में हम ऐसे युवाओं की सफलता की कहानी से आपको रूबरू कराते रहते हैं। हमारा मकसद है कि आज के दौर में बदल रहे डेयरी फार्मिंग, दुग्ध उत्पादन और डेयरी उत्पादों की बिक्री के बिजनेस से वो सभी लोग अवगत हो सकें, जो इस व्यवसाय में आना चाहते हैं और उन्हें जानकारी नहीं मिल पाती है। आज डेयरी के सुल्तान में हम बिहार  के पटना  के युवक  संतोष कुमार की सफलता की कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने अपनी सूझबूझ और कुशलता से न सिर्फ आदर्श डेयरी फार्म स्थापित किया, बल्कि पटना  की जनता को शुद्ध गाय का दूध भी पिला रहे हैं।

शुद्ध दूध की कमी से डेयरी फार्म खोलने का विचार आया

पटना  के रहने वाले 25  वर्ष के संतोष कुमार  आज अपने डेयरी फार्म के बिजनेस के जरिए रोजाना लोगों को गाय का शुद्ध दूध पिला रहे हैं। संतोष  के मन में हमेशा ऐसा कुछ काम करने का था, जो ग्रामीण परिवेश से जुड़ा हो और समाज के लिए भी अच्छा हो। संतोष  के मुताबिक शुद्ध दूध की कमी और दूध में मिलावट की खबरें उन्हें काफी परेशान  करती थीं। बस यहीं से उनके दिमाग में डेयरी फार्म खोलने का विचार आया, और फिर वो इसी रास्ते पर चल पड़े।

आईए हम उन्ही से सुनते है उनकी सफलता की कहानी तथा पशुपालको के लिए उनका सुझाव —

 

 

कंपनी का नाम : आनंद सागर नैचुरल डेयरी
संस्थापक : संतोष कुमार
मैंने अपने फ़ार्म की शुरुआत जून 2018 में भारतीय नस्ल की सात साहीवाल एवं राठी गौ से किया था। हमारा उद्देश्य है कि पटना शहर में रह रहे लोग जो स्वास्थ के प्रति जागरूक हैं और शुद्ध ताजा देशी गौ के दूध की महत्व को समझते हैं उनके घर पर देशी गौ का ताजा दूध डिलीवरी करने का।
हमारा लक्ष्य एक साल में पटना शहर के 1000 घरों में देशी गौ के दूध की डिलीवरी करना था पर जितना हमने अनुमान लगाया था उसे कहीं ज्यादा समस्यायों का हमें सामना करना पड़ा और आज के दिन हमलोग सिर्फ 150 लोगों के घर में हीं दूध पहुँचा पा रहे हैं।
कुछ निम्नलिखित समस्या जो हमने अनुभव किया
1. सरकार और बैंक के तरफ से ऐसी कोई योजना बिहार में नहीं है जिसकी मदद से कोई उधमी दस पशु से ज्यादा की डेयरी लगा सके। जिसका दुष्परिणाम ये है कि दूध उत्पादन में आपार संभावना रहने के वाबजूद पूरे बिहार में ऐसा डेयरी फ़ार्म जिसमें 50 पशु हों गिनती के मिलेंगे और आप यही गणना पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में करा लीजिए आपको हैरान करने वाली जानकारी मिलेगी।
मेरी मांग – सरकार, नाबार्ड और बैंक से आग्रह है कि जल्द ही 20 पशु से लेकर 100 पशु तक के डेयरी फ़ार्म लगाने के लिए नई योजना की शुरुआत की जाये।

  1. बिहार में योग्यता प्राप्त और जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरकारी पशु चिकित्सक की भयंकर कमी है। जिसका दुष्परिणाम ये हुआ कि आपको गिने चुने पशुपालक मिलेंगे जिनकी गाय या भैंस हर 12 से 15 महीने में एक बच्चा देती हो और सफल पशुपालन के लिए ये सबसे पहला मूलमंत्र है। FMD और अन्य बीमारियों से पशु के मरने की खबर तो बिहार में आम बात है। सरकार समय पे टीका लगाने के लिए हर वर्ष करोड़ रुपए खर्च करती हैं पर किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाता।
  2. बिहार में अगर कोई व्यक्ति पशुपालन या पशुपालन सम्बंधित अन्य क्षेत्रों में ट्रेनिंग प्राप्त कर अपना कैरियर शुरू करना चाहें तो उसके लिए बिहार के कोई भी कृषि या पशु विज्ञान कॉलेज में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है उसको NDRI करनाल, IVRI बरेली जैसे अन्य कॉलेज जो बिहार से बाहर हैं वहां जाना पड़ता है।
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हमारा आगे का योजना : हमने अपने एक वर्ष में समस्याएं तो बहुत देखी पर उत्साह इस बात का है कि आज शहर में रह रहे लोगों को शुद्ध और ताजा दूध की महता समझ आने लगी है। तभी तो पटना जैसे शहर में हमलोग 80 रुपये लीटर दूध बेच रहे और ग्राहक हमारे Waiting लिस्ट में रहते हैं क्योंकि मांग के अनुरूप हमारा उत्पादन नहीं हो रहा। दूसरे तरफ कई किसानों को हमारे मॉडल पे विश्वास बढ़ने लगा है और हमसे जुड़ना चाहते हैं।
हमने अपने आगे की योजना तीन चरणों में बांटा है
1. पहले चरण में हमलोग एक देशी गौ का कमर्शियल डेयरी और देशी गौ आधारित खेती का मॉडल तैयार कर रहे हैं जिसमें किसानों को ट्रेनिंग दिया जाएगा।
जिसमें दूध, गोबर और गौ मूत्र का भरपूर व्यावसायिक उपयोग समाहित होगा जिसे की पशुपालन से दूध के साथ गोबर और गौ मूत्र (गोबर गैस, जैविक खाद, जैविक किटनाशक, Panchygaavy से बने अन्य घरेलू उपयोग की चीज़े बनाई जाएगी) से भी आय हो।
इस मॉडल में गौ के खाने पीने के लिए हरा चारा, सूखा चारा और दाना की व्यवस्था कैसे किसान पूरे साल अपने घर पे हीं कर ले इसकी व्यवस्था होगी जिसे पशुपालन मे 60 से 70 प्रतिशत खर्च जो पशु के खाने पीने में जाता है वो किसानों के घर में हीं रहे।
2. दूसरे चरण में हमलोग किसानों को जागरूक करने का काम करेगें समूह में देशी गौ पालन और देशी गौ आधारित खेती के लिए। जागरूक किसानों को अपने मॉडल डेयरी फ़ार्म पे ट्रेनिंग देगें जिसे की सारी चीजें को वो देख के समझे। ट्रेनिंग लिए हुए जागरूक किसानों का समूह बनाकर उनको बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्था के सहायता से पशुपालन के लिय लोन की व्यवस्था करायेंगे।
3. तीसरे चरण में हमलोग कम्यूनिटी डेयरी फ़ार्म गाँव में बनायेंगे जिसकी क्षमता 100 पशु की होगी। उसमे प्रबंधन और गुणवत्ता नियंत्रण हमलोग करेगें । उत्पादित दूध को फार्म स्तर पे हीं संग्रह और पैक करके सीधे शहरो में रह रहे लोगों को घर तक पहुचा दिया जाएगा।
अपने आगे के योजना की तैयारी और सुचारू रूप से कार्यान्वित करने के लिए VenturePark जो BIA द्वारा संचालित बिहार का पहला Incubation सेंटर का सहयोग प्राप्त है।
हमलोग बिहार पशु विज्ञान विश्विद्यालय, नाबार्ड, बैंक और अन्य सरकारी और निजी संस्था से मिलके काम करेगें जिसे की योजना को तेजी से लागू किया जाय।

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देशी गाय का शुद्ध दूध (A2) पटना  और आस पास के इलाकों में  होता है सप्लाई

संतोष कुमार  ने पशुधन प्रहरी  से बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने डेयरी फार्म पर स्वच्छता और सफाई का पूरा ख्याल रखा है। डेयरी फार्म में सभी कर्मचारियों को यूनीफार्म में रहना होता है, और वो किसी भी सूरत में दूध को हाथ नहीं लगाते हैं। यही वजह है कि पटना  में उनके गाय के शुद्ध दूध की खासी डिमांड है। संतोष  ने बताया कि बेहतर देखभाल और चारे की वजह से उनके डेयरी फार्म पर देशी गिर  गाय के दूध में 4.6 से 5 फीसदी का फैट मिलता है। संतोष  ने आनंद सागर नैचुरल डेयरी नाम से दूध का ब्रांड लांच किया है और पिछले वर्ष  से  उन्होंने बोतलों में दूध की सप्लाई शुरू की है। फिलहाल  ईस डेयरी मे  दूध देनेवाली 25  गिर गाय है जिससे की लगभग  300 लीटर दूध प्रतिदिन  प्राप्त होता   है।  संतोष  अभी 85  रुपया लीटर दूध बेचते हैं। जबकि देसी घी 850 रुपये प्रति लीटर बेचते हैं। धीरे-धीरे उनके दूध की डिमांड बढ़ रही है। संतोष जल्द ही अपने फार्म पर गायों की संख्या 100 तक ले जाना चाहते हैं। संतोष  का कहना है कि जो भी लोग डेयरी फार्मिंग के धंधे में आना चाहते हैं, उन्हें गायों की देखभाल और खानपान पर खासा ध्यान देना होगा, क्योंकि स्वस्थ्य पशु ही क्वालिटी दूध दे सकता है।

संतोष को ईनके ईस प्रेरणादायक कार्य केलिए कई सम्मान तथा पुरस्कार से नवाजा गया है ।

आप संतोष कुमार से ईस नो पे संपर्क करसकते है -6204681871.

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तो ये है सफल डेयरी किसान संतोष कुमार  की कहानी। डेयरी फार्मिंग के बारे में नकारात्मक बात करने वाले लोगों के लिए संतोष  की सफलता ये समझाने के लिए काफी है कि यदि जोश के साथ प्लानिंग बनाकर डेयरी का बिजनेस किया जाए तो सफल होने से कोई रोक नहीं सकता।

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