बकरीपालन में बरतिए ये सावधानियां, होगा लाखों का फायदा

0
590

बकरीपालन में बरतिए ये सावधानियां, होगा लाखों का फायदा
by-DR RAJESH KUMAR SINGH ,JAMSHEDPUR,JHARKHAND, INDIA, 9431309542,rajeshsinghvet@gmail.com

भारत जैसे देशो में पशु पालन व्यवसाय सदियों से चला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन तो आय का प्रमुख स्रोत रहा है। ऐसा ही एक बहुत ही लोकप्रिय है उन में से एक है बकरी पालन व्यवसाय। राजस्थान सरकार द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में बकरियों की कुल संख्या लगभग 12 करोड़ है। विश्व की कुल बकरी संख्या का 20 प्रतिशत भारत में ही पाया जाता है। जो की एक विशाल नंबर है।
बकरी एक बहुउपयोगी, सीधा-साधा, किसी भी वातावरण में आसानी से ढलने वाला छोटा पशु है जो अपनी रहन-सहन व खान-पान सम्बंधित आदतों के कारण सबका चाहता पशु है। तो आइए जानें बकरी पालन में कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए जिससे की आप ज्यादा मुनाफा कमा सकें.
बकरी पालकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देनी चाहिए
1. ब्लैक बंगाल बकरी का प्रजनन बीटल या सिरोही नस्ल के बकरों से करावें।
2. पाठी का प्रथम प्रजनन 8-10 माह की उम्र के बाद ही करावें।
3. बीटल या सिरोही नस्ल से उत्पन्न संकर पाठी या बकरी का प्रजनन संकर बकरा से करावें।
4. बकरा और बकरी के बीच नजदीकी संबंध नहीं होनी चाहिए।
5. बकरा और बकरी को अलग-अलग रखना चाहिए।
6. पाठी अथवा बकरियों को गर्म होने के 10-12 एवं 24-26 घंटों के बीच 2 बार पाल दिलावें।
7. बच्चा देने के 30 दिनों के बाद ही गर्म होने पर पाल दिलावें।
8. गाभीन बकरियों को गर्भावस्था के अन्तिम डेढ़ महीने में चराने के अतिरिक्त कम से कम 200 ग्राम दाना का मिश्रण अवश्य दें।
9. बकरियों के आवास में प्रति बकरी 10-12 वर्गफीट का जगह दें तथा एक घर में एक साथ 20 बकरियों से ज्यादा नहीं रखें।
10. बच्चा जन्म के समय बकरियों को साफ-सुथरा जगह पर पुआल आदि पर रखें।
11. बच्चा जन्म के समय अगर मदद की आवश्यकता हो तो साबुन से हाथ धोकर मदद करना चाहिए।
12. जन्म के उपरान्त नाभि को 3 इंच नीचे से नया ब्लेड से काट दें तथा डिटोल या टिन्चर आयोडिन या वोकांडिन लगा दें। यह दवा 2-3 दिनों तक लगावें।
13. बकरी खास कर बच्चों को ठंढ से बचावें।
14. बच्चों को माँ के साथ रखें तथा रात में माँ से अलग कर टोकरी से ढक कर रखें।
15. नर बच्चों का बंध्याकरण 2 माह की उम्र में करावें।
16. बकरी के आवास को साफ-सुथरा एवं हवादार रखें।
17. अगर संभव हो तो घर के अन्दर मचान पर बकरी तथा बकरी के बच्चों को रखें।
18. बकरी के बच्चों को समय-समय पर टेट्रासाइकलिन दवा पानी में मिलाकर पिलावें जिससे न्यूमोनिया का प्रकोप कम होगा।
19. बकरी के बच्चों को कोकसोडिओसीस के प्रकोप से बचाने की दवा डॉक्टर की सलाह से करें।
20. तीन माह से अधिक उम्र के प्रत्येक बच्चों एवं बकरियों को इन्टेरोटोक्सिमिया का टीका अवश्य लगवायें।
21. बकरी तथा इनके बच्चों को नियमित रूप से कृमि नाशक दवा दें।
22. बकरियों को नियमित रूप से खुजली से बचाव के लिए जहर स्नान करावे तथा आवास में छिड़काव करें।
23. बीमार बकरी का उपचार डॉक्टर की सलाह पर करें।
24. नर का वजन 15 किलो ग्राम होने पर मांस हेतु व्यवहार में लायें।
25. खस्सी और पाठी की बिक्री 9-10 माह की उम्र में करना लाभप्रद है।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  METHODS &  STRATEGY  OF IMC FISH SEED PRODUCTION IN INDIA