by Dr. Amandeep Singh
दस्त कम या अधिक पोषण, वायरस या बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं। अनियमित पाचन से सम्बंधित दस्त बछड़ों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं । हालांकि समस्या को निम्न क्रियाओं के माध्यम से कम किया जा सकता है:
बछड़ों को जन्म के 6 घंटों के भीतर पर्याप्त कोलोस्ट्रम (खीस या बोली) दें जिससे उन्हें कुछ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्राप्त होती है ।
सही मात्रा में दूध पिलाना ।
प्रारंभिक मान्यता, अलगाव और बछड़ों का दस्त के लिए परीक्षण ।
भोजन के बर्तन और पर्यावरण की स्वच्छता और स्वच्छता का रखरखाव ।
पिंजरों, गंदगी वाली जगह या छोटे मंडूक (बाड़े) में बछड़ों का पालन न करें क्योंकि जब इनके दूषित हो जाने पर बिमारी और फैलती है । बाड़ों को रोज़ साफ़ करें ।
स्वस्थ्य जानवरों को बचाने के लिए बीमार जानवरों को अलग कर दें ।
उपचार के लिए जल्द से जल्द दस्त वाले जानवरों की पहचान करें जिससे के उन्हें निर्जलीकरण, द्वितीयक बीमारियों तथा मृत्यु से बचाया जा सके ।
बछड़ों को दूध इस प्रकार से पिलाएं अगर उन्हें माँ से अलग कर दिया हो तो
दस्त को कम करने के लिए, निम्नलिखित से बचा जाना चाहिए
भीड़भाड़: एक बछड़े को कम से कम 20-24 वर्ग फुट जगह दें ।
बछड़ों के बाड़े में वेंटिलेशन का ख़ास ध्यान रखें । बछड़ों को सर्द हवायों से बचा के रखें ।
बछड़ों को गीले तथा नम बिस्तर से बचाएँ । बछड़ों के मल मूत्र से अगर बिस्तर नम होता है तो जल्द से जल्द सूखी घास डाल कर उसे सुखा दें ।
बाड़े की सफाई करते समय बछड़ों को पानी से छिड़कने से बचें।
अनियमित मात्रा और बहुत अधिक, गलत एकाग्रता या गलत प्रकार के तरल आहार, बछड़े के दस्तों के सामान्य कारण होते हैं। इसलिए बछड़ों को नियमित मात्रा में आहार दें ।
अगर बछड़े जन्म के बाद खीस या माँ का पहला दूध नहीं पीते तो उन्हें खुले मूंह वाले बर्तन में खीस डाल कर या बोतल से पिलाएं ।
काम में लाये गए प्रत्येक बर्तन को अच्छे से साफ़ करें तथा अच्छे से सुखाकर ही उनका इस्तेमाल करें ।
बछड़ों की दस्त का इलाज
बछड़ों के शरीर में तरल तथा तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए नमक चीनी का घोल दें ।
एक से दो दिनों के लिए दूध न देकर कुछ हरा चारा तथा दालों का मिश्रण दें ।
ज्यादातर दस्त अनियमित खान पान से होते हैं जिनके लिए एंटीबायोटिक की ज़रूरत नहीं होती लेकिन अगर बछड़ों को दस्त के साथ बुखार भी हो तो अमोक्सीसिल्लिन, सल्फाडिमीडीन नामक एंटीबायोटिक दे सकते हैं ।
अगर बछड़ों के पेट में गैस भी बनती है तो अज्वैन का काड़ा बनाकर पिलायें ।
अगर दस्त कोकसीडिया की वजह से हों तो दस्त में खून भी आता है उसके लिए बछड़ों को सल्फाकुइनोक्सालीन नामक दवाई दें
यदि दस्त न रुकें तो जल्द से जल्द पशु चिकित्सक से संपर्क करें ।