भारत में संक्षिप्त विवरण के साथ महत्वपूर्ण संक्रामक रोग, प्रसार व प्रबंधन
डॉ. अंकुश किरण निरंजन, डॉ. शिव वरन सिंह एवं डॉ. अशोक पाटिल
- महत्वपूर्ण रोग
1) खुरपका और मुँहपका रोग
रोगकारक:खुरपका और मुहपकाविषाणू
प्रभावित दुधारु पशु: युवा बछड़ा, मवेशी और भैंस
संचरण :
- संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क,निर्जीववस्तुओका संपर्क,आमतौर पर चारा और मोटर वाहन
- विषाणू संक्रमितकिसानोंएवमृत पशु, संचालकोंकेकपड़ेऔर त्वचा, ठहरे हुए पानी, कच्चा भोजन औरपशु उत्पादोंकेद्वाराफैलसकताहै।
- कुत्तों का मृत जानवरों की हड्डियोंका ले जाना भी विषाणू को फैलाने का कारण हो सकताहै।
संकेत और लक्षण:
- पैर और मुंह रोग वायरस के लिए ऊष्मायन अवधि 1-12 दिनों की है।
- उच्च बुखार, मुंह के अंदर फफोलेजिनकेकारणरेशेदार या झागदार लार का अत्यधिक स्रावहोताहैऔरफफोलेके फूटने सेजानवरखाना पीना बंद कर देता है ।
- वजन में कमी, परिपक्व बैलके अंडकोष में सूजन, दूध उत्पादन में गिरावट, युवा बछड़ों की अचानक मौत
2) गलाघोंटू:
रोगकारक:पास्चूरेलामल्टोसीडा जीवाणू
प्रभावित दुधारु पशु: मवेशी और भैंस
संचरण:
- संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क औरनिर्जीववस्तुओके साथ
- निगलने या श्वासलेने के दौरानसंक्रमितहोना
- बरसात के मौसम के दौरान महामारी काहोना
संकेत और लक्षण:
- तापमान में बढोत्तरी (गुदा कातापमान 40-41 डिग्री सेल्सियस), भूख न लगना और तनाव मे होना।
- श्वसन दर में हुई वृद्धि (40-50 / मिनट),सांस लेने मे कठिनाई होना, नाक से साफ श्लेष्मा का निकलना (रोग की प्रगति के साथअपारदर्शीहोना), कंठ मे सूजन जो कि धीरे – धीरे नीचे पैरों तक पहुँचना ।
- दंडवत अवस्थामें आना, तीव्र श्वसन संकट और सेप्टीसीमियाका पाया जाना।
- सामान्यत: गायों की तुलना में भैंसे इस बीमारी सेअधिक प्रभावित होतीहै, और यह आम तौर पर एक छोटी अवधि की बीमारी है।
3) ब्लैक क्वार्टर (बी क्यू)
रोगकारक:क्लोस्ट्रीडियमशोवीआईजीवाणू
प्रभावित दुधारु पशु: मवेशियों की गंभीर बीमारी (6 माह -2 वर्ष) और भैंस में मामूली रूप से
संचरण: दूषित चारागाह और घावों के संदूषणसे
संकेत और लक्षण:
- भूख में कमी।
- प्रभावित पैर में लंगडाहट होनाऔर कूल्हे, पीठ और कंधे पर सूजन लिए हुए चटखने कीआवाज़ आना।
- प्रारंभिक दौर में सूजनका गर्म और दर्दनाक होना।
- दंडवत अवस्थाआनेके (साष्टांग प्रणाम) के 12-48 घंटे के भीतर मौत।
4) साल्मोनेलोसिस
रोगकारक:साल्मोनेला प्रजातिय़ॉजीवाणू
प्रभावित दुधारु पशु: मवेशी और बछड़े
संचरण: दूषित जूते, कपड़े, वाहन टायर, चारा और पानी कंटेनर और अन्य सभी उपकरण रोग फैलाने में सक्षम हैं।
संकेत और लक्षण:
- सैप्टिसीमिया (रक्त विषाक्तता) 6 से 12 घंटे की प्रगति के भीतर मौत।
- बछड़ों का सुस्त होना, तनाव मे होना और स्तनपान न करना।
5) कोलीबैसीलोसीस
रोगकारक:एशेरिशिया कोलाइ जीवाणू
प्रभावित दुधारु पशु: युवा बछड़ोंमेंजिनकी आयु 10 दिनसे कमहो।
संचरण: दूध, दुग्ध उत्पाद, और मांस उत्पादजिनमे रोगजनक सीरमप्रकारहोसकते हैं।
संकेत और लक्षण:
- गंभीर दस्त के साथ श्वेताभ मल और तेजी से निर्जलीकरण ।
- दुधारु पशुओं में रोग प्रबंधन के घटक
1) मौसमी प्रबंधनरोकथाम और नियंत्रण (निगरानी)
आम प्रबंधन और निगरानीकारकोद्वारामहत्वपूर्ण संक्रामकरोगोंके खतरो को कमकरने वाले उपाय इस प्रकारहैं:
- संभावित संक्रमित जानवरोंका एक बंद झुंडबनाए औरकम से कम चार सप्ताह के लिएअस्पताल के अलग कमरे मेंरखे।
- अन्य फार्मसेस्रोत के रूप मेनया स्टॉकजोकिउच्च स्वास्थ्य की स्थितिमेहोअपनाए न कि बाजार से।
- क्षेत्रों (खेतो) मेंएक साथचराईसे बचें।
- बीमार पशुओंको अलग बीमार घर मे रखे न किप्रजननघरमें।
- इमारतोंऔर घर की दरारोकोस्वच्छएव कीटाणुरहितरखने के साथ साथकचरे को हटानेऔरअच्छी जल निकासीकी उत्तम व्यवस्थाकरें।
- बीमार गायों (या ऐसी गाय जोकिबीमार गायों के संपर्क में रही हो)कादूध बछड़ों को नहीं पिलाएँ।
- पक्षियों सहित कीड़े से सभी चारे को सुरक्षित रखें।
- केवल कृषि योग्य भूमि पर जहां भी संभव हो घोल (गारा) फैलाए। घोल (गारा)के प्रसार के बाद कम से कम तीन सप्ताह तकचराई भूमि छोड़ दें।
- आगंतुकोंसेजोरदेकरपरिसरमेंप्रवेश करने और खेत से रवाना होनेसेपहलेजूतो को साफकरनेऔर कीटाणुरहितकरनेके लिए कहे।
2) उन्मूलन द्वारा नियंत्रण
- यदि इलाज संभव नहीं हो तो प्रभावित जानवर को कत्लेआम (वध)के लिएभेजे।
- मृत जानवर को उचित तरीके से दफन करे और दूषित स्थान को ठीक से कीटाणुरहित (कीटाणुनाशकद्वारा)करे।
- नियमित टीकाकरण, आपातकालीन टीकाकरण और अन्य टीकाकरण द्वारा महामारी के फैलने सेहोने वाले आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकनकरे।
- नए खरीदे हुएजानवरों को 21 दिनों के लिए निगरानी की जानी चाहिए।
- संक्रमित जानवर के अलग अलग शेड बनाया जाना चाहिए (एचएस)।
3) टीकाकरण द्वारा नियंत्रण
तालिका:9
क्रमांक | रोग के नाम | पहली खुराक पर उम्र | बढ़ी हुई खुराक | इसके बाद खुराक |
1. | खुरपका और मुहपका रोग | 4 महीने और ऊपर | पहले खुराक के 1 महीने बाद | छह मासिक |
2 | गलाघोंटू | 6 महीने और ऊपर | – | सालाना स्थानिक क्षेत्रों में। |
3. | ब्लैकक्वार्टर | 6 महीने और ऊपर | – | सालाना स्थानिक क्षेत्रों में। |
4) संचार मार्ग द्वारा किसान को शिक्षित करके रोगो कानियंत्रण:
रोग से संबंधित समस्याओं के लिए कैसे किसान को संपर्क करना चाहिए
पशु चिकित्सा अधिकारी | |||||||||||||||
किसान | |||||||||||||||
संदेह | |||||||||||||||
नैदानिक और महामारी जांच | संदेह खारिज | ||||||||||||||
संदेह की पुष्टि | नमूना संग्रह और प्रयोगशाला जांच के लिए भेजो | ||||||||||||||
नैदानिक और महामारी जांच के साथ निदान शुरुआत | |||||||||||||||
नकारात्मक | सकारात्मक |
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