यदि आप अपने गणपति को किसी नदी या तालाब में भी विसर्जित करना चाहते हैं तब भी बिना किसी झिझक के आप इन मूर्तियों का विसर्जन कर सकते हैं। क्योंकि इन में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं होता जो कि पानी या पेड़ों के लिए प्रदुषण का कारण बने!
by निशा डागर
पशुधन प्रहरी नेटवर्क
हर साल देश भर में गणपति उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। लोग गणपति की बड़ी-बड़ी मूर्तियां लाते हैं। पंडाल को सजाने के लिए विभिन्न चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कभी सोचा है कि यह चीजें प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा सकती है। क्योंकि हम सब को मालूम हैं कि उत्सव में गणपति मूर्ति से लेकर पंडाल तक की चीज़ें किन पदार्थों से बनी होती है, अगर नहीं मालूम हो तो हम बता देते हैं।
गणपति की मूर्ति POP (प्लास्टर ऑफ़ पेरिस) से और पंडाल सजावट की चीजें थर्मोकोल, प्लास्टिक और अन्य हानिकारक पदार्थों से बनी होती है, जो कि प्रकृति के लिए बहुत नुकसानदायक है। ऐसे में क्यों न हम कोई ऐसा तरीका अपनाए जिससे त्यौहार भी अच्छे मन जाए और प्रकृति की भी रक्षा हो जाए।
इसलिए ज़रूरी है कि हम प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझे और अपने त्यौहारों को पारम्परिक तरीकों से मनाएं। हम ऐसे कदम उठाए जिससे कि हमारी श्रद्धा और आस्था का भी मान रहे और साथ ही, हमारी प्रकृति भी संरक्षित हो।
बाज़ारों में भले ही आज इस गणपति उत्सव को मनाने के लिए हज़ारों तरीके उपलब्ध हैं, लेकिन इस त्यौहार को आप आसानी से घर में मौजूद पारम्परिक चीज़ों से भी मना सकते हैं। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है।
आज द बेटर इंडिया के साथ जानिए ऐसे ही कुछ पर्यावरण अनुकूल तरीकों और प्रोडक्ट्स के बारे में…
1. मिट्टी से बनी गणपति की मूर्ति
इस साल आप हानिकारक रंगों से रंगी प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से बनी मूर्ति खरीदने की बजाय मिट्टी से बने गणपति खरीद सकते हैं। दस दिन के उत्सव के बाद आप इस मूर्ति को अपने घर के बगीचे या फिर किसी भी पार्क में जाकर विसर्जित कर सकते हैं।
यदि आप अपने गणपति को किसी नदी या तालाब में भी विसर्जित करना चाहते हैं तब भी बिना किसी झिझक के आप मिट्टी की मूर्ति का विसर्जन कर सकते हैं। क्योंकि इस मूर्ति में कोई भी हानिकारक तत्व नहीं होता जो कि पानी या पेड़ों के लिए प्रदुषण का कारण बने।
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2. प्लांटेबल गणपति
आप इस उत्सव में प्लांटेबल गणपति की मूर्ति भी उपयोग कर सकते हैं। जी हाँ, सीड पेपर इंडिया ने इस बार गणपति की प्लांटेबल मूर्तियाँ बनायी हैं, जिनमें उन्होंने तुलसी के बीज लगाए हैं। उनकी सीड गणेश किट में आपको मिट्टी और बीजों से बनी एक गणपति की मूर्ति, एक कोको पीट जैविक उर्वरक, एक जूट का बना गमला, एक प्लेट, दिशा-निर्देश के लिए कार्ड और दो सीड बम मिलते हैं। इस मूर्ति को पानी में विसर्जित करने से भी अच्छा तरीका है कि इसे बो दिया जाए।
उत्सव खत्म होने के बाद इस मूर्ति को आप गमले में लगा दे, मूर्ति के बीज पौधा बनकर आपके घर की हरियाली बढ़ाएंगे।
सीड पेपर इंडिया ने इससे पहले प्लांटेबल झंडे और सीड राखी जैसे प्रोडक्ट्स बनाए थे, जो काफ़ी सफल रहे। यह एक ऐसा संगठन है जो कि सीड पेपर से प्रोडक्ट्स बनाने के लिए जाना जाता है।
3. गोबर से बने गणपति
हम सबको पता है कि गोबर पेड़-पौधों और मिट्टी के लिए बेहतरीन खाद का काम करता है, इसलिए इसे कई रूपों में प्रयोग किया जाता है। पर्यावरण प्रेमी इसे बहुत से प्रोडक्ट्स के लिए प्लास्टिक के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि गोबर के गमले आदि।
इसी राह पर चलते हुए इको-एक्सिस्ट नामक संगठन ने गोबर के गणपति बनाना शुरू किया है ताकि दस दिनों के उत्सव के बाद जब इस मूर्ति का विसर्जन हो तो लोगों की ख़ुशी के साथ-साथ पर्यावरण को भी खुश रखा जा सके।
4. हर साल एक ही मूर्ति से मनाए त्यौहार
कौन कहता है कि गणपति उत्सव को हर साल नई मूर्ति के साथ ही मनाया जा सकता है? किसी भी त्यौहार को बड़े पंडाल या फिर बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बड़ा नहीं बनाती, बल्कि लोगों की श्रद्धा, उत्साह और एक-दूसरे के साथ मिल-जुल कर मनाने से त्यौहार बड़ा बनता है।
इसलिए आप अपने घर के पूजा स्थल में पहले से ही विराजित गणपति की मूर्ति को भी त्सव के लिए स्थापित कर सकते हैं या फिर आप कोई भी ब्रास की बनी नई मूर्ति भी खरीद सकते हैं।
अगर आपको चिंता है कि फिर विसर्जन की विधि कैसे होगी तो यह भी बहुत आसान है। आप अपने घर के आँगन में ही एक बाल्टी या टब में पानी लें और फिर इसमें पूरे विधि-विधान से मूर्ति का विसर्जन करें। फर्क बस इतना है कि दो-चार दिन बाद आप इस मूर्ति को फिर अभिषेक करके अपने घर में ही आस्था के साथ वापस रख ले और अगले साल उत्सव में फिर इसी मूर्ति का इस्तेमाल करें।
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5. खुद बनाए अपने गणपति
इसके अलावा, इस बार आप खुद भी अपने गणपति बनाने की कोशिश करें। इस प्रक्रिया में आप अपने दोस्तों, परिवार और आसपास के लोगों को भी शामिल कर सकते हैं। आप मिट्टी की मूर्ति बनाएं या फिर पुरानी चीज़ों को अपसाइकल कर पुराने कपड़ों का इस्तेमाल करके या फिर नारियल के खौल और जूट से भी मूर्ति बना सकते हैं।
बप्पा के अलावा उत्सव में पंडाल और फिर पूजा-विधि के लिए भी ख़ास इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इस बार आप अपने गणपति उत्सव को पूरी तरह से इको-फ्रेंडली बना सकते हैं। रेग्युलर अगरबत्ती इस्तेमाल करने की बजाय आप फूलों को प्रोसेस करके बनाई गई ऑर्गेनिक अगरबत्ती इस्तेमाल करें। साथ ही, प्लास्टिक की सजावट की जगह बायोडिग्रेडेबल चीज़ों से सजावट करें।
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पूजा में चढ़ाए गए फूलों को यूँ ही कहीं फेंकने की बजाय आप उन्हें खाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
तो फिर इंतज़ार किस बात का? इस गणपति उत्सव उठाइए ये छोटे-छोटे कदम और इस त्यौहार को न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि प्रकृति के लिए भी बनाइए उमंगपूर्ण!
गणपति बप्पा मोरया!
संपादन: भगवती लाल तेली