मुर्गी के चूज़ो में ई. कोलाई (E.coli) से होने वाली बीमारी – जर्दी का सड़ना
BY- Dr. Ibne Ali
ई. कोलाई (E.coli) – एक ऐसा बेकटीरिया है जो आम तौर पर मुर्गियों की आँतो में पाया जाता है और अधिकतर कोई बीमारी पैदा नही करता. परंतु यह बात ध्यान देने योग्य है की आँतो में मिलने वाले ई. कोलाई में से 15% ऐसे होते हैं जो विपरीत परिस्थितियो में बीमारी पैदा करते है. ये बॅक्टीरिया अमूमन सांस लेने के तंत्र और आँतो की बीमारी करता है. परंतु पोल्ट्री के शरीर के दूसरे अंग इससे अछूते नही रहते.
नये पैदा हुए मुर्गी के बच्चो में भी ये काफ़ी भयानक स्थिति बना देता है जिसमे चुज़े के पेट में मौजूद जर्दी सड़ने लगती है और बहुत तेज़ी से फार्म में चुज़े मरने लगते हैं.
चूज़ो में E. coli से होने वाली बीमारी को निम्न नामो से जाना जाता है
– Navel-ill, yolk-sac disease, mushy chick disease, Omphalitis
बीमारी का कारण और फैलने के कारक
– यह बॅक्टीरिया वातावरण में आम तौर पर मिलता है. और पानी मिट्टी दाना सभी को दूषित करता है.
– यह बॅक्टीरिया मुर्गी के पेट में मौजूद अंडो को भी दूषित कर देता है जिससे मुर्गी के बच्चे में पैदा होने से पहले ही संक्रमण हो जाता है.
– दूसरी तरफ यदि मुर्गी में संक्रमण ना हो तो यह बॅक्टीरिया मुर्गी के अंडो को बाहरी वातावरण में दूषित कर देता है और यह सबसे सामान्य तरीका है बीमारी फैलने का. इसलिए मुर्गी के अंडो को हेचरी मशीन में रखने से पहले अच्छी तरह डिसिन्फेक्टेंट से साफ कर लें.
बीमारी के लक्षण
– बीमार चूज़ा दाना खाना छोड़ देता है
– गर्दन झुका कर कोने में खड़ा रहता है
– दस्त करता है और बीट निकालने की जगह (वेंट) गीली बीट से चिपकी रहती है और वेंट में जर्दी भी दिखाई देती है
– नीचे पेट की तरफ खाल के नीचे सूजन देखने को मिलती है
– पानी की कमी हो जाती है
– ज़्यादातर चुज़े 3 से 4 दिनकी आयु में मर जाते हैं
Omphalitis से बचाव:
इस बात में कोई दो राय नही है की बचाव बीमारी के ट्रीटमेंट से अधिक सरल और सस्ता तरीका होता है. लगभग सभी प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए निम्न तरीका लाभकारी है
– फार्म में साफ सफाई रखना बहुत ज़रूरी होता है.
– चूज़ो को डाइरेक्ट लिट्टर पर ना छोड़े बल्कि न्यूज़ पेपर के उपर रखें शुरू के 4 से 5 दिनो तक
– जहाँ तक तो सके पीने के लिए साफ और हल्का ठंडा (150C) पानी दें
– पहले दिन गुड और नमक के पानी के 6 घंटे बाद (शाम के समय) 1 लीटर पानी में 5ml सफेद सिरका (या कोई अन्य Acidifier) दें, ऐसा रोज़ शुरू के 5 दिन करें.
– सुबह के समय पानी में प्रोबिओटिक का मिश्रण दें जिसमे (Aspergilus, Sachromyces, Lactobacilus और Bacillus subtilis) हों, यह तीसरे दिन से सातवे दिन तक दें.
– यदि प्रोबिओटिक ना मिले तो 1 लीटर पानी में 100ml से 150ml छाज या 50g दही मिलकर दें
Omphalitis बीमारी का इलाज:
– पहले दो दिन में 100 में से 3 चूज़ो के मरने का मतलब है की इलाज की आवश्यकता है.
– इसके लिए निम्न दवाइयाँ इस्तेमाल करें.
1) Antibiotic – वैसे तो मार्केट में कई तरह की antibiotic मौजूद हैं पर अंधाधुन इस्तेमाल से उनका असर कम हो रहा है. Enrofloxacin, और neomycin अच्छी दवाई हैं परतू अब इसके रिज़ल्ट कम हो गये हैं. इनके बनिस्बत नयी हुई रेसर्च से साबित हुआ की Ciprofloxacin, Levofloxacin, Chloramphenicol, और Gentamycin अच्छी कारगर साबित हुई हैं.
2) 1 लीटर पानी में 100mg Levofloxacin
3) 1 लीटर पानी में 1-1.5ml सफेद सिरका शुरू के दो दिन (शाम को)
4) तीसरे दिन 1 लीटर पानी में प्रोबिओटिक या दही शाम के समय साथ में विटामिन B complex भी दें