व्यवसायीक ब्रायलर मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य बातें

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व्यवसायीक ब्रायलर मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य बातें

मुर्गी पालन किसान भाई यदि बताए गए निम्न उपायों पर अमल करें तो वे ब्रायलर मुर्गी उत्पादन करके ज्यादा से ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।

1/ ब्रायलर के चूजे की खरीदारी में ध्यान दें कि जो चूजे आप खरीद रहें हैं उनका वजन 6 सप्ताह में 3 किलो दाना खाने के बाद कम से कम 1.5 किलो हो जाये तथा मृतयु दर 3 प्रतिशत से अधिक ना हो ।
2/ मुर्गियां खरीदते समय उनका उचित डॉक्टरी परिक्षण करा लेना चाहिए तथा नई मुर्गियों को कुछ दिनों तक अलग रखकर या निश्चय कर लेना चाहिए कि वह किसी रोग से ग्रस्त तो नहीं है। पूर्ण सावधानी बरतने पर भी कुछ रोग हो ही जाए तो रोगानुसार चिकित्सा करें।
3/ चूजा के आते ही उसे बक्सा समेत कमरे के अन्दर ले जायें, जहाँ ब्रूडर रखा हो । फिर बक्से का ढक्कन खोल दें। अब एक एक करके सारे चूजों को इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिला पानी पिलाकर ब्रूडर के निचे छोड़ते जायें। बक्से में अगर बीमार चूजा है तो उसे हटा दें।
4/ चूजों के जीवन के लिए पहला तथा दूसरा सप्ताह संकटमय होता है । इस लिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी देखभाल से मृत्यु संख्या कम की जा सकती है।
5/ पहले सप्ताह में ब्रूडर में तापमान 90 0 एफ. होना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह 5 एफ. कम करते जायें तथा 70 एफ. से नीचे ले जाना चाहिए। यदि चूजे ब्रूडर के नीचे बल्ब के नजदीक एक साथ जमा हो जायें । तो समझना चाहिए के ब्रूडर में तापमान कम हैं। तापमान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल्ब का इन्तजाम करें या जो बल्ब ब्रूडर में लगा है, उसको थोडा नीचे करके देखें। यदि चूजे बल्ब से काफी दूर किनारे में जाकर जमा हो तो समझना चाहिए ब्रूडर में तापमान ज्यादा हैं। ऐसी स्थिति में तापमान कम करें। इसके लिए बल्ब को ऊपर खींचे यो बल्ब की संख्या को कम करें। उपयुक्त गरमी मिलने पर चूजे ब्रूडर के चारों तरफ फैल जायेंगे । वास्तव में चूजों के चालचलन पर नजर रखें समझकर तापमान नियंत्रित करें।
6/ पहले दिन जो पानी पीने के लिए चूजे को दें, उसमें इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिलायें। इसके अलावा 5 मि.ली. विटामिन ए., डी. 3 एवं बी.12 तथा 20 मि.ली. बी काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें। इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से बन्द कर दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें । वैसे बी- काम्प्लेक्स या कैल्सियम युक्त दवा 10 मि.ली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा दे सकते हैं।
7/ जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अखबार पर मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरु कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
8/ दूसरे दिन से पाँच दिन के लिए कोई एन्टी बायोटिकस दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें। ताकि चूजों को बीमारियों से बचाया जा सके।
9/ तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ – साथ अखबार पर भी छीटें । प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें। चौथे या पाँचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
10/ आठवें रोज से 28 दिन तक ब्रायलर को स्टार्टर दाना दें। 29 से 42 दिन या बेचने तक फिनिशर दाना खिलायें।
11/ शुरु के दिनों में विछाली (लीटर) को रोजाना साफ करें। विछाली रख दें। पानी बर्त्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
12/ पाँचवें या छठे दिन चूजे को रानीखेत का टीका एफ –आँख तथा नाक में एक –एक बूँद दें।
13 / 14 वें या 15 वें दिन गम्बोरो का टीका आई.वी.डी. आँख तथा नाक में एक –एक बूँद दें।
14/ मरे हुए चूजे को कमरे से तुरन्त बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सा महाविद्यालय या पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम कराने से यह मालूम हो जायेगा की मौत किस बीमारी या कारण से हई है।
15/ मुर्गी घर के दरवाजे पर एक बर्त्तन या नाद में फिनाइल का पानी रखें। मुर्गीघर में जाते या आते समय पैर धो लें। यह पानी रोज बदल दें।
16/ मुर्गियों को विभिन्न प्रकार से संक्रामक रोगों से बचाने के लिए कुक्कुट पालकों को मुर्गियों में टीकाकरण अवश्य करा देना चाहिए। बर्ड फ्लू जैसी भयानक बीमारियों से बचने के लिए मुर्गियों को बाहरी पक्षियों/पशुओं के संपर्क से बचाना चाहिए।
17/ यदि कोई मुर्गी बीमार होकर मर गई हो तो उसे स्वस्थ मुर्गियों से तुरंत अलग कर देना तथा निकटस्थ पशु चिकित्क्स से सम्पर्क कर मरी मुर्गी का पोस्टमार्टम करवाकर मृत्यु के सम्भावित कारणों का पता लगाना चाहिए तथा एनी मुर्गियों को बचाने के लिए उपयुक्त कदम उठाना चाहिए।
18/ मुर्गी फ़ार्म की मिट्टी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए और जिस स्थान पर रोगी कीटाणुओं की संभावना हो वहां से मुर्गियों को हटा देना चाहिए।
19/ मुर्गियों को तेज हवा, आंधी, तूफ़ान से बचाना चाहिए।
20 / मुर्गियों के आवास का द्वार पूर्व या दक्षिण पूर्व की ओर होना अधिक ठीक रहता है जिससे तेज चलने वाली पिछवा हवा सीधी आवास में न आ सके। आवास के सामने छायादार वृक्ष लगवा देने चाहिए ताकि बाहर निकलने पर मुर्गियों को छाया मिल सके।
21/ एक मुर्गी फ़ार्म से दूसरे मुर्गी फ़ार्म में दूरी रहनी चाहिए। मुर्गियों का बचाव हिंसक प्राणी कुत्ते, गीदड़, बिलाव, चील आदि से करना चाहिए।
By डॉ राजेश कुमार सिंह, पशु चिकित्सक ,जमशेदपुर ,झारखंड
9431309542
NB-अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नो 18004198800 पर संपर्क करे.

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