समस्त महाजन द्वारा गौशाला के प्रतिनिधियों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आरंभ –
राजस्थान के साथ मे पांच राज्यों से आए 300 प्रतिभागी पंजीकृत –
पशुपालन विभाग के बड़े अधिकारी भी शामिल हुए
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रिपोर्ट : डॉ. आर.बी. चौधरी
(विज्ञान लेखक एवं पत्रकार,पूर्व मीडिया हेड एवं प्रधान संपादक, एडब्ल्यूबीआई,भारत सरकार)
पशुधन प्रहरी नेटवर्क
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16 सितंबर, 2019; परलाई सिरोही ( राजस्थान )
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देश में बेसहारा गोवंशीय पशु के के रख-रखाव की व्यवस्था सुधारने एवं एवं उनकी उपयोगिता का लाभ उठाने के लिए मुंबई की समस्त महाजन संस्था कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को लेकर के देश के सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में अपनी सेवाओं को पहुंचाने की जी-जान से कोशिश करने में लगा हुआ है. समस्त महाजन के फाउंडर ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने आज यहां आज यहां गौशाला एवं जीव जंतु कल्याण संस्थाओं से आए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि छुट्टा या बेसहारा गौवंश कभी निरर्थक नहीं होते और न ही बेचारा , गो पशुओं की उपयोगिता की जितनी बखान की जाए उतना ही कम है. काम करने मेंसमस्त महाजन इस दिशा में देश भर के पशु प्रेमियों को जागृत करने का कर रहा है और उसे कंधा से कंधा मिलाकर के चल रहा है जिसमें आशातीत सफलताएं प्राप्त हुई है.
जैन ने यह अवगत कराया कि समस्त महाजन संस्था की नीव आज से दो दशक पहले भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के वर्तमान सदस्य गिरीश जयंतीलाल शाह ने गुरुदेव आचार्य सम परम पूज्य पन्यासजी श्री चंद्रशेखर विजय जी म. साहेब की प्रेरणा से रखी गई थी जो आज धीरे धीरे वट वृक्ष बन चुका है.एक दर्जन से अधिक राज्यों के 3,500 पशु प्रेमियों एवं जीव दया/ गौ सेवा में लीन संस्थाएं शामिल होकर के जीव दया के अभियान को आगे बढ़ाने में सहायता कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि समस्त महाजन के प्रेरणा स्रोत गिरीशजी जयंतीलाल शाह के मार्गदर्शन में अभी कुछ महीने पहले चारा – पानी के अभाव में राजस्थान की भीषण गर्मी की दशा में सैकड़ों पशु – पक्षी मृत्य के कगार पर थे.ऐसी हालात में राजस्थान के अत्यंत प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर एक वीडियो बनाया और उसे अपने पशु प्रेमी मित्रों – शुभचिंतकों के संज्ञान में लाया जहां उन्हें भारी मात्रा में लोग सहयोग के लिए सामने आए. देखते ही देखते तकरीबन दो करोड़ के धन राशि की सहायता प्राप्त हुई और तत्काल भूख प्यास से तड़प रहे पशुओं के प्राण रक्षा में जुट गए. सभी से आग्रह किया कि अगर किसी गाय को स्वमुख से चरने के लिए चारा, बरसात में एकत्र बरसाति जल – पोखरे का पानी और देसी वृक्ष की छाया नहीं मिले तो उसकी रक्षा करना बहुत कठिन है.
इस अवसर पर फलोदी के युवा पशु प्रेमी रविंद्र जैन ने बताया कि समस्त महाजन के कई प्रयोग किए गए है जहां निरंतर सफलता की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. अब तक राजस्थान के कुल 13 गांव में तैनात की गई जेसीबी मशीन से तालाबों की मरम्मत एवं खुदाई का नतीजा है कि आज सारे तालाबों में पानी लबा – लब भर गया जिसे किसी भी विषम परिस्थिति में प्रयोग किया जा सकता है और पशुओं को तड़प-तड़प कर मरने से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि तालाबों के पुनरुद्धार का कार्य सबसे पहले फलोदी से आरंभ किया गया जिसके तहत समस्त महाजन ने जेसीबी उपलब्ध कराया और अन्य खर्च गौशालाओं के माध्यम से किया गया था. आज हर तालाब में कम से कम गहरा फुट पानी उपलब्ध है जिससे तकरीबन 8 से 10 महीने तक का पानी की जरूरत पूरी की जा सकती है. रविंद्र जैन ने यह भी बताया कि इस साल 165 पौधे लगाए गए जो बेहद हरे भरे हो गए हैं जबकि पहले इनके जगह पर अंग्रेजी बबूल लगे हुए थे. वर्ष 2011 में स्थापित सूरी प्रेम जीव रक्षा केंद्र संस्थान पलाई के फाउंडर मेंबर मनीष भाई ने बताया कि गिरीश जयंतीलाल शाह के मार्गदर्शन में इस संस्था को काफी आगे लाया गया है जिसमें कई ऐसे योजनाएं जोड़ी गई जिससे संस्थान की गौशाला को विकसित करने में बहुत बहुत बड़ी सफलता मिली.
इस अवसर पर आचार्य सम प्रन्यास प्रवर स्वर्गीय चंद्रशेखर जी महाराज साहेब के जीव दया संदेशो को स्मरण करते हुए हुए समस्त महाजन के ट्रस्टी देवेंद्र जैन ने बताया कि समस्त महाजन संस्था की स्थापना स्वर्गीय चंद्र शेखर जी महाराज साहेब के प्रेरणा से गिरीश भाई ने किया, ताकि जीव जंतुओं तथा पशु पक्षियों की सेवा की जा सके . इस अवसर पर पावापुरी तीर्थ के ट्रस्टी महावीर जी जैन की उल्लेखनीय सेवाओं को निस्वार्थ प्रेरणादाई सेवा बताया और कहा कि ऐसे कर्म योगी पुरुषों के माध्यम से आज इंसान और इंसानियत कायम है. पावापुरी के जैन मुनि ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीव दया के बिना समूचा जीवन अर्थहीन है. ऐसे जीवन का कोई अस्तित्व नहीं है. इसलिए जितना हो सकता है सभी को जीव दया में अपनी हिस्सेदारी बटानी चाहिए. प्रशिक्षण के दूसरे दिन जलाराम गौशाला भाभर की तीन शाखाओं का अवलोकन किया जिसका एक प्रखंड पूर्णतया अस्पताल के रूप में कार्य करता है तकरीबन 1000 विभिन्न प्रकार के बीमार पशुओं की देखभाल की जाती है.दुधवा गांव स्थित दूधेश्वर गौशाला,हरि धाम गौशाला और जलाराम भाभर गौशालाओ को देखा.इन गौशालाओं में कुल 10,000 के लगभग गोवंश संरक्षित है. दूसरे दिन के क्रम में बंशीधर गिर गौशाला के कई आधुनिकतम प्रयोग देखें जिसके तहत नस्लें संरक्षण, पंचगव्य दवाओं की प्रचार प्रचार एवं ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए कल्चर निर्माण एवं बिक्री का जायजा लिया. सभी गौशालाओं में बरसाती पानी को संग्रहित करने के लिए अपना तालाब है जिसमें इस बारिश में खूब पानी इकट्ठा हो गया है और गायों को पीने के लिए मीठा पानी मिल रहा है. हजारों की संख्या में देसी वृक्ष लगाए हुए हैं तथा गायों को चरने के लिए चारागाह भी विकसित किया हुआ है.
मनीष भाई ने आगे बताया कि गौशाला कार्यक्रमों को प्रभावी एवं मजबूत बनाने के लिए कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम चलाए गए जिसमें गायों को गोद लेने का कार्यक्रम सबसे प्रभावशाली रहा है. एक समय था जब गोदनामा कार्यक्रम के तहत हमारे पास कोई 100 गायें थी थी किंतु आज कुल 900 गाये हो चुकी हैं. गौशाला को आगे बढ़ाने के लिए इस प्रकार की कई योजनाएं चालू की गई है. इस दान कार्यक्रम के तहत ₹ 15,000 का वार्षिक सहयोग देने वाले ₹ 207 लोग, 3,51,000 का दान देने वाले 22 लोग और ₹50,40,000 का दान देने वाले 41 लोग हैं. इस प्रक्रिया में ₹27,000 की सेवा राशि प्राप्त कर संस्था गौशाला से जुड़े सभी प्रत्यक्ष -अप्रत्यक्ष पशु प्रेमियों को संदेश भेजता है.
उल्लेखनीय जीव दया कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित समस्त महाजन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत आज सूरी प्रेम जीव रक्षा केंद्र परलाई से हुई जहां कुल 250 से अधिक गौशाला एवं जीव जंतु कल्याण संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के प्रतिनिधि शामिल थे. साथ ही साथ झारखंड राज्य से राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड झारखंड के प्रभारी डॉ शिवानंद काशी भी शामिल हुए.