अजोला की खेती
अजोला पानी पर (मिट्टी के बिना) उगने वाला एक फर्न है, जो शैवाल (एल्गे) जैसा होता है । अजोला उथले जलाशयों में उगाया जता है । अनुकूल परिस्थितियों में फर्न बहुत तेजी से फैलता है । यह प्रोटीन, विटामिन और सूक्ष्म पोषक तत्वों से समृद्ध है । अजोला को मिक्चर सप्लीमेंट/ पोषण मिक्चर के साथ मिलाया जा सकता है या पशुओं को सीधे दिया जा सकता है । इसे पचाना आसान है और यह मुर्गी, भेड़, बकरी, सुअर और खरगोश की खिलाया जा सकता है ।
अजोला कैसे तैयार किया जा सकता है?
चरण 1: सबसे पहले क्षेत्र की मिट्टी से खरपतवार निकाल कर उसे समतल किया जाता है । जमीन पर दो मीटर गुणे दो मीटर के गड्डे या इसी आकार की ईटों की एक संरचना का निर्माण किया गया ।
चरण 2: गड्डे या ईटों से बनी इस संरचना पर दो मीटर गुणे दो मीटर आकार की एक यूवी से स्थिर की गई सिलपाउलीन चादर को इस तरह फैलाया जाता है ताकि यह ईटों से बना आयत को भी ढक ले ।
चरण 3: छानी हुई 10-15 किग्रा मिट्टी को सिलपाउलीन चादर पर समान रूप से फैलाया जाता है । 10 लीटर पानी में 2 किग्रा गोबर और 30 ग्राम सुपर फ़ॉस्फेट मिला कर बनाए गए घोल को चादर पर डाल दिया जाता है । जल स्तर को लगभग 10 सेमी तक बढ़ाने के लिए और पानी डाला जाता है ।
चरण 4: अजोला क्यारी में मिट्टी और पानी को हल्के से हिलाने के बाद, लगभग 0.5-1 किलोग्राम शुद्ध मदर अजोला कल्चर्ड बीज सामग्री को पानी के ऊपर समान रूप से फैला दिया गया । अजोला पौधों को सीधा खड़ा करने के लिए रोपण के तुरन्त बाद अजोला पर ताजा पानी (एक कल्चर्ड माध्यम में या पर सू क्ष्मजीवों) या संक्रामक सामग्री के प्रत्यारोपण के लिए छिडका जाना चाहिए ।
चरण 5: एक सप्ताह के समय में, अजोला पूरी सतह पर फ़ैल जाता है और एक मोटी चटाई की तरह विकसित होता है । अजोला के तेजी से बढ़ने और 500 ग्राम की दैनिक उपज बनाए रखने के लिए पाँच दिन में एक बार 20 ग्राम सुपर फ़ॉस्फेट और लगभग एक किलोग्राम गाय के गोबर का एक मिश्रण डाला जाना चाहिए । अजोला में खनिज पदार्थ को बढ़ाने के लिए साप्ताहिक अंतराल पर मैग्नीशियम, लोहा, तांबा और गंधक आदि से युक्त सूक्ष्म पोषक मिश्रण भी मिलाया जा सकता है ।
चरण 6: क्यारी में नाइट्रोजन के जमाव को रोकने के लिए हर 10 दिन में एक बार 25 से 30 प्रतिशत पानी को ताजे पानी से बदलने की जरूरत होती है ।
चरण 7: नाइट्रोजन के जमाव से बचने और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को रोकने के लिए, 30 दिनों में एक बार क्यारी की मिट्टी को लगभग पाँच किलो मिट्टी से बदला जाना चाहिए ।
क्यारी को साफ़ किया जाना चाहिए । पानी और मिट्टी को बदलना चाहिए और हर छह महीने में एक बार नया अजोला प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए । यदि अजोला क्यारी कीट और रोगों से संक्रमित हो जाता है, तो नई क्यारी तैयार कर अजोला के एक शुद्ध कल्चर से रोपित करें ।
अजोला की कटाई कैसे करें?
- अजोला तेजी से बढ़ता है और 10-15 दिन में गड्ढा भर जाएगा । तब से प्रतिदिन 500-600 ग्राम अजोला काटा जा सकता है ।
- 15 दिन के बाद से हर दिन तले में छेद वाली एक प्लास्टिक की छलनी या ट्रे की मदद से फसल की कटाई की जा सकती है ।
- गोबर की गंध से छुटकारा पाने के लिए काटे हुए अजोला को ताजे पानी में धोया जाना चाहिए ।
अजोला उत्पादन में ध्यान देने योग्य बातें
1. अजोला की तेज बढ़वार और उत्पादन के लिए इसे प्रतिदिन उपयोग हेतु (लगभग 200 ग्राम प्रति वर्गमीटर की दर से) बाहर निकाला जाना आवश्यक हैं।
2. अजोला तेैयार करने के लिए अधिकतम 30 डिग्री सेग्रे तापमान उपयुक्त माना जाता है। अतः इसे तैयार करने वाला स्थान छायादार होना चाहिए।
3. समय-समय पर गड्ढे में गोबर एवं सिंगल सुपर फॉस्फेट डालते रहें जिससे अजोला फर्न तीव्रगति से विकसित होता रहे।
4. प्रति माह एक बार वाले गड्ढे या टंकी की लगभग 5 किलो मिट्टी को ताजा मिट्टी से बदलेें जिससे नत्रजन की अधिकता या अन्य खनिजो की कमी होने से बचाया जा सके ।
5. एजोला तैयार करने की टंकी के पानी के पीएच मान का समय-समय पर परीक्षण करते रहें। इसका पीएच मान 5.5-7.0 के मध्य होना उत्तम रहता है।
6. प्रति 10 दिनों के अन्तराल में, एक बार अजोला तैयार करने की टंकी या गड्ढे से 25-30 प्रतिशत पानी ताजे पानी से बदल देना चाहिए जिससे नाइट्रोजन की अधिकता से बचाया जा सके ।