अधिक उत्पादन वाली अच्छी नस्ल की दुधारू गाय का चुनाव
अधिक उत्पादन देने वाली दुधारू गाय का चुनाव : जब कोई नया पशु खरीदा जाता है तो उसे उसकी नस्ल से करीबी (ब्रीड प्यूरिटी) और दुग्ध उत्पादन की क्षमता के आधार पर परखा जाता है। दुधारू गायों के लिए चुनाव एक या दो बार प्रजनन के पष्चात की गायों में से ही होना चाहिए क्योंकि अधिकतम उत्पादन प्रथम पाॅंच प्रजनन के दौरान होता है। बरसात के मौसम मे अच्छा हरा चारा उपलब्ध होता है और ज्यादातर पशु बरसात में या बरसात से पहले ही बच्चे को जन्म देते हैं। प्रतिदिन अधिकतम दूध उत्पादन पहुँचने में कम से कम 45 दिन लग जाते हैं। पशु का अधिकतम दूध उत्पादन प्रजनन के 90 दिनों तक नापा जाता है जिसके चलते ज्यादातर किसान दुधारू जानवर को अक्टूबर व नवंबर माह में खरीदना पसंद करते हैं। दुधारू गाय के चुनाव के लिए पशुपालक किसान को निम्न बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए:-
1. उम्रद्राज पशु की खरीद से बचने के लिए किसान को पशु की सही उम्र का आंकलन उसके दांतो व सीगों के आकार और शरीर की स्थिति द्वारा करना आना चाहिए क्योंकि एक सही उम्र का पशु लम्बे समय तक उत्पादन के साथ-साथ ज्यादा वंषज पैदा करता है।
2. खरीदा जाने वाला पशु उसकी नस्ल के सभी गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए तथा उसमें कोई विकृति नहीं होनी चाहिए। गाय को अच्छे कृषि फार्मों से ही खरीदना चाहिए तथा उसकी इतिहास और वंषावली (हिस्टरी व पेडिग्री शीट) को भी चुनाव में एक आधार बनाना चाहिए।
3. गाय के सांड तथा माॅं की प्रजनन मूल्य (ब्रीडिंग वैल्यू) या उत्पादन क्षमता का पता होना चाहिए। अगर इतिहास और वंषावली का रिकार्ड उपलब्ध न हो तो पिछले मालिक से उसके पिछले सालों का उत्पादन तथा उसके पूर्वजों की उत्पादन क्षमता के बारे में जरूर पूछना चाहिए। खरीदी जाने वाली गाय के पूर्वज कुलीन होने चाहिए।
4. गाय शारीरिक रूप से स्वस्थ और आज्ञाकारी होनी चाहिए। कोई एक विष्वसनीय आदमी को साथ मे जरूर ले जाएँ जो गाय से दूध निकालने में सक्षम हो और गाय को भी नियंत्रण में रख सके।
5. मादा जानवर के शरीर का आकार त्रिभुजनुमा होना चाहिए जिसमे उसकी गर्दन पतली तथा शरीर का पिछला हिस्सा चोड़ा होना चाहिए। आकर्षक मादाजनित गुणों के साथ-साथ सभी अंगों में समानता व सामजस्य होना चाहिए। पशु की आंखें व त्वचा चमकदार और मज्जेल गीला होना चाहिए।
6. पशु के थन पेट से सही तरीके से जुड़े हुए होने चाहिए। पशु के चारों थन अलग-अलग व चूचक सही होने चाहिए। थनैला रोग से ग्रस्त गाय की खरीद से बचने के लिए किसान को यह भी सुनिष्चित कर लेना चाहिए कि थनों में किसी प्रकार की कोई सूजन नहीं होनी चाहिए और गाय का दूध निकालते समय पैर नहीं मारती हो। थनों की रक्त वाहिनियों की त्वचा पर बनावट सही होनी चाहिए क्योंकि मिल्क वेन की बनावट दूध उत्पादन क्षमता को प्रदर्षित करती है।
7. दूध उत्पादन मापन की शुरूवात करने से पहले सायंकाल में पशु किसान सम्बंधित गाय के थन खाली अपनी निगरानी में करवाएं तथा उसके बाद लगातार तीन दिन दूध निकाल कर प्रतिदिन की औसत के आधार पर उसकी दूध देने की क्षमता का आंकलन करना चाहिए।
8. लंगड़ी गाय की खरीद से बचने के लिए किसान को ध्यान रखना चाहिए कि गाय खरीदते समय कि गाय को उठनें, बैठनें और चलनें में दिक्कत नहीं हो। पशुपालक गाय खरीदते समय त्वचा सम्बन्धी रोगों से बचने के लिए ध्यान दें कि गाय दीवार या खुर द्वारा शरीर पर खुजली नहीं कर रही हो। किसान को नयी गाय अपने पशुओं के झुण्ड में शामिल करने के पहले यह भी ध्यान रखना चाहिए की गाय के बाहरी परजीवी जैसे कि चिचड़ आदि ना हो।
9. किसान को यह ध्यान रखना चाहिए कि गाय के किसी हिस्से पर मिट्टी तो नहीं लगी हुई, अगर मिट्टी लगी हुई हो तो उसे उतार के देखना चाहिए क्योंकि मिटटी का प्रयोग पशु के पुराने दाग या ज़ख्म को छुपाने के लिए प्रयोग करते हैं।
10. गाय की कीमत उसकी नस्ल शुद्धता, शारीरिक गुणों तथा उत्पादन क्षमता के आधार पर निर्धारित करनी चाहिए।
सही नस्ल के चुनाव के लिए सुझाव :
नये डेयरी फार्म में आर्थिक स्थिति के अनुसार जानवर होने चाहिए। व्यावसायिक डेरी शुरू करते समय 10 गाय के फार्म से शुरूवात की जा सकती है। इसके पष्चात् बाजार के आधार पर आगे बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक मध्य वर्गीय भारतीय जनमानस सामन्यतः कम वसा वाला दूध ही लेना पसंद करते हैं इसके चलते व्यावसायिक फार्म का मिश्रित स्वरूप उत्तम होता है। इसमें संकर नस्ल और देसी गायें एक ही छप्पर के नीचे अलग-अलग पंक्तियों में रखी जा सकती है। अच्छी नस्ल व गुणवत्ता की गाय की कीमत 2500 से 3000 रूपये प्रति लीटर होती है। उदाहरण के लिए 10 लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली गाय की कीमत 25000 से 30000 तक की होगी। भारतीय मौसम की परिस्थितियों में होलेस्टिन व जर्सी का संकर नस्ल सही दुग्ध उत्पादन के लिए उत्तम साबित हुए है। संकर नस्ल की गाय के दूध में वसा की मात्रा देषी गाय के दूध से कम होती है। दूध उत्पादन के लिए दुधारू नस्ल (साहिवाल, लाल सिंधी, गीर और थारपकर) या खेतों में हल चलाने व बैलगाड़ी खींचने के अनुरूप पशु जुताई वाली नस्ल (अमृतमहल, हल्लीकर और खिल्लार) या दोनों गुणों वाली नस्ल (हरियाणा, ओन्गोले, कंकरेज और देओनी) या विदेषी नस्ल (जर्सी या होल्स्टेन फेषियन) या विदेषी नस्लों के विभिन्न शंकर (फ्रिएस्वाल, कारन स्विस, करन फ्राइस और हरधेनु) उपलब्ध है। पशु किसान को अपनी जरूरत के अनुरूप, उपलब्धता, पर्यावरण के अनुरूप (जो स्थानीय गर्मी और सर्दी) तथा कीमत के आधार (पशुपालक की गाय खरीदने की क्षमता) पर गाय पालनी चाहिए जोकि उसकी अधिकतर आवष्यकताओं को पूरा करे। अपने पर्यावरण के अनुकूल पशु की नस्ल के बारे में अधिक जानकारी स्थानीय पशु चिकित्सक से संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।