By-Dr.Savin Bhongra
What’s 7404218942
अक्सर पशुपालक यह सवाल पूछते हैं कि अधिक दूध उत्पादन देने वाले पशुओं के पशु आहार में क्या परिवर्तन किया जाए। अधिक उत्पादन देने के लिए पशुओं को क्या अतिरिक्त आहार दिया जाए। इसका जवाब हैं कि अधिक दूध उत्पादन देने वाले पशुओं मे बाईपास प्रोटीन, बाईपास फैट और चीलेटेड मिनरल दिया जाना चाहिए। दरअसल जुगाली करने वाले पशुओं में पशु आहार का अधिकतम पाचन रुमन नामक भाग में सूक्ष्मजीवी करते हैं। सूक्ष्मजीवियों द्वारा किए जाने वाले पाचन के दौरान काफ ी मात्रा में प्रोटीन का अपघटन हो जाता हैं। इससे प्रोटीन का अपव्यय होता हैं और पशु आहार में दी गई सम्पूर्ण प्रोटीन का उपयोग पशु के लिए नही हो पाता हैं। इससे बचने के लिए प्रोटीन को रुमन से बाईपास निकालना अत्यंत जरूरी होता हैं। इसके लिए पशुओ को बाईपास प्रोटीन और बाईपास फैट दिया जाता हैं। इसी प्रकार सामान्य मिनरल-मिश्रण की तुलना में चिलेटेड मिनरल का प्रयोग किया जाना चाहिए।
अधिक उत्पादन देने वाले पशुओं को देवे
बाईपास प्रोटीन
बाईपास फैट
चीलेटेड मिनरल
बाईपास प्रोटीन
बाईपास प्रोटीन के उदाहरण:- बिनौला की खल,अलसी की खल, सुबबूल, ज्वार, सोयाबीन, बाजरा, मक्का, सूरजमुखी के बीज और माँस-मछली उद्योग के उप-उत्पाद।
बाईपास प्रोटीन तैयार करने की विधि
ताप उपचार
इस विधि में कुछ विशेष पोषक पदार्थो को 100 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान पर ताप उपचार किया जाता हैं। जैसे परंपरागत विधियों में पिसे-दले हुए मक्का और गेंहू को उबालना, मूँगफ ली की खल को उबलना, सोयाबीन को उबालना।
टेनिन से क्रिया
इस विधि मे टेनिन-प्रोटीन कॉम्प्लेक्स बनाया जाता हैं। इसमें हाइड्रोलाईसेबल टेनिन की 2-4′ की दर से क्रिया कारवाई जाती हैं। नोट:-ज्वार में प्राकृतिक रूप से यह पाया जाता है।
फ ार्मेल्डिहाइड उपचार
1 ग्राम फ ार्मेल्डिहाइड की क्रिया, प्रति 100 ग्राम खल-प्रोटीन से करवाकर इसको प्लास्टिक बैग में 4 दिन बंद कर देते हैं।
अमीनो अम्लों का बचाव
अमीनो अम्लों को कैप्सुल में भरकर पशुओं को खिलाया जाता हैं।
घर पर तैयार करें बाईपास प्रोटीन
वैसे तो बाजार में बाईपास प्रोटीन के अलग-अलग ब्रांड उपलब्ध हैं । परंतु पशुपालक घर पर भी इसको तैयार कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले खल/खली की पिसाई की जाती हैं। फि र , उसकी क्रिया 4 प्रतिशत फोर्मीलीन से करवाई जाती हैं। इसके बाद इसको प्लास्टिक बैग मे 3-4 दिन रख देते है। ताकि, अवायवीय परिस्थितियों में अच्छे से क्रिया हो जाए। इसके बाद प्लास्टिक बैग को हवा में खोल देते है। ताकि, फ ोर्मीलीन की गंध हट जाए। इसके बाद इसको पशुओं को खिलाया जाता हैं।
बाईपास फैट
प्राकृतिक रूप से उपलब्ध बाईपास फैट के उदाहरण, बिनौला सीड, सोयाबीन।
बाईपास फैट तैयार करना
फैट का हाइड्रोजनीकरण करके।
लंबी श्रृखंला वाले वसीय अम्लो के कैल्सियम लवण बनाकर
तेल वाले बीजों का फ ार्मेल्डिहाइड उपचार करके।
फ्यूजन विधि
बाजार में अलग अलग ब्रांड के बाईपास फैट उपलब्ध हैं जैसे केमिन, मेगालेक और डेयरीलेक इत्यादि। इनमें से केमिन बाईपास फैट को 100-400 ग्राम मात्रा प्रति गाय, प्रतिदिन की दर से खिलाया जा सकता हैं। इसकी मात्रा का निर्धारण गाय की दूध उत्पादन क्षमता के हिसाब से करते हैं। ज्यादा दूध देने वाली गाय के लिए 400 ग्राम की मात्रा का उपयोग करते है।
चीलेटेड मिनरल
चीलेटेड मिनरल में मिनरल के साथ अमीनो अम्ल और पेप्टाईड़ इत्यादि जोड़ दिये जाते हैं। अर्थात यह अपने कार्बनिक रूप में होते है। जिससे पशुओं मे इनका अवशोषण, पाचन और उपभोग आसानी से हो जाता हैं। यह उत्सर्जी पदार्थो में निकलकर बेकार नही जाते है। अत: सामान्य मिनरल मिश्रण की तुलना में चीलेटेड मिनरल का प्रयोग किया जाना चाहिए। बाजार में अलग-अलग ब्रांड के चीलेटेड मिनरल मिक्सचर उपलब्ध है जैसे चीलेटेड एग्रीमीन फोर्ट, मिल्क प्लस फोर्ट, हिमचीलेट और रीगमीन फोर्ट इत्यादि।
यह होता है लाभ
दूध उत्पादन में वृद्धि
अधिक उत्पादन वाले पशुओं में होने वाले कीटोसिस रोग की संभावना में कमी।
पशुओ के पाचन में सुधार।
पशुओ के स्वास्थ्य में सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि।
पशुओं की प्रजनन क्षमता में वृद्धि।