“एनिमल वेलफेयर” पर हिंदी में देश की पहली मासिक पत्रिका पशु प्रेमियों को समर्पित

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“एनिमल वेलफेयर” पर हिंदी में देश की पहली मासिक पत्रिका पशु प्रेमियों को समर्पित
सीपीसी- दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक ने इसे अभिनव प्रयास कहा-
पत्रिका प्रकाशन की ओर से पत्रिका प्रति निशुल्क वितरण जारी

पशुधन प्रहरी नेटवर्क

डॉ. आर. के. सिंह एवं डॉ. शिवानंद काशी

नई दिल्ली ; 16 मार्च, 2020

एक अध्ययन के अनुसार आम आदमी को अपनी भाषा में ज्ञान-विज्ञान की पत्रिकाओं नहीं उपलब्ध हो पा रही है क्योंकि ऐसे प्रकाशन धीरे-धीरे बंद होते जा रहे हैं.हालांकि, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी विकास गति दुनियाभर में तेजी के साथ बढ़ रही है किंतु प्रिंट मीडिया के माध्यम से “लैब से लैंड” पहुंचाने की गति बहुत धीमी हो गई है. इस दिशा में पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विज्ञान में पहली बार हिंदी में शोध पत्र करने वाले विज्ञान लेखक, डॉ. आर. बी. चौधरी ने पशु चिकित्सा विज्ञान के एक महत्वपूर्ण विषय “पशु कल्याण” पर एक हिंदी मासिक पत्रिका-“एनिमल वेलफेयर” की प्रकाशन आरंभ की है जिसका लोकार्पण प्रसार भारती- सीपीसी दूरदर्शन, नई दिल्ली के एडीशनल डायरेक्टर जनरल डॉ ए. के. श्रीवास्तव ने किया और इसे अभिनव प्रयास बताया.पत्रिका की प्रति प्राप्त करने के लिए संपादक डॉ. आर. बी. चौधरी से संपर्क किया जा सकता है.

लोकार्पण के अवसर पर डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि पशुपालन एवं पशु चिकित्सा के दिशा में व्यावहारिक विज्ञान को आम भाषा में लिखना और लोगों के बीच में पहुंचाना एक चुनौती भरा कार्य है.खेती-बाड़ी एवं पशुपालन जैसे व्यवहारिक विज्ञानकी नई सूचना के प्रसार के दिशा में ऐसे प्रयास किए जाने चाहिए ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पशुपालन एवं पशु चिकित्सा जैसे विषय के माध्यम से किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य,सुरक्षित एवं पर्यावरणीय चुनौतियों को मद्दे नजर रखते हुएउत्पादन की तकनीकअपनाई जानी चाहिए ताकि भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं पर विजय प्राप्त किया जा सके.डॉ. श्रीवास्तव में यह भी बताया कि सीपीसी दूरदर्शन खेती-किसानी और पशुपालन पर आधारित कुछ नए ऐसे कार्यक्रमों की शुरुआत करने जा रहा है जिसके माध्यम से विशेषज्ञों-वैज्ञानिकों के अनुभव तथा ज्ञान को एक तरफ जहां फील्ड में ले जाया जाएगा वहीं दूसरी तरफ फील्ड में काम करने वाले अभिनव प्रयास तथा पारंपरिक ज्ञान के संचार की योजना बनाई गई है.उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में शीघ्र ही एक विशेष कार्यक्रम का प्रसारण किया जाएगा.

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पत्रिका लोकार्पण के अवसर पर “एनिमल वेलफेयर”,हिंदी मासिक पत्रिका के संपादक डॉ. आर.बी.चौधरी ने बताया कि विज्ञान लेखन एवं प्रसार में वह पिछले तीन दशकों से जुड़े हुए हैं और सबसे पहले उन्होंने राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान स्थित एनिमल न्यूट्रिशन सोसायटी आफ इंडिया के मार्गदर्शन में “पशु पोषण अनुसंधान दर्शन” नामक पत्रिका का 5 साल तक सफल संपादन किया और फिर बाद में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के द्वारा प्रकाशित पत्रिका-“एनिमल सिटीजन” एवं “जीव सारथी” नामक पत्रिकाओं का दो दशक तक संपादन किया.इस बीच में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से संचालित प्रकाशन समूह “सेवाग्राम जनरल प्राइवेट लिमिटेड” में “पशुपालक गाइड” नामक पत्रिका का भी संपादन किया.पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के पशु विज्ञानविभाग से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त पशु पोषण विज्ञानी, डॉ. चौधरी पुआल एवं भूसा जैसे घटिया सूखे चारे की कोशिकाओं में पाए जाने वाले “लिगनिन” को जैविक विधि से विखंडित कर पौस्टिक बनाने की तकनीक विकसित करने पर शोध कार्य किया. साथ ही साथ सरकारी महकमे में कार्य करते हुए तमिलनाडु वेटरनरी साइंस यूनिवर्सिटी,चेन्नई एवं वेंकटेश्वरा वेटरनरी यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के सहयोग से गायों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन के अंधाधुंध प्रयोग से होने वाले दुष्परिणाम पर भी अनुसंधान कार्य किया जिससे प्रभावित होकर “भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड” ने “ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया” को इसके दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया और इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

वर्तमान में डॉ. चौधरी हिंदुस्तान समाचार फीचर सर्विस, विज्ञान फीचर सर्विस-“स्रोत”, भारत सरकार के “विकास पीडिया” और गूगल राइटिंग स्कीम के नियमित कंटेंट राइटर है. साथ ही साथ लखनऊ से प्रकाशित हिंदी दैनिक “तरुणमित्र” के तमिलनाडु राज्य के ब्यूरो चीफ एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता पशु कल्याण संस्था- “समस्त महाजन” के मीडिया एवं ट्रेनिंग सलाहकार भी हैं. दिल्ली में आयोजित 18वीं भारतीय विज्ञान संचार कांग्रेस में डॉ. चौधरी अपना पक्ष रखते हुए कांग्रेस से कहा था कि पशुपालन, पशु कल्याण एवं पशु चिकित्सा विज्ञान के अनुसंधान एवं विकास को भारतीय प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक/सोशल मीडिया में पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए.इस पर केंद्र सरकार को नीति निर्धारण करने की परम आवश्यकता है ताकि विज्ञान लेखन के कार्य को बढ़ावा मिल सके. निशुल्क पत्रिका की प्रति प्राप्त करने के लिए संपादक का संपर्क सूत्र :chaudharyrb.dr@gmail.com/ 9789859008/8610837079

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