कब्ज/ constipation

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कब्ज/ constipation
इसके अन्तर्गत प्राणी की मल त्याग की मात्रा कम हो जाती है तथा वह सूखा (dry)कठोर मल( hard faeces) त्यागता है , जिसे त्यागने मे भी उसे तकलीफ ( difficult defaecation) होती है
रोग कारक / etiology
,प्राणी को अधिकांस मात्रा मे शुष्क खाध पदार्थ (dry feed) प्रदान करना
,लम्बे समय तक शरीर की निर्जलीकरण स्थिती ( chronic dehydration) का होना
,आंत मे किसी प्रकार की रुकावट – ऐठन( torsion)
,विभिन्न रोग जिनमे शरीर मे/आँत मे पानी की कमी ( lack fo water)उत्पन्न हो जाती है, उल्टी (vomiting),दस्त के बाद ( after diarrhoea), ascites,
,गर्भावस्था की अन्तिम स्थिती ( terminal pregnancy)
,कमजोरी (weakness)
,व्यायाम की व्यवस्ता नही हो पाना
,जस्ते की विषाक्तता ? (zinc poisoning )
,आमाशय की बीमारियाँ -Atony of rumen

लक्षण /symptoms
1,रोगी प्राणी मे मल त्याग की मात्रा कम हो जाती है व गम्भीर स्थिती मे मल त्याग किया ही नही जाता !
2,मल सूखा हुआ तथा कठोर एवं कम मात्रा मे !
3, पशु सुस्त ,निडाल बैठा रहता है !
4,मल टूकडो मे निष्कासित होता है
5, मल के साथ श्लेष्म व रक्त भी निष्कासित हो सकता है,
6, पशु धीरे- धीरे कमजोर होता चला जाता है तथा अंत मे पशु मे पीछे के पैरो मे लकवे जैसे लक्षण दिखाई देते है !
7, गुदा परिक्षण ( rectal examination)करने पर सूखा व कठोर मल पाया जाता है !
8, प्राणी नीचे गिर जाता है ( recumbency)

उपचार/treatment
रोगी पशु को खनिज तेल दिया जाना चाहिए जो मुँह द्वारा या ऐनिमा के रुप मे दिया जा सकता है e.g.सरसोका तेल ,तिल्ली का तेल ,तरल पैराफिन , अरण्डी का तेल आदि ! आवश्यकतानुसार इनकी 200-400ml.मात्रा काम मे ली जा सकती है,
,इसके अलावा वयस्क गौवंश मे निम्न औषधि मिश्रण भी दी जानी चाहिए
मैग्नीशियम सल्फेट -250gm
सोडियम क्लोराइड/नमक -250gm
पानी- 500-1000ml.
,कैल्शियम भी मुँह या parenternally(CBG) दिया जाना चाहिए !
रोगी प्राणी को थोडा व्यायाम भी करवाना चाहिए ,
,इसके अलावा रोगी पशु की स्थिती के अनुसार उसे सहारात्मक उपचार व लक्षणात्मक उपचार भी उपलब्ध कराना चाहिए
गभीर हालत मे रूमनोटोमी भी कि जा सकती है !

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