कार्बनिक उत्पाद अंतनिर्हित कृषि उत्पादन है जो कि पर्यावरण के सिद्धांत पर आधारित है। यह कार्बनिक उत्पादन जैवविविधता को बढ़ाता है एवं जैविक चक्र साथ ही मृदा में जैविक कियाओं के लिये भी लाभकारी होता है। दूसरे शब्दों में कह सकते है कि कार्बनिक दुग्ध उत्पादन वह है जो कि एन्टीबायोटिक, हार्मोन एवं कीटनाशको से मुक्त दुग्ध उत्पादन हो यह तभी संभव हो सकता है कि जब हम कम से कम एन्टीबायोटिक, हार्मोन्स एवं कीटनाशको का उपयोग करें। विशेष तौर पर गाय शत-प्रतिशत कार्बनिक दुग्ध उत्पादन के लिये उपयुक्त होती है। जब गाय को कार्बनिक पदार्थ युक्त पोषण कीटनाशको रहित हो, इसके साथ ही गाय को कभी भी संश्लेषित वृद्धि हार्मोन अथवा एन्टीबॉयोटिक पदार्थ से उपचार नहीं किया जाये। यह ध्यान रखना चाहिये कि कार्बनिक दुग्ध अकार्बनिक दुग्ध से पृथक से भंडारित रखा जाना चाहिये। कार्बनिक दुग्ध उत्पादन रोगाणु मुक्त एवं दुधारू पशु जो कार्बनिक दुग्ध उत्पादन से संबंधित है, वह कीटनाशक रहित पोषक लेना चाहिये। हरा चारा कार्बनिक पोषण अनुपात के लिये उपयुक्त होता है। बीमार जानवरों के इलाज के लिये होम्योपैथिक दवाईयों एवं पद्धति का प्रयोग करना चाहिये। आयुर्वेदिक उपचार भी कार्बनिक दुग्ध उत्पादन के लिये सबसे लाभकारी है।
कार्बनिक दुग्ध उत्पादन कई देशों में प्रचलित होने लगा है। हाल के वर्षों में कार्बनिक दुग्ध उत्पादन का प्रयोग किया जा रहा है जो कि पर्यावरण के लिये उपयोगी, उपभोक्ता जो इस दूध का उपयोग करेगा उसके लिये भी गुणकारी होगा। कार्बनिक दुग्ध उत्पादन के द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा तो होती ही है साथ ही रोग मुक्त स्वास्थ्य भी बना रहता है।
कार्बनिक दुग्ध उत्पादन से होने वाले लाभ
कार्बनिक दूध कीटनाशक रहित होता है जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। हानिकारक कीटनाशक पदार्थ कई बीमारियों जैसे : अस्थमा, कैन्सर, नंपुसकता एवं जन्मजात विकरों के लिये जिम्मेदार रहते है। कीटनाशको के उपयोग से कई तंत्रिका तंत्र संबंधित विकार एवं हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।
लंबे समय से उपयोग करने पर स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा कई आनुवंशिक बीमारियों का कारण भी होता है।
कार्बनिक दुग्ध के प्रयोग से कई हानिकारक पदार्थों से बचा जा सकता है जो कि हमारे शरीर में घातक बीमारियां पैदा करते हैं।
आधुनिक खोजों के द्वारा यह प्रमाणित हुआ है कि कार्बनिक दूध विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है। इसके साथ ही ओमेगा-3 एवं आवश्यक वसीय अम्ल, एन्टीऑक्सीडेन्ट पदार्थ होते हैं जो कि संक्ररमणों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
कार्बनिक दूध का प्रयोग दिमागी तंदरूस्ती एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिये अतिआवश्यक है।
कार्बनिक उत्पादन के उद्देश्य
कार्बनिक डेयरी उत्पादन का उद्देश्य उस कार्बनिक उत्पादन से होता हैं जिसमें चारे का उत्पादन एवं उसका रख-रखाव तथा परजीवियों से नियंत्रण, होम्योपेथी एवं नेचेरोपेथी उपचार को बढ़ावा देना जो कि पर्यावरण के मित्र के तौर पर कार्य करते हैं।
बड़ी मात्रा में पशुओं के मूत्र एवं गोबर का उपयोग खाद बनाने के लिये किया जा सकता है जो सबसे उपयुक्त एवं सस्ता साधन है।
वर्मीकम्पोस्ट बनाना जिसमें केचुएं का उपयोग करके कीटनाशक रहित, एन्टीबॉयोटिक रहित कार्बनिक खाद तैयार कर सकते हैं जिसकी लागत रसायनिक खाद की तुलना में काफी कम रहती है तथा इसका उपयोग करके कार्बनिक दुग्ध उत्पादन कर सकते है।
किसानों को कार्बनिक दुग्ध उत्पादन का प्रशिक्षण देकर कार्बनिक दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिये कार्बनिक दुग्ध व्यवसायी एवं सहकारी सोसायटी से दूध को खरीदने एवं बेचने का कार्य करती हैं।
कार्बनिक दुग्ध उत्पादन का मतलब है कि ऐसा दुग्ध उत्पादन जो प्राकृतिक घटको से समाहित हो तथा हानिकारक कीटनाशको से मुक्त हो एवं साथ ही हार्मोनों से मुक्त हो, जो कि पशु के उपचार के दौरान दूध में संश्लेषित होते है। वे सभी हानिकारक पदार्थ दूध में चारे के रूप में खेती के लिये उपयोग किये गये कीटनाशक पदार्थ होते हैं जो चारे से पशु, पशु से दूध में संश्लेषित होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कार्बनिक खेती से अभिप्राय है कि शुद्ध पवित्र उत्पादन जो कि स्वास्थ्य के लिये, कृषि पर्यावरण के लिये एवं जैविक विविधता एवं मृदा में होने वाली जैविक क्रियाओं को बढ़ाने में सहयोगी हो।