कैसे करें गर्मी में दुधारू पशुओं का प्रबन्धन?

0
470

कैसे करें गर्मी में दुधारू पशुओं का प्रबन्धन?

अनूप कुमार सिंह*, रमेंश चंद्रा, लैशराम किप्जेन सिंह, राम देव यादव एवं निनाद भट्ट

१ पी एच डी शोध विद्वान (पशुधन उत्पादन प्रबन्धन)

२ वरिष्ठ वैज्ञानिक (पशुधन उत्पादन प्रबन्धन)

३ पी एच डी शोध विद्वान (एनिमल रीप्रोडक्सन, गयनेकोलोग्य एंड ओब्स्ट्रेटिक्स)

  • पी एच डी शोध विद्वान (पशु पोषण)

५ पी एच डी शोध विद्वान (पशुधन उत्पादन प्रबन्धन)

*Corresponding Author- anupvets@gmail.com

राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान संस्थान, करनाल- १३२००१

 

वर्तमान में देश का कुल दुग्ध उत्पादन १८७.७५ मिलियन टन हैं और भारत, विश्व दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं (बुनियादी पशुपालन आँकड़े- २०१८-१९)। जिसमें ४९%, ४८% एवं ३% दुग्ध उत्पादन का योगदान क्रमश: भैंसों, गायों और बकारियों से हैं। इन गायों में भी २६% दुग्ध उत्पादन का योगदान संकर गायों से हैं। अतः संकर गायेँ महत्वपूर्ण डेयरी पशुओं के रूप में उभर कर आ रही हैं। संकर गायेँ गर्मी के तनाव से बहुत संवेदनशील होती हैं। गर्मी का तनाव, दुधारू पशुओं के उत्पादन और प्रजनन क्षमता में कमी का एक प्रमुख कारण हैं। गर्मियों के दौरान दूध का उत्पादन ५० % तक कम हो जाता हैं  जो की चिन्ता का विषय हैं।

क्या हैं गर्मी का तनाव?

गर्मी का तनाव, उन सभी उच्च तापमान से संबंधित तनाव को सूचित करता हैं, जो पशुओं में तापविनियामक (thermoregulatory) परिवर्तनों को प्रेरित करता हैं और ये परिवर्तन पशुओं में हाँफने और पसीना बहने के रूप में दिखतें हैं जिससे शरीर का तापमान कम हो सके परन्तु जब मौसम अत्यधिक गर्म आर्द्र या गर्म शुष्क होता हैं तो इन परिवर्तनों से भी शरीर का तापमान कम नहीं हो पाता हैं तब पशुओं में गर्मी का तनाव दिखता हैं। इस दशा में वातावरण का तापमान पशुओं के ऊपरी सहनशील तापमान (upper critical temperature) से ज्यादा हो जाता हैं। ऊपरी सहनशील तापमान भैंसों, विदेशी गायों, देशी गायों तथा संकर गायों के लिये निम्नलिखित होता हैं-

 

पशु प्रकार ऊपरी सहनशील तापमान (upper critical temperature)
विदेशी गाय (एचएफ़, जर्सी आदि) एवं संकर गाय (वृंदवानी, करन-फ्रीस, आदि) २४-२६
देशी गाय (साहीवल, गिर आदि) ३२-३५
भैंस ३६

 

कैसे मापें गर्मी के तनाव को ?

वातवरण के तापमान और आपेक्षिक अद्रता को एकसाथ डिजिटल थेर्मोहायग्रोमीटर से माप सकते हैं अथवा अलग-अलग थेर्मोंमीटर और हायग्रोमीटर से क्रमश: माप सकते हैं। जब पशुशाला के अन्दर का तापमान २५ डिग्री सेन्टीग्रेड और सापेक्षिक आर्द्रता ५० से ज्यादा होने लगता हैं तो धीरे-धीरे तनाव शुरू हो जाता हैं। आजकल तापमान और आद्रता को एकीकृत करके एक सूचक का इस्तेमाल करते हैं जिसे तापमान आर्द्रता सूचकांक (temperature humidity index) कहते हैं। जिसको सारणी से पढ़ते हैं जो निम्नलिखित हैं –

READ MORE :  Idioms Relating to Animals, Birds, Fish or Insects   
सापेक्षिक आर्द्रता %
२० ३० ४० ५० ६० ७० ८० ९० १००
तापमान

डिग्री सेन्टीग्रेड

(°C)

२२ ६६ ६६ ६७ ६८ ६९ ६९ ७० ७१ ७२
२४ ६८ ६९ ७० ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५
२६ ७० ७१ ७२ ७३ ७४ ७५ ७७ ७८ ७९
२८ ७२ ७३ ७४ ७६ ७७ ७८ ८० ८१ ८२
३० ७४ ७५ ७७ ७८ ८० ८१ ८३ ८४ ८६
३२ ७६ ७७ ७९ ८१ ८३ ८४ ८६ ८८ ९०
३४ ७८ ८० ८२ ८४ ८५ ८७ ८९ ९१ ९३
३६ ८० ८२ ८४ ८६ ८८ ९० ९३ ९५ ९७
३८ ८२ ८४ ८६ ८९ ९१ ९३ ९६ ९८ १००
४० ८४ ८६ ८९ ९१ ९४ ९६ ९९ १०१ १०४

 

तापमान आर्द्रता सूचकांक (temperature humidity index) सीमा (range)
आरामदायक ६५-७२
हल्का तनाव ७३-७९
कष्टमय तनाव ८०-८९
बहुत गंभीर >९०
प्राणघातक >१००

 

गर्मी के प्रति अतिसंवेदनशील पशु

देशी नश्ल की गायें ज्यादा तापमान सहनशील होती हैं जबकि विदेशी नश्ले और संकर गायेँ गर्मी के तनाव से अतिसंवेदनशील होती हैं। भैंसों की त्वचा काली होने के कारण ये सूरज की रोशनी को ज्यादा अवशोषित कर लेती हैं साथ ही साथ इनमें स्वेत ग्रंथियां (गाय की अपेक्षा १/६) भी कम होती हैं जिससे गर्मी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती हैं।

पशुओं में गर्मी के तनाव के लक्षण

पशुओं में निम्नलिखित लक्षण देखे जाते हैं-

  • दूध घटना (१०-२० % या ज्यादा)
  • तेज हाँफना
  • मुख से ज्यादा लार टपकना
  • ज्यादा पसीना होना
  • हृदय गति एवं सांस तेज चलना
  • पशु को खुला छोड़ने से छाँव की तरफ भागना

छ-   उग्रता और बेचैनी (बार बार उठना बैठना)

  • चारा कम खाना
  • पानी ज्यादा पीना
  • भैंसों में मद (heat) का नहीं आना या मूक मद (silent heat) आना

ट-     हीट स्ट्रोक के मामले में, शरीर का तापमान बहुत अधिक होता हैं-कभी-कभी 106-108 ° F जितना अधिक होता हैं।

 

पशुओं में गर्मी के तनाव का प्रबन्धन

 

पशुओं को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

  • तत्काल उपाय
  • पशु को छाँव वाली जगह पे बांधे।
  • पशुओं को एलेक्ट्रोलाईट का घोल पीलायें जैसे- एलेक्ट्रोबास्ट या एलेक्ट्रोबेस्ट (छोटे एवं बड़े पशुओं को क्रमानुसार २०-३० ग्राम एवं १०० ग्राम प्रतिदिन पानी में घोलकर ४ से ५ दिन पीलायें)।
  • पशु ज्यादा सुस्त और निर्जलीकरण (dehydrate) दिखने से नजदीकी पशुचिकित्स्यक की परामर्श से ड्रिप (drip) लगवाएँ।
  • लंबे समय के लिए उपाय
  • वासस्थान में बदलाव
  • पशुशाला की लम्बाई आवश्यकतानुसार, पूर्व- पश्चिम दिशा में होनी चाहिये जिससे सीधी धूप पशुओं को नहीं लगे।
  • पशुशाला की ऊँचाई कम से कम ३ मीटर (लगभग १० फीट), चौड़ाई ३-५ मीटर (लगभग १०-१६) फीट होनी चाहिये।
  • पशुशाला की छत सूखी घास, पुआल, लकड़ी, प्लास्टिक, गैलेनाईज़्ड स्टील, सीमेंट अस्बेस्टोस आदि की हो सकती हैं परन्तु सीमेंट अस्बेस्टोस उतम हैं।
  • पशुशाला की छत और बाहरी दीवारों को सफ़ेद पेन्ट से पुताई करें तथा छत के अन्दर से नकली छत (false celing) का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे तापमान कम हो सके।
  • छत का आकार ‘A’ प्रकार का होना चाहिये तथा दो तरफ से खुली होनी चाहिये जिससे गर्महवा और अनावश्यक दुर्गन्ध बाहर निकलती रहे तथा पशुशाला अन्दर से ठंडा रहे।
  • पशुशाला में अन्दर और बाहर का बाड़ा दोनों होना चाहिये जिससे पशु दिन में बाड़े के अन्दर और रात में सुविधानुसार बाहर बाड़े में बैठ सके (बन्धन मुक्त प्रणाली)।
  • पशुशाला में ज्यादा भीड़ नहीं होनी चाहिये। प्रतिपशु कम से कम ५.५×९ फीट पक्का स्थान तथा ४० वर्गफीट गाय को, ४५ वर्गफीट भैंस को खुले बाड़े में होना चाहिये।
  • पशुशाला के अन्दर से पानी निकलने की उचित व्यवस्था होनी चाहिये।
  • बन्धन मुक्त प्रणाली में बाहरी बाड़े के किनारे पेड़ लगाएँ जिससे तापमान कम हो सके।
  • पशुशाला को बनाने के लिये योग्य पशुचिकित्स्यक अथवा वैज्ञानिक (पशुधन उत्पादन प्रबन्धन) की सलाह लें।
  • चारेदाने में और खिलाने के समय में बदलाव
  • धीरे-धीरे पशुओं के चारेदाने की समय सारणी में बदलाव करें जैसे- ठंडे समय (भोर, संध्या और रात में) चारा दाना डालें या चरने के लिये छोडें ।
  • दिन के कूल दाने और चारे को 3 से 4 बार में दे जिससे गर्मी का तनाव कम हो सके।
  • ताजे पानी की व्यवस्था के लिये सार्वजनिक जल श्रोत 24 घंटे होने चाहिये क्योकि दुधारू पशुओं को 1 लीटर दूध के लिये 4-5 लीटर पानी पीने की आवश्यकता होती हैं।
  • बाइपास प्रोटीन और कैल्सियम साल्ट के वसायुक्त अम्ल (निष्क्रिय वसा) का इस्तेमाल पशुओं की खुराक और ऊर्जा को बढ़ाता हैं तथा गर्मी को कम करता हैं।
  • पोटेशियम पसीने में मुख्य खनिज हैं और जैसे-जैसे तापमान बढ़ता हैं, गायों के पसीने से, हाँफने और मूत्र के माध्यम से अधिक पोटेशियम विसर्जित होता हैं। अतः इसकी कमी को पूरा करने के लिये गन्ने से बनी खांड/राब (दर ५०० ग्राम से २ किग्रा प्रतिदिन २.५ से १० लीटर पानी में क्रमशः घोलकर ४-५ दिन तक) पिलाएँ।
  • ज्यादा गर्मी के कारण, दूध में वसा की मात्रा कम (Low fat syndrome) होने लगती हैं अतः उभयधर्मी (buffers) जैसे- सोडियम बाईकार्बोनेट (दर ५० ग्राम/दिन, ५ दिन के लिये) देने से दाने का पाचन बढ़ा देता हैं और दूध में वसा की कमी पूरी हो जाती हैं।
  • मिश्रित प्रबन्धन
  • पानी को पशु के शरीर तथा पशुशाला में चरम गर्मी के दौरान छिड़कने से पशु को गर्मी से निजात मिलती हैं।
  • खुली धूप में पशुओं (मुख्यतः संकर गायों और भैंसों) को तालाब में ले जाने से अच्छा हैं की आधा बाल्टी (५-६ लीटर) पानी से उनके सिर को तराई (धीरे-धीरे भिगोएँ) जिससे मस्तिस्क का हाइपोथैलेमस भाग जल्दी ठंडा हो और पूरे शरीर को गर्मी से राहत मिले।
  • खसखस का पर्दा या जूट की बोरी का पर्दा भी बनाकर बाहरी छज्जे से लटका सकते हैं और उसपर दोपहर और शाम में पानी का छिड़काव कर सकते हैं।
  • पंखे, कूलर, कुहासा (mist), धुंध (fog) और स्प्रिंकलर किसान अपने बजट के अनुसार इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • पंखे और स्प्रिंकलर का इस्तेमाल दूध निकालने के ३० मिनट पहले करना गर्मी के तनाव को कम करने का एक अच्छा उपाय हैं।
  • पशुओं में मद (estrus) की जाँच दिन के ठंडे समय (भोर और सांयकाल) में जरूर करें।

 

निष्कर्ष– दुधारू पशुओं मे गर्मी के तनाव के कारण उनके दुग्ध उत्पादन और प्रजनन क्षमता में कमी आती हैं अतः गर्मी के तनाव का मापन एवं उसकी पहचान जरूरी हैं। पशुओं में यह तनाव तत्काल और दीर्घकालीन हो सकते हैं जिसके निवारण के लिये वासस्थान, पोषण और मिश्रित प्रबन्धन किसान के लिये लाभदायक हैं।

Reference- On demand

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON