कोरोना रूपी अफवाह के कहर से पोल्ट्री उद्योग चौपट

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By-डॉ राजेश कुमार सिंह
Editor-in-chief “पशुधन प्रहरी ”
9431309542.

चीन में फैले जानलेवा कोरोना वायरस का असर पूरे भारत सहित झारखंड के पोल्ट्री उद्योग पर भी दिखने लगा है। कोरोना से भयभीत तमाम लोगों ने चिकन (मुर्गे) और उससे बने अन्य उत्पाद खाना बंद कर दिया है। इसी के चलते झारखंड समेत देश के अन्य राज्यों में पिछले एक महीने में अंडे और चिकन की कीमतों में जर्बदस्त करीब 60 फीसदी की गिरावट आई है।
वर्तमान में चीन समेत अन्य देशो में कोरोना वायरस से लोग प्रभावित हुए हैं, यह वायरस एक ब्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है । कोरोना वायरस के पौल्ट्री के माध्यम से फैलने संबंधी अफवाह और सोशल मीडिया में गलत संदेश प्रसारित होने से देश में अंडा और ब्रोईलर कारोबार काफी प्रभावित हुआ है। एक जानकारी के मुताबिक इसका कारोबार करीब 60% तक गिर गया है। मुर्गी पालन से जुड़े लोगों का कहना है कि सोशल मीडिया खासतौर से व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों पर कोरोना वायरस को लेकर तरह-तरह के मैसेज से लोगों को डराया जा रहा है. इसके चलते देश में अंडे और चिकन की मांग में कमी आई है. इसके चलते दाम गिरे हैं.। हम सभी से अपील करते है की ईस प्रकार अफवाह तथा प्रचारित संदेश पर विश्वास न करें। इसका कोई आधार नहीं है । देखा जा रहा है कि त्योहार और शादी-ब्याह के मौसम में लोगों के मुर्गे के मीट से दूरी बनाए रखने के कारण मुर्गा विक्रेता अधिकांश समय दुकानों पर खाली हाथ बैठे रहते हैं। कोरोना के कारण चिकन से दूरी बनाए लोगों की गलतफहमी दूर करने के लिए अन्य राज्यो के पोल्ट्री उद्योग से जुड़े लोगों द्वारा अखबारों में विज्ञापन देकर ऐसी खबरों-अफवाहों का खंडन किया जा रहा है, लेकिन सोशल मीडिया पर चिकन को कोरोना वायरस से जोड़कर कुछ मैसेज लगातार शेयर किए जा रहे हैं। झारखंड मे भी ऐसी पहल की जरूरत है । हालाकी गत 28 फ़रवरी को रांची मे झारखंड महिला पौल्ट्री फ़ैडरेशन द्वारा चिकेन मेला का आयोजन किया गया था जिसमे काफी संख्या मे आम जनता ने भाग लिया जिसका संदेश पूरे पौल्ट्री जगत मे उत्साहवर्धक देखने को मिलरहा है । जरूरत है राज्य के प्रत्येक ज़िले मे ईस तरह के कार्यक्रम का आयोजन हो जिससे की पूरे समाज मे ईस अफवाह पर लगाम लगाया जा सके ।

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उपभोक्ता इस प्रकार के संदेश पर ध्यान न देते हुए चिकेन्न तथा अंडा के उपयोग को लेकर संशय ना रखें । डब्ल्यूएचओ ने भी अपनी रिपोर्ट में यह अनुशंसा की है कि साफ-सुथरे तथा स्वच्छ वातावरण में पकी चिकन व अंडा खाने से कोई खतरा नहीं है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है तथा पोल्ट्री में कोरोनावायरस की अभी तक कोई घटना रिपोर्ट नहीं हुई है। भारत सरकार द्वारा भी स्पष्ट किया गया है कि पोल्ट्री के माध्यम से कोरोनावायरस का प्रसारण विश्व में कहीं पर भी नहीं हुआ है। केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय एडवाइजरी जारी कर इसका खंडन कर चुका है। मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक स्तर पर किसी भी रिपोर्ट में 2019 नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार में मुर्गियों की संलिप्तता नहीं पाई गई है। मंत्रालय के पशुपालन आयुक्त प्रवीण मलिक का कहना है कि वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ ने भी कहा है कि कोरोनावायरस का स्रोत पशु नहीं है। इसके प्रसार का मुख्य स्रोत मनुष्य से मनुष्य है, इसलिए बेझिझक मुर्गी-अंडे का सेवन किया जा सकता है। बावजूद इसके, लोगों के मन में अफवाह ऐसी बैठ गई है कि उन्होंने फिलहाल अंडा-मुर्गी खाने से तौबा कर ली है। केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा बड़ा अंडा उत्पादक देश है। अपने मुल्क में सालाना करीब 880 करोड़ अंडे का उत्पादन होता है। इसी तरह 42 लाख टन ब्रायलर चिकन मीट का उत्पादन होता है। अपने देश में प्रचुर मात्रा में अंडे-मुर्गे की खपत तो है ही पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लोदश आदि में भी निर्यात किया जाता है। मगर मुर्गे से कोरोनावायरस फैलने की अफवाह ने देश-विदेश में अंडे-मुर्गे की खपत आधी कर दी है। उत्पादकों को औने-पौने में अपने उत्पाद बेचने पड़ रहे हैं।
तहक़ीक़ात करने पर बहुत से मुर्गीपालको ने बताया कि फार्म और हैचरी से अंडे-मुर्गी का उत्पादन तो पहले के समान हो रहा है पर अफवाह के चलते खाने वालों में भारी कमी आई है। इसके कारण उन्हें सस्ते में अपने उत्पाद बेचने पड़ रहे हैं। उनके मुताबिक, आम दिनों में थोक में ब्रायलर चिकन प्रति किलो 83 से 85 रुपए और प्रति अंडा चार रुपये फार्म से निकलता था। मांग लगभग आधी रह जाने से मुर्गे की कीमत घटकर प्रति किलो 45 रुपए और प्रति अंडा तीन रुपए करना पड़ रहा है । जैसे की हम जानते है कि मुर्गे और अंडे का उत्पादन चक्र होता है, जिसे किसी भी तरह रोका नहीं जा सकता। इसलिए उनका उत्पादन तो नियमित जारी है पर उचित मूल्य नहीं मिलने से उन्हें भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। अफवाह से उन्हें अब तक 50 प्रतिशत की चपत लग चुकी है। देश में एक सप्ताह में होने वाली चिकन की बिक्री 7.5 करोड़ के मुकाबले घटकर 3.5 करोड़ चिकन की रह गई है। जबकि पिछले एक महीने में जो कीमत 100 रुपये किलो थी वह बाजार में अब घटकर 35 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई हैं। जबकि इसकी लागत लगभग 75-80 रुपये प्रति किलोग्राम बैठती है। मुर्गी से कोरोनोवायरस फैलने की व्हॉट्सएप पर फैली अफवाह के कारण पूरा पॉल्ट्री उद्योग और किसान प्रभावित हुए हैं। चिकन का उत्पादन बढ़ गया है, जिसे कम कीमत पर बाजार में खपाया जा रहा है।’

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• चिकन और अंडा खाने से नहीं फैलता कोरोना वायरस———

• चीन में कोरोना वायरस महामारी बन गया है. चीन में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर 2,788 हो गया है. भारत में कोरोना वायरस के मामले भले ही सामने न आए हों लेकिन तरह-तरह की अफवाहें जरूर फैलाई जा रही हैं.
• लोगों ने अफवाह फैलाई है कि चिकन और अंडा खाने से कोरोना वायरस फैल रहा है. यह अफवाह इस हद तक फैल गई कि तेलंगाना के कृषि मंत्री सामूहिक रूप से चिकन खाया तथा यह आम जनता में संदेश दिया कि चिकन खाने से क्रोनावायरस नहीं फैलता है. कोरोना वायरस चिकन या अंडे खाने से बिलकुल भी नहीं फैलता, न ही कोरोना का मुर्गियों से कोई संबंध है.

केंद्र सरकार ने भी किया है खंडन——–

• चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में देखने को मिल रहा है. इस वायरस को लेकर तरह-तरह की अफवाहें भी उड़ाई जा रही हैं. इसी तरह की एक अफवाह पोल्ट्री चिकन को लेकर उड़ाई जा रही थी. दावा किया जा रहा था कि कोरोना वायरस की वजह से पोल्ट्री चिकन खाना खतरनाक है. इन अफवाहों पर केंद्र सरकार को भी खंडन करना पड़ा था.

• क्या कहा सरकार ने?———-

• भारत सरकार के पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह ने साफ किया था कि किसी भी मनगढ़ंत सूचनाओं पर ध्यान ना दें क्यों कि पोल्ट्री उत्पादों का कोरोना वायरस से कोई भी संबंध नहीं है. ये चिकन पूरी तरह सुरक्षित है. लोग निश्चिन्त होकर पोल्ट्री चिकन का उपभोग कर सकते हैं. पशुपालन मंत्रालय ने इस बात की भी पुष्टि कि है कि दुनिया भर में कोरोना वायरस का पोल्ट्री उत्पादों से कोई कनेक्शइन नहीं पाया गया है और ना ही पोल्ट्री बर्ड या पोल्ट्री उत्पाद से किसी भी व्यक्ति में ये वायरस फैला है.
जहां आज देश आर्थिक मंदी तथा बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है वही देश के प्रमुख हैं सेक्टर “पोल्ट्री उद्योग “जो कि लगभग 1.25 लाख करोड़  रुपया का सालाना टर्नओवर करता है तथा लगभग एक करोड़ से ज्यादा रोजगार देता है , आज संकट के दौर से गुजर रहा है ,जरूरत है की सरकार यथाशीघ्र कोई सार्थक पहल करें जिससे कि इस उद्योग को बचाया जा सके अन्यथा हमारे प्रधानमंत्री का सपना हमारे किसानों की आय दोगुनी करने की कभी सफल नहीं हो पाएगी। साथी जरूरत है कि पोल्ट्री उद्योग से जुड़े सभी उद्यमियों , कंपनियों के सभी लोग एक मंच पर आकर देश के मीडिया समूहों को सही फैक्ट बताएं जिससे कि वे समाज में पोल्ट्री के प्रति फैलाई जा रही अफवाहों पर विराम लग सकें। समय रहते सरकार द्वारा यदि कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में मुर्गी उत्पादन से किसान दूरी बनाने लगेंगे।

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