गाय का दूध
दूध जीवन का पहला और अहम आहार है। शारीरिक व मानसिक विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है। दुनिया भर में आहार का अहम हिस्सा है दूध। दूध का नियमित सेवन सेहत के लिए जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी यह जानना भी है कि कौन सा दूध आपके लिए उपयुक्त है।
दूध एक अपारदर्शी सफेद द्रव है,साधारणतया दूध में 85 प्रतिशत जल होता है और शेष भाग मे खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अलावा बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -2) युक्त होता है, इनके अलावा इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसके अलावा इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।
दूध के प्रकार-दूध को मुख्यतः फैट व प्रोटीन के आधार पर विभाजित किया गया है।
गाय का दूध- भारत में इस वक्त करीब 42 प्रजाति की देसी गाय विभिन्न प्रदेशों में पायी जाती हैं। गाय के दूध में मौजूद पोषक तत्व बहुत अधिक होते हैं। घास चरने वाली गायों के दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है। इसमें शरीर के लिए लाभदायक कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol) होता है, जो हृदय को कई रोगों से बचाता है। इसके साथ ही गाय के दूध में प्रोटीन, विटामिन डी/बी, कैल्शियम, फॉस्फोरस और राइबोफ्लेविन जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं।
फुल क्रीम दूध- मलाई युक्त दूध में 3.5% फैट होता है जोकि दिमागी विकास के लिए जरूरी है। फुल क्रीम दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व संपूर्ण शारीरिक विकास के लिए अहम हैं। इसमें मौजूद पोटैशियम रक्तचाप को संतुलन में रखता है, विटामिन-बी लाल रक्त कोशिकाओं और नर्वस टिश्यू के बनने में मदद करते हैं। विटामिन-ए त्वचा का ख्याल रखने के साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। बच्चों, किशोरों, गर्भवती/स्तनपान कराने वाली महिलाओं व वजन बढ़ाने के लिए फुलक्रीम दूध का सेवन करना चाहिए।
स्किम्ड मिल्क- इस दूध में केवल 0.3% फैट ही होता है। लेकिन प्रोटीन, फॉस्फोरस, विटामिन-ए/डी व कैल्शियम मौजूद होते हैं। इसमें कैलोरी कम होती है। वजन घटाने या वजन संतुलित रखने के इच्छुक लोगों को स्किम्ड मिल्क पीना चाहिये। यह दूध ऑस्टियोपोरोसिस व हृदय रोग से बचाता है। मधुमेह व मोटापे से परेशान लोगों के लिए भी यह दूध फायदेमंद हैं।
टोन्ड मिल्क-इसमें पोषण लगभग गाय के दूध के बराबर ही होता है। इस दूध को तैयार करने में स्किम्ड मिल्क पाउडर को पानी और भैंस के फुल क्रीम दूध में मिलाया जाता है। भैंस के दूध में उपस्थित 7-8% फैट, इस प्रक्रिया के बाद घटकर 3% रह जाता है; लेकिन इससे दूध की पोषण क्षमता में कमी नहीं आती। यह पचने में आसान होता है। मोटापे से परेशान व गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करना चाहिए।
डबल टोन्ड- इसमें 1.3% फैट होता है। इसे टोन्ड मिल्क की तरह ही तैयार किया जाता है, बस इसमें फैट की मात्रा और कम कर दी जाती है। यह दूध हृदय रोग से बचाता है व वजन नियंत्रित रखता है।
लैक्टोज फ्री दूध- डेयरी उत्पादों में मौजूद शुगर को लैक्टोस कहते हैं। कुछ लोगों को इसे पचाने में समस्या होती है, इसे ‘लैक्टोस इनटॉलरेंस’ कहते हैं। इससे प्रभावित लोगों में दूध व अन्य डेयरी उत्पादों के सेवन से पेट में दर्द, भारीपन, दस्त, गैस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में लैक्टोस फ्री दूध का सेवन किया जा सकता है। बादाम, सोया, कोकोनट व राइस मिल्क लैक्टोस फ्री होते हैं।
दूध के प्रकार-
डेयरी का दूध के किस मौका आता है। आपके खरीदने से पहले अधिकांश दूध प्रसंस्करण (Processing) से गुजरते हैं। दूध प्रसंस्करण में तीन प्राथमिक कदम शामिल हैंं। पास्चराइजेशन, होमोजिनाइजेशन और फॉर्टीफकेशन।
पाश्चराइजेशन – पाश्चराइजेशन प्रक्रिया में दूध को गर्म किया जाता है ताकि हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर दूध के शेल्फ जीवन को लंबा किया जा सके। सामान्य पाश्चराइजेशन आपके मूल्यवान पोषक तत्वों को बनाए रखते हुए दूध को सुरक्षित रखता है।
अल्ट्रा-हाइ टेंपरेचर दूध को बहुत अधिक तापमान पर पाश्चराइज़्ड किया जाता है जिससे यह जीवाणुरहित हो सके। फिर इस दूध को विशेष कंटेनरों में पैक किया जाता है ताकि बिना रेफ्रिजरेट किए यह सुरक्षित रह सके।
होमोजिनाइजेशन – पाश्चराइजेशन प्रक्रिया के बाद मिल्क फैट को दूध से अलग होने से रोकने के लिए दूध होमोजीनाइजेशन प्रक्रिया से गुजरता है। होमोजीनाइजेशन से एक चिकना और समरूप मिश्रण तैयार हो जाता है।
फोर्टीफिकेशन – अंत में प्रसंस्करण के दौरान खो गए पोषण मूल्य को बढ़ाने और वापिस पाने के लिए दूध फोर्टिफाइड होता है। कैल्शियम के ठीक से अवशोषण के लिए अधिकांश दूध में विटामिन डी जोड़ा जाता है। विटामिन ए अक्सर कम वसा और वसा रहित दूध में मिलाया जाता है। विटामिन ए सामान्य दृष्टि को बढ़ावा देता है। दूध में पाए जाने वाले प्रमुख पोषक तत्वों की पूरी सूची के लिए दूध के लेबल पर पोषक तत्वों की जांच करें।
दूध का तो एक ही प्रकार होता है, शुद्ध ताजा गाय के थनों से निकला। उस निकले हुए कच्चे दूध को आप उबाल कर पी सकते हैं, परन्तु इंसान ने अपने स्वास्थय के स्वार्थ के लिए इस दूध को भी नहीं छोड़ा। अब इतने प्रकार के दूध उपलब्ध है बाजार में, की यह एक गंभीर विषय बन गया है, कि दूध कौनसे प्रकार का पिया जाए।
चाहे कुछ भी है मेरा अनुभव कहता है दूध तो खालिस शुद्ध गाय या भैंस से प्राप्त हुआ ही पीना चाहिए, अगर आपको उपलब्ध हो पाए तो। वर्जिश करो और शुद्ध दूध को पचाओ, कुछ समय में देखना आपका चेहरा दमकने लगेगा और शरीर भी ऊर्जावान महसूस करेगा।