गौ संरक्षण के लिए एक अभिनव प्रयास जरूरी-
खेती के लिए गोबर गोमूत्र का प्रयोग करें: डॉक्टर बल्लभ भाई कथीरिया
नवसारी (गुजरात); 4 अगस्त 2019, पशुधन प्रहरी नेटवर्क
देश के सामने गौ संरक्षण एवं संवर्धन एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस दिशा में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग प्रतिपल समर्पित होकर गौ संरक्षण के अनुसंधान, शिक्षा प्रशिक्षण एवं विकास के विभिन्न आयाम तलाश कर रहा है ताकि गौ संवर्धन के साथ साथ भारतीय कृषि में पर्यावरण की चुनौतियां से मुकाबला किया जा सके और भोजन उपलब्ध कराने की सुरक्षित व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सके. नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों के बीच में ऋषि – कृषि की व्यवस्था पहुंचाने की अभिनव प्रयास किए गए हैं जो काबिले तारीफ है. इस समय यूनिवर्सिटी प्राकृतिक खेती के लिए कटिबद्ध है तथा किसानों में निरंतर जागृति लाने का प्रयास जारी है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. बल्लभभाई कथीरिया प्राकृतिक खेती पर किसानों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए गोबर गोमूत्र के अधिक प्रयोग का सुझाव दिया.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. बल्लभभाई कथीरिया का मानना है कि देश में ऋषि कृषि अपनाए जाने की परम आवश्यकता है जिसमें भूमि की प्राकृतिक शक्ति को पुनः लौटाना होगा जिसके लिए गोबर गोमूत्र का प्रयोग प्रयोग किया जाना अत्यंत आवश्यक है. इस दिशा में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को याद दिलाते हुए कहा कि देशभर के किसानों को 2022 तक अपनी फसल के उत्पादन दोगुनी करनी होगी. गुजरात के एक कृषक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहां की आज की परिस्थिति में भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने की कोशिश एक आवश्यकता है जिसके लिए किसानों को अधिक से अधिक गोबर गोमूत्र का प्रयोग किया जाना चाहिए तभी उन्हें यथोचित फसल उत्पादन से मुनाफा होगा. साथ ही साथ जमीन की उर्वरा शक्ति भी कुदरती तौर पर कायम रहेगी. गोबर गोमूत्र के प्रयोग से उत्पादन लागत लागत भी घटेगी.
इस कार्यक्रम में डॉ. अमिता बेन पटेल, नरेश भाई पटेल, गमन भाई मधुर भाई सावनी आदि मौजूद थे. इस अवसर पर नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर, डॉ. सी.जी. डोंगिया एवं प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर ,डॉ. सी.के.डिबडियाजी ने भी अपने विचार रखे और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही.
रिपोर्ट : डॉ.आर.बी. चौधरी
(विज्ञान लेखक एवं पत्रकार, पूर्व- मीडिया हेड एवं प्रधान संपादक एडब्ल्यूबीआई, भारत सरकार)