झारखंड में पशु स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे –   कोरोना वायरस की महामारी के दौर में पशु चिकित्सकों की ड्यूटी अब चेक पोस्ट एवं थानों पर

0
328

पशुधन प्रहरी नेटवर्क

रिपोर्ट: डॉ.आर. बी. चौधरी
( विज्ञान लेखक एवं पत्रकार ,
रिटायर्ड मीडिया हेड/ संपादक- एडब्ल्यूबीआई, भारत सरकार)

26 अप्रैल 2020 ; रांची (झारखंड)

@ लॉक-डाउन के आदेशों की अवहेलना जारी
@ पशु चिकित्सक आश्चर्यचकित और पशुपालकों की दशा देख कर चिंतित –
@ झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने गैर-विभागीय कार्यों पर ड्यूटी न लगाने का अनुरोध किया

विश्व भर में पशु चिकित्सा सेवा को जन स्वास्थ्य सेवा के नजरिए से जोड़ कर के देखा रहा है किंतु एशिया के तमाम देश, खासकर के भारत में पशु चिकित्सकों की प्रोफेशनल ड्यूटी से अलग जिम्मेदारियां देने की बड़ी पुरानी परंपरा चली आ रही है। हालांकि,केंद्र ने यूनाइटेड नेशन की सहयोगी संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के सिफारिश के अनुसार पशु चिकित्सकों को “वन हेल्थ अप्रोच” के जरिए जन स्वास्थ्य सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय अभियान शामिल होने की सिफारिश की है। भारत सरकार इस दिशा में खास करके कोविड-19 महामारी के सुरक्षा एवं बचाव अभियान में देश के पशु चिकित्सकों को इस मुहिम में जोड़ने का आदेश दिया है। लेकिन, झारखंड में कुछ और चल रहा है। इस सिलसिले में झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघने प्रदेश सरकार से यह अनुरोध किया है कि केंद्र सरकार के मार्गदर्शन के अनुसार पशु चिकित्सकों की ड्यूटी गैर संबंधित जगह जैसे चेक पोस्ट या थाने आदि जगहों पर न लगाएं।

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ.विमल कुमार हेंब्रम ने बताया कि एक और देश भर में पशु चिकित्सा सेवा के लिए डॉक्टरों की कमी बताई जाती है जिसके लिए केंद्र सरकार चिंतित है, दूसरी तरफ देश के तमाम राज्यों में विशेषकर झारखंड में किसी भी पशु चिकित्सक के योग्यता और मूल जिम्मेदारी से अलग कर दूसरी जिम्मेदारियां सौंप दी जाती है। ऐसी परिस्थिति में पशु चिकित्सक के योग्यता का सरेआम दुरुपयोग होता है। आज नहीं तो कल पशु चिकित्साव्यवस्था को कमजोर करने का अवसर पशुपालन और ग्रामीणों अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ेगा। अब यह दुनिया भर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि उत्पादन क्षमता अपनी सीमा पर पहुंच चुकी है। इसलिए भारत ही नहीं समूची दुनिया की भोजन व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए पशुपालन काही अब एक मात्र सहारा बचा है। चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार उसे इस बात का स्मरण रखते हुए योजनाओं का संचालन और नीतियों का निर्माण करना चाहिए।

READ MORE :  Keep dairy sector out of purviews of negotiations under RCEP: NDDB

इस सिलसिले में झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डॉ. डीआर विद्यार्थी ने पत्र लिखकर के निदेशक पशुपालन झारखण्ड सरकार को पशुचिकित्सकों के गैर विभागीय कार्यों में प्रतिनियुक्ति के कारण पशुचिकित्सा और अन्य पशु चिकित्सा संबंधित विभागीय कार्यों के निस्तारण में हो रही कठिनाई अवगत कराया है और अनुरोध किया है कि प्रदेश के पशु चिकित्सकों को पशु चिकित्सा संबंधी जिम्मेदारी ही दिया जाए क्योंकि उनका काम गैर संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी देने से मुख्य जिम्मेदारी की भूमिका निभाने में अनेक बाधाएं आ रही है और इस सिलसिले में पशु चिकित्सा सेवा और वर्तमान में उत्पन्न जन स्वास्थ्य संबंधी समस्या को प्रभावित होने से बचाया जाना चाहिए।डॉ विद्यार्थी ने यह भी कहा किपशु चिकित्सकों की सेवाओं का भरपूर लाभ न लेने सेग्रामीण अर्थव्यवस्था परसीधा असर पड़ेगा। इसलिए इस गंभीर मुद्दे पर तत्काल विचार कर कार्यवाही की जानी चाहिए।

पशु चिकित्सा सेवा संघ, झारखंड के प्रचार मंत्री , डॉ. शिवानंद काशी के अनुसार इस संबंध में झारखंड राज्य के मुख्य सचिवद्वारा जारी पत्र : पत्रांक -350 (अनु. ) दिनांक 15/ 04 / 2020 संदर्भ गृह मंत्रालय भारत सरकार का आदेश सं। 40-3 / 2020-डीएम -1 (ए), दिनांक -15 / 04/ 2020 के संदर्भ का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कोविड-19 जैसी घातक महामारी की भयावह स्थिति में गृह मंत्रालय भारत सरकार का आदेश सं-40-3 / 2020-डीएम-1 (ए), दिनांक- 15 / 04 / 2020 के क्रम में जारी दिशा निर्देश और तत्संबंधी मुख्य सचिव झारखण्ड सरकार के पत्रांक -350 (अनु.) दिनांक 15/04/2020 तक इस मामले में कड़ाई से के साथ अनुपालन किया जाना चाहिए।

डॉ. शिवानंद ने आगे यह भी बताया कि इस समय यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है कि भारत सरकार (गृह मंत्रालय) के दिशा निर्देशों की कंडिका -5 (वी) पशु चिकित्सा अस्पताल, औषधालय, क्लीनिक, पैथोलॉजी लैब की बिक्री और वैक्सीन और दवा की आपूर्ति की उपकुंडिका (IX) सभी चिकित्सा और पशु चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, नर्सों, पैरा-मेडिकल स्टाफ, लैब तकनीशियनों, और अन्य अस्पताल सहायता सेवाओं सहित एम्बुलेंस द्वारा पशुचिकित्सा कार्यों को आवश्यक और आकस्मिक सेवाओं के लिए (अंतर और अंतर राज्य) की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि, वर्तमान में पशुपालन विभाग के ज्यादातर पशुचिकित्सा राज्य भर के जिलों में बनाए गए चेकपोस्टों, थानों इत्यादि स्थानों पर विधि व्यवस्था जैसे गैर-तकनीकी एवं असंबंधित कार्यों में तैनात किए गए है। ऐसे जिम्मेदारियों से एक पशु चिकित्सक का क्या लेना देना है।

READ MORE :  The Importance of Crossbred Cattle for National Milk Production

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ. डी आर विद्यार्थी ने बताया कि ऐसी परिस्थिति में पशुचिकित्सा सहित अन्य विभागीय कार्यों के सम्पादन में कठिनाई उत्पन्न हो रही है जिससे राज्य के गरीब पशुपालक पशुचिकित्सा से बंचित हो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि संघ ने अपने पत्रांक -11 दिनांक -24 / 03 / 2020 द्वारा पशुपालन एवं पशुचिकित्सा सेवाओं के लिए आवश्यक सलाह जारी करने का अनुरोध किया है।संघ पुनः निवेदन करना चाहता है कि उपर्युक्त भारत सरकार (गृह मंत्रालय) के सदर्भाहीन आदेश एवं मुख्य सचिव झारखण्ड के संदर्भ गंगा पत्र के आलोक में विभागीय तकनिक कार्यों के सम्पादन हेतु स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करेंगे। साथ ही सभी उपायुक्त झारखण्ड को निदेशित करना करेंगे की पशुचिकित्सकों को विधिव्यवस्था / गैर विभागीय कार्यों से विमुक्त करें जिससे पशुचिकित्सा एवं विभगीय करियों का सम्पादन हो सके।

सूत्रों के अनुसार से ज्ञात हुआ है कि झारखण्ड पशु चिकितसा सेवा संघ के अनुरोध एवं गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखण्ड सरकार के निदेश के अनुपालन मे निदेशक पशुपालन चितरंजन कुमार द्वारा सभी जिला पशुपालन पदाधिकारी एवं सभी उपायुक्त को भारत सरकार के आदेश का अक्षरसह परिपालन करने का अनुरोध प्रेषित किया है, परन्तु प्राप्त जानकारी के अनुसार , अभी भी पशु चिकितसको को विधि-वयवस्था एवं गैर विभागीय कार्य से विमुक्त नही किया गया है। जिसका नतीजा है कि प्रदेश भर में पशुओं का लॉक डाउन के दौरान पशुपालकों के पशुओं की की देखभाल ठप हो गई है और इसका असर भी दिखाई दे रहा है।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON