डेयरी फार्म व्यवसाय से संबंधित कुछ सवाल

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मुझे अपने फार्म में गाय या भैंस किससे शुरुआत करनी चाहिए ?

इस सवाल का सीधा और आसान जवाब नहीं है और जवाब कई तत्वों पर निर्भर करता है। आमतौर पर, आप भैंसों के मुकाबले गायों से ज्यादा दूध की अपेक्षा कर सकते हैं। हालांकि, भैंस के दूध में फैट यानी वसा की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले दोगुना होता है, इस वजह से स्थानीय बाजार में भैंस के दूध के लिए ज्यादा दाम मिलता है। जहां तक रोज दूध निकालने की बात आती है, तो एक गाय से स्वचालित मशीन से दूध निकाला जा सकता है लेकिन यही काम भैंस के साथ मुश्किल है। भैंस मजबूत जानवर होते हैं और गाय के मुकाबले उनमे रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है। जब बात कीमत की आती है तब भैसों के मुकाबले गायें सस्ती पड़ती है। भैंस के मुकाबले गाय के गर्भवती होने का पता आसानी से चल जाता है। इसलिए यह आपके फैसले पर निर्भर करता है कि आप किसका चुनाव करते हैं ? हमने व्यक्तिगत तौर पर कई डेयरी किसानों को यह कहते हुए सुना है कि वो गाय के मुकाबले भैंस को पसंद करते हैं। हालांकि, अंतिम फैसला आपका है, आप दोनों का चुनाव कर सकते हैं और खुद से परीक्षण कर सकते हैं।

किस तरह के भैंस का चुनाव करें ?

बहुत कम भैसों की किस्में हैं जिनमे से चुनाव करना है। हालांकि भारत में मशहूर डेयरी नस्ल हैं, हरियाणा, जफ्फराबाद, मुर्रा, नीली रवि, मेहसाणा, सुरति और दूसरी स्थानीय नस्लें।

डेयरी व्यवसाय के लिए कौन सा भैंस अनुकूल है ?

अधिकांश नस्लें अनुकूल हैं और यह आप पर निर्भर करता है और जिसमें कीमत, दूध देने की क्षमता और दूसरे प्रबंधकीय तत्व शामिल हैं। अधिकांश डेयरी किसान मुर्रा भैंस को पसंद करते हैं।

एक मुर्रा भैंस प्रतिदिन कितना दूध देता है ?

दूध की मात्रा चारे का निवेश और रखरखाव पर निर्भर करता है। कोई भी मुर्रा भैंस प्रतिदिन (सुबह-शाम) औसतन 8 से 18 लीटर दूध देता है।

मुर्रा भैंस की कीमत क्या होती है ?

इसकी कीमत एक भैंस से दूसरे भैंस तक में अलग-अलग होती है। हालांकि, औसतन, एक मुर्रा भैंस की कीमत करीब 60,000 से 90,000 तक पड़ती है जिसमे भैंस की गुणवत्ता भी मायने रखती है।

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ज्यादा दूध देने वाले मुर्रा भैंस की कीमत 2 से 3 लाख तक हो सकती है। इस तरह के भैंस को खास कर प्रजनन के लिए खरीदा जा सकता है।

मुर्रा भैंस की कीमत निर्धारित करने वाले तत्व ?

कुछ निश्चित तत्व होते हैं जो किसी भी भैंस (सिर्फ मुर्रा भैंस ही नहीं) की कीमत निर्धारित करते हैं। निम्न मुख्य बिंदु हैं जो भैंस की कीमत तय करते हैः-
– पशु का आकार और संरचना
– प्रतिदिन दूध देने की क्षमता
– भैंस का आनुवंशिक
– दूध देने का चक्र

दूध निकलने का चक्रः-

दूध निकलने का चक्र कुछ और नहीं है बल्कि भैंस द्वारा बछड़ा देने का चक्र है। उदाहरण के तौर पर, दूसरी बार दूध निकलने का मतलब है भैंस ने दूसरी बार बछड़े को जन्म दिया है।

दूध निकलने का चक्र क्यों जरूरी है ?

किसी भी व्यावसायिक डेयरी बिजनेस में दूसरी बार दूध देनेवाले और तीसरी बार दूध देनेवाले पशु को वरीयता दी जाती है। पहली बार दूध देनेवाली भैंस अनुकूल नहीं हो सकती है क्योंकि वो मातृभाव को अपनाने की ओर होती हैं। हालांकि, तीसरी बार दूध निकलने के बाद भैंस को पुराना या उम्रदराज मान लिया जाता है।

भैंस में दूध निकलने की पहचान कैसे करें ?

इस बात की जानकारी अनुभव से आती है। आमतौर पर पहली बार और तीसरी बार दूध निकलने की पहचान आसानी हो जाती है लेकिन दूसरी और तीसरी बार दूध निकलने के बीच अंतर कर पाना कठिन होता है।

एक साल में मुर्रा भैंस कितने दिनों तक दूध देती है ?

खास तौर पर, मुर्रा भैंस 250 दिनों से 300 दिनों तक दूध देती है।

कितने दिनों तक मुर्रा भैंस दूध नहीं देती है ?

आमतौर पर, यह अवधि 65 दिनों से लेकर 100 दिनों की होती है। लेकिन अगर आप हीट साइकिल यानी गर्भादान का वक्त भूल गए तो यह अवधि बहुत लंबी भी हो सकती है।

हीट साइकिल यानी गर्भादान का चक्र क्या है ?

यह वह वक्त होता है जब भैंस एक बार फिर गर्भवती होने के लिए तैयार होती है। आमतौर पर यह अवधि 12 से 24 घंटे की होती है और इस अवधि के दौरान भैंस को सांड के साथ सहवास करवाया जाता है या फिर कृत्रिम गर्भादान कराया जाता है।

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गर्भादान के वक्त की पहचान कैसे करें ?

इसकी जानकारी अनुभव से हो पाती है। भैंस जब सहवास के लिए तैयार होती हैं तो वो अलग तरह की आवाज निकालती है और बार-बार पेशाब करती है।

बछड़े को जन्म देने के कितने दिनों बाद भैंस फिर से गर्भादान के लिए तैयार हो जाता है ?

ऐसा बछड़े को जन्म देने के 6 से 7 सप्ताह के बाद हो सकता है। गर्भादान के वक्त की पहचान और जितनी जल्दी हो सके भैंस का गर्भाधान करवाना वो महत्वपूर्ण तत्व हैं जो डेयरी फार्म के व्यवसाय में सफलता को निर्धारित करती है। इससे भैंस के ज्यादा दिनों तक बिना दूध दिये रहने का वक्त घट जाएगा जिसे लंबा सूखा वक्त भी कहते हैं।

सूखा अवधि किसे कहते हैं ?

यह वो अवधि होती है जिसके दौरान भैंस दूध देना बंद कर देती है और दूसरा बछड़ा देनेवाली होती है। अगर आपने गर्भादान के चक्र की पहचान कर ली और वक्त पर भैंस का सहवास करवा लिया तो यह सूखे की अवधि छोटी हो जाएगी अन्यथा बहुत लंबी हो जाएगी।

क्या भैंस दूध देने के दौरान पूरी अवधि तक एक समान मात्रा में दूध देती है ?

इसका जवाब है नहीं। दूध निकलने की पूरी प्रक्रिया में कुल दूध का उत्पादन ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। एक उदाहरण लीजिए, एक भैंस बछड़ा देने के बाद 12 लीटर दूध प्रतिदिन देती है और तीसरे सप्ताह यह 14 लीटर प्रतिदिन देने लग जाए और उसके बाद यह धीरे-धीरे घट कर 12 लीटर पर आ जाए और उसके बाद लंबे समय के लिए उसी पर स्थिर हो जाए और धीरे-धीरे कम होते हुए बंद हो जाए।

किस तरह से मुनाफा कमा सकते हैं और डेयरी फार्म व्यवसाय को सफल बना सकते हैं ?

– डेयरी के व्यवसाय में सफल होने का सबसे अहम तत्व रुचि है। डेयरी व्यवसाय में सफल होने के लिए लगन से काम करें।
– इस व्यवसाय की निगरानी करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि इसकी गतिविधि से प्रतिदिन जुड़े रह सकें।
– कभी भी बड़ी पूंजी के साथ इसकी शुरुआत ना करें और इसकी शुरुआत एक या दो पशुओं से करें और इसकी चुनौतियों को समझें और डेयरी के क्षेत्र में अनुभव लें। एक बार जब आप इस व्यवसाय से साथ जुड़ गए तो उसके बाद आप इसका बड़े पैमाने पर विस्तार करें।
– शुरुआत में, डेयरी फार्म के व्यवसाय में आप अपना पैसा ना लगाएं। जब आपको विश्वास हो जाए, तब आप व्यावसायिक डेयरी फार्मिंग में कोशिश करें।
– चारे का खर्च खत्म करने के लिए घर पर ही हरे चारे को उपजाने की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके पास पर्याप्त भूमि हो ताकि जहां आप हरे चारे की खेती कर सकें। अच्छे दूध की प्राप्ति के लिए इन हरे चारे से परिरक्षित चारा बनाएं।
– व्यावसायिक डेयरी फार्म बिजनेस में प्रवेश करने से पहले अच्छी गुणवत्ता और अच्छी संरचना वाले पशुओं का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है।
– पशुओं के लिए गाढ़े चारे की खरीद जहां तक संभव हो कम से कम कीमत पर खरीदना चाहिए।
– सफल डेयरी किसान बनने के लिए, बछड़ों की अच्छी देखभाल जरूरी है। मादा बछड़े के तीन साल होने पर वो दूध देना शुरू कर सकती है जिससे पूंजी का खर्च घट सकता है।
– गर्भादान के चक्र की पहचान करनी होगी और भैंस में सूखे की समस्या (दूध देना बंद होना) खत्म करने के लिए वक्त पर गर्भादान जरूरी है।
– इस बात को सुनिश्चित करें कि पशु चिकित्सक फार्म पर दो सप्ताह में एक बार जरूर आए।
– डेयरी उद्योग में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए, बड़े ग्राहकों को सीधे दूध बेचने के लिए अच्छा मार्केटिंग प्लांट तैयार करें। इससे दूध संग्रहण केंद्र आपके फार्म पर होगा और जहां आप प्रतिदिन बड़ी मात्रा में दूध खरीद सकेंगे।

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डेयरी उद्योग के लिए सब्सिडी या बैंक लोन कैसे प्राप्त करें ?

यह एक अच्छा सवाल है। राज्यों की योजनाओं के मुताबिक डेयरी उद्योग में सब्सिडी उपलब्धि है। भारत में डेयरी योजनाओं के लिए नाबार्ड की ओर से बैंक लोन उपलब्ध है। बैंक लोन लेने की अहर्ता और प्रक्रियाओं को समझने के लिए अपने स्थानीय कृषि बैंक या नाबार्ड कार्यालय में संपर्क करें।

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