By-Dr.Savin Bhongra
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थनैला –कारण एवं प्रतिबंधन
दूध व्यवसायी पशुपालक के लिए थनैला एक चुनौती से कम नहीं हैं। तीव्र हो या सुप्त, थनैला होने से पशुपालक को बहुत नुकसान पहुँचता है। इसका प्रतिबंधन एवं समय पर उपचार करना अति महत्वपूर्ण है।
थनैला क्याें होता है ?
किसी भी कारणवष रोग जन्तुओं का (जीवाणु, विङ्ढाणु, फफूंद इत्यादि) थनश्लाओटी में प्रवेष व बाद में प्रसार होने से थनैला होता है।
थनैला के मद्दगार :
थन पर बाहर से जख्म या खरोंच
समय पर दूध निकालने में देरी
बाड़े में फर्ष (जमीन) पर हमेषा गंदगी
पिछले पैरों के ज्यादा बढ़े हुए नाखून
खुरों का टेढ़ाश्मेढ़ा बढ़ना तथा दो खुरों के बीच मं जख्म
जेर अटकने का इतिहास एवं बच्चादानी में इन्फेक्षन
घटिया व असंतुलित पषुआहार
रोजाना के आहार में मिनरल्स की कमी जैसे कोबाल्ट, कॉपर, फॉस्फोरस, सेलेनियम इत्यादि
ब्रुसेल्ला एवं गलाघोंटू जैसी बीमारी
सुप्त थनैला छिपा दुष्मन
थनैला बीमारी के इस प्रकार में कोई भी लक्षण बाहर से नज़र नहीं आते। जिस थन में यह बीमारी होती है उसमें से कम दूध निकलता है और दूध में फैट की मात्रा हमेषा कम ही रहती है। ऐसे सुप्त थनैला का पशु चिकित्सक की मदद से पहचान कर के उसका तुरन्त इजाज करना बहुत फायदेमंद साबित होता है। सुप्त थनैला का पहचानने के लिए सी. एम. टी. परीक्षण एक बहुत सरल एवं सस्ता उपाय है।
थनैला का प्रतिबंधन ———-
दूध निकालने वाले के नाखून, उसके हाथों की स्वच्छता एवं पशुओं के उठने बैठने की जगह की साफश्सफाई का खास तौर पर ध्यान देना चाहिए।
थन या लाओटी की छोटी सी खरोंच का भी तुरन्त उपचार करें।
बढे हुए पिछले नाखून / खुरों को समयश्समय पर काट कर सामान्य से ज्यादा न बढ़ने दें।
हाल ही में खरीदे हुए नए पशुओं का कुछ दिन थोड़ा हट कर बाँधिए।
दूध निकालने के बाद थन का छेद आधे से चार घंटों तक खुला रहता है। खुले छेद के द्वारा रोग जन्तु आसानी से अन्दन प्रवेष करक थनैला का कारण बन सकते हैं। रोग जन्तुओं का प्रवेष रोकने के लिए हमेषा दूध निकालने के पश्चात चारों थनों को औङ्ढधि युक्त पानी में डुबोना न भूलें। इसके लिए एक गिलास/कप में लाल दवा/ ब्लीचिंग पाऊडर या बेन्झालकोनियम मिश्रित पानी का प्रयोग करें। इन दवाओं का बदलश्बदल कर इस्तेमाल करें।
दूध से सुखाते समय गायश्भैंस के चारों थनों से सम्पूर्ण दूध निकाल कर प्रत्येक थन में दवाई युक्त मल्हम की टयूब (केवल 3 मि.मी. अन्दर तक) से दवाई छोड़ें। बाद में अगले चार दिन थनों को ऊपर दिए गए निर्देषानुसार दवाई मिश्रित पानी के कप में रोजाना डुबोएं।
सभी पशुओं को हमेषा ताजा, साफश्सुथरा तथा ठंडा पानी पीने को दीजिए।
थनैला के प्रतिबंधन में अच्छी गुणवत्ता वाले संतुलित आहार का योगदान महत्वपूर्ण है। आहार में मिनरल मिक्स्चर (खनिज मिश्रण) का सही मात्रा में होना अनिवार्य है।
थनैला के लक्षणप दिखने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सलाह मष्वरा कर उपचार करवाएं। किसी भी प्रकार की लापरवाही बहुत नुक्सानदेय साबित ह