डेरी व्यवसाय में मुनाफा प्राप्त करने के लिए दुधारू पशुओ का सही चुनाव एक मुख्य मुद्दा है। दुधारू पशुओ का चयन करते समय निम्नलिखित मुद्दों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
१. नस्ल
गाय / भैंस का चुनाव करने से पहले उनकी उम्दा नस्ल के बारे में जानना आवश्यक है। दुधारू गाय/ भैंस दूरस्थ स्थान से नहीं खरीदकर स्थानीय जलवायु को ध्यान में रखते हुए आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से चयन करें। पशु उन्नत नस्ल का हो।
डेरी उद्योग के लिए उमदा देसी / विदेशी गाय की नस्ले :- गीर , कांकरेज ,सहिवाल, जर्सी , होल्स्टिन फ्राइजियन
डेरी उद्योग के लिए उमदा भैंस की नस्ले : -सुरति , महेसाणी मुर्राह जाफराबादी , बन्नी
ज्यादा दूध उत्पादन करती गाय और भैंस का ही चुनाव करना चाहिए जिसे आप ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सके।
दुधारू पशु खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातेंः
दुधारू पशु का मूल्याकंन उनके दुग्ध उत्पादन क्षमता, प्रतिवर्ष बच्चे देने की क्षमता तथा लम्बे, स्वास्थ्य एवं उपयोगी जीवन से किया जाता है। अच्छे दुधारू पशुओं को खरीदते समय किसान भाइयों को निम्नलिखित गुणों पर ध्यान दिया जाना चाहिये-
1. शारीरिक संरचना- दुधारू पशुओं का शरीर आगे से पतला तथा पीछे से चौड़ा, नथुना खुला हुआ, जबड़ा मजबूत पेशीवाला, आँखे उभरी एवं चमकदार, त्वचा पतली, पूँछ लम्बी, सींगों की बनावट नस्ल के अनुसार, कन्धा शरीर से भली-भाँति जुड़ा हुआ, छाती का भाग विकसित, पीठ चौड़ी एवं समतल तथा शरीर छरहरा होना चाहिये दुधारू गाय की जाँघ पतली एवं गर्दन पतली लम्बी एवं सुस्पष्ट होनी चाहिये। पेट काफी विकसित होना चाहिये। अयन (थन) की बनावट समितीय, त्वचा कोमल होना चाहिये। चारों चूचक एक समान लबें एवं मोटे, एक दूसरे से समान दूरी होना चाहिये।
2. दुग्ध उम्पादन क्षमताः- खरीदने से पूर्व उसे स्वंय दो तीन दिन तक दुहकर भली-भाँति परख लेना चाहिये। दूहते समय दूग्ध की धार सीधी गिरनी चाहिये तथा दूहने के बाद थन सिकुड़ जाना चाहिये। अयन में दूध की शिराएँ उभरी हुई अच्छी तरह से विकसित दिखाई देनी चाहिये।
3. वंशावली- यदि पशु की वंशावली उपलब्ध हो तो उनके बारे में सभी बातों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। लेकिन हमारे यहाँ वंशावली रिकॉर्ड रखने का प्रचलन नहीं है, जिसके कारण अनेक लक्षणों के आधार पर ही पशु का चुनाव करना पड़ता है। अच्छे डेरी फार्म से पशु खरीदने में यह सुविधा प्राप्त हो सकती है।
4. आयु- सामान्यतः पशुओं की जनन क्षमता 10-12 वर्ष की आयु के बाद समाप्त हो जाती है। तीसरे-चौथे ब्याँत तक दुग्ध उत्पादन चरम सीमा पर रहता है जो धीरे-धीरेे घटते जाता है। अतः दुग्ध उत्पादन व्यवसाय के लिये 2-3 दाँत वाले कम आयु के पशु अधिक लाभदायक होते हैं। दुधारू पशुओं में स्थाई एवं अस्थाई दो प्रकार के होते है। स्थाई दाँत मटमैले सफेद रंग के उपर से नीचे की तरफ पतले गर्दन का आकार लिये हुए जबड़े से जुड़े होते हैं जबकि अस्थाई दाँत सफेद बिना गर्दन के जबड़े से लगे होते हैं। 6 (छः) साल के बाद मवेशियों के सामने के दो( इनसाइजर) दाॅत धीरे-धीरे घिसनें लगते हैं जिससे अपेक्षाकृत कम नुकीले एवं छोटे दिखाई देते हैं। 10-11 साल की आयु होने तक चारों इनसाइजर दाँत घिसकर छोटे हो जाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ लगभग सभी दाँत घिसकर चौकोर हो जाते हैं तथा दो दाँतों के बीच में फर्क दिखाई देने लगता है।
4. स्वास्थ्य- पशु का स्वास्थ्य अच्छा होना चाहिये तथा स्वास्थ्य के बारे में अगल-बगल के पड़ोसी से जानकारी भी अवश्य लेनी चाहिये। टीकाकरण एवं अब तक हुई बीमारियों के बारे में सही-सही जानकारी होने से उसके उत्तम स्वास्थ्य पर भरोसा किया जा सकता है।
5. जनन क्षमता- आदर्श दुधारू गाय वही होती है जो प्रतिवर्ष एक बच्चा देती है। पशु क्रय करते समय उसका प्रजनन इतिहास अच्छी तरह जान लेना चाहिये। यदि उसमें किसी प्रकार की कमी हो तो उसे कदापि नहीं खरीदना चाहिये। क्योंकि ये कभी भविष्य में समय पर पाल न खाने, गर्भपात होने, स्वास्थ्य, बच्चा नही होने, प्रसव में कठिनाई होने इत्यादि कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।