दूध में दूषित पानी की मिलावट जानलेवा! किडनी, लीवर और फेफड़े खराब कर रहे हैं खतरनाक बैक्टीरिया

0
452

 

दूध में दूषित पानी की मिलावट जानलेवा! किडनी, लीवर और फेफड़े खराब कर रहे हैं खतरनाक बैक्टीरिया

 

पशुधन प्रहरी नेटवर्क,
बरेली/नई दिल्ली, 20 जुलाई 2019,

दूध में दूषित पानी की मिलावट जानलेवा साबित हो रही है। दूषित पानी की मिलावट की वजह से दूध में खतरनाक बैक्टीरिया पैदा हो रहे हैं, इससे किडनी, लीवर, फेफड़े जैसे अंगों पर असर पड़ रहा है। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान (IVRI) के वैज्ञानिकों की जांच-पड़ताल में यह तथ्य सामने आया है। IVRI के वैज्ञानिकों को बरेली के दूधियों, गांवों और दूसरे सैंपल में स्यूडोमोनास नाम का बैक्टीरिया मिला है।

आईवीआरआई के महामारी विभाग के अध्यक्ष और प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. भोजराज सिंह और एमवीएससी की छात्रा डॉ. हिमानी अग्री ने बरेली के आसपास के गांव से सप्लाई होने वाले गाय-भैंसों के दूध के, संस्थान में इलाज के लिए लाई गई गाय-भैंसों के 300 से अधिक सैंपल एकत्र किए थे। प्रयोगशाला में इसकी जांच की गई। जांच के दौरान इनमें से 31 सैंपल में स्यूडोमोनास बैक्टीरिया मिले, इनमें से ज्यादातर भैंसों के दूध में मिले। आईवीआरआई में इलाज के लिए लाई गई गाय-भैंसों के 60 सैंपल की जांच हुई, इसमें से 21 में नुकसानदायक बैक्टीरिया मिले हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह बैक्टीरिया दूषित पानी में मिलता है। दूधियों से लिए गए सैंपल में भी स्यूडोमोनास मिला है और इससे साफ है कि दूध में दूषित पानी की मिलावट की गई। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि दूध में यह बैक्टीरिया मिले तो साफ हो जाता है कि पानी में मिलावट की गई है।

READ MORE :  कैरस लेबोरेटरीज़ ने युगांडा में एवियाना अफ़्रीका प्रदर्शनी में लिया हिस्सा और अपने इनोवेटिव प्रोडक्ट किए पेश

दूध में मिले स्यूडोमोनास, सुपरबग और एस्केप श्रेणी के

सैंपल की जांच में सुपरबग क्वालीफिकेशन के स्यूडोमोनास मिले। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि यह बैक्टीरिया काफी हठी होता है। उस पर से एंटीबायोटिक प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर ले तो और भी खतरनाक हो जाता है। कुछ बैक्टीरिया एस्केप ग्रुप थे। एस्केप ग्रुप उन बैक्टीरिया को कहते हैं जो हॉस्पिटल में लगते हैं और इनसे पीछा छुड़ाना काफी मुश्किल होता है।

सेप्टीसीमिया और अंगों में संक्रमण फैलने का खतरा

डॉ. भोजराज सिंह ने बताया कि स्यूडोमोनास सेप्टीसीमीया, लेग इनफेक्शन के साथ ही अंदरूनी अंगों में भी संक्रमण कर सकता है। यह किडनी, लीवर और फेफड़ों में संक्रमण का कारण बन सकता है। स्थिति तब और खतरनाक हो सकती है जब संक्रमण फैलाने वाला बैक्टीरिया सुपरबग क्वालीफिकेशन हो। ऐसी स्थिति में नए जमाने की कार्बापेनम ग्रुप एंटीबायोटिक भी इन पर बेअसर हो जाएगी।

सेंट्रल जेल डेयरी का दूध सर्वोत्तम

सेंट्रल जेल बरेली की डेयरी से भी सैंपल लिए गए थे। इसमें खतरनाक बैक्टीरिया नहीं मिले। डॉ. भोजराज सिंह ने कहा कि सेंट्रल जेल बरेली की डेयरी का दूध सबसे अच्छा है। इसका एक कारण यह भी है कि वहां पर गायों की संख्या अधिक है। स्यूडोमोनास ज्यादातर भैंसों के दूध में मिले है। या तो वे गंदे पानी में नहाती हैं या फिर उनकी थन को गंदे पानी से धोया जाता है।

दूध में स्यूडोमोनास का मिलना यह दर्शाता है कि दूध में दूषित पानी की मिलावट की गई है। यह बैक्टीरिया खतरनाक है और जितने सैंपल में बैक्टीरिया मिले हैं उसमें 25 प्रतिशत मामले सुपरबग क्वालीफिकेशन के थे। दूध को सही तरीके से उबाल कर पीए, जानवर बीमार है तो उसका दूध न पीएं। -डॉ. भोजराज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष, महामारी विभाग, आईवीआरआई, बरेली

 

READ MORE :  India Tops Milk Production in World, Turnover Higher than Wheat and Rice output: PM Modi

दूषित पानी मिलाने से संक्रमण की संभावना

स्यूडोमोनास बैक्टीरिया गंदे पानी, मिट्टी में पाया जाता है। संभव है दूध में दूषित पानी मिलाने से बैक्टीरिया आ गया है। जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर होती है, उनके शरीर के किसी भी अंग को यह प्रभावित कर सकता है। एसजीपीजीआई के माइक्रोबायोलोजी विभाग की प्रमुख प्रो. उज्जवला घोषाल के मुताबिक यह बैक्टीरिया फेफड़ा, पेट, त्वचा सहित किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। रक्त प्रवाह में जाकर यह गंभीर संक्रमण का कारण हो सकता है। ब्रुसेलोसिस बैक्टीरिया जानवरों के शरीर पर ही पाया जाता है। इस लिए सफाई से दूध न निकालने पर जानवर से ही दूध में आ जाता है। यह भी घातक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाश्चुराइज दूध ही इस्तेमाल करना चाहिए।

स्यूडोमोनास बैक्टीरिया शरीर में किसी भी तरह का संक्रमण फैला सकता है। इससे रक्त में संक्रमण के अलावा, पेशाब और शरीर के किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। इससे व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है। स्यूडोमोनास बैक्टीरिया इतने खतरनाक हैं कि यह एंटीबायोटिक दवाइयों के प्रतिरोधी हो चले हैं। -प्रोफेसर नवल विक्रम, मेडिसन विभाग, एम्स

 

(साभार- हिंदुस्तान)

 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON