पशुओं की देखभाल और उनका आहार
विश्व भर में भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिऐ प्रसिद्ध है।यहाँ पत्थरों को भी पूजा जाता है। पशुओं की तो बात ही निराली है।भरतीय परिवरों में पशुओं को पालना बहुत ही सम्मानित दृष्टि से देखा जाता है।इनको परिवार का ही अंग माना जाता है। पशुओं को घरेलु स्तर पर तथा व्यावसायिक स्तर पर पाला जाता है।पशुओं में गाय, बकरी, भेड़, ऊँट, भैंस आदि को मुख्य रूप से पाला जाता है। जिस प्रकार घर में एक शिशु की देखभाल की जाती है उसी प्रकार पशुओं की देखभाल की जाती है।
पशुओं की देखभाल के लिये निम्न जानकारी होना आवश्यक है——-
*पशुओं को पालने से पूर्व उनके बारें में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
* उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए डीवॉर्मिंग/टीकाकरण समय पर होना चाहिए।
*उनके रहने वाले स्थान साफ और स्वच्छ होने चाहिये।
*गर्भावस्था में पशुओं की विशेष देखभाल होनी चाहिए।
* मौसम के अनुसार पशुओं की देखभाल होनी चाहिए।
पशुओं का आहार—————-
- पशु को 24 घंटे में खिलाया जाने वाला
- आहार जिसमें उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति
- हेतु भोज्य तत्त्व मौजूद हों,पशु आहार कहते हैं।
- जिस आहार में पशु के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्त्व उचित अनुपात और मात्रा में उपलब्ध हों सन्तुलित आहार कहलाता है।
- पशु के आहार की मात्रा का निर्धारण उसके शरीर की आवश्यकता व कार्य के अनुरूप तथा उपलब्ध भोज्य पदार्थों में पाए जाने वाले पोषक तत्त्वों के आधार पर किया जाता है।
पशू आहार को तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है————
- जीवन निर्वाह के लिए आहार
- उत्पादन के लिये आहार
- गर्भावस्था के लिए आहार
पशु को कुल आहार का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भाग दाने के मिश्रण को खिलाया जाना चाहिए।
पशुओं को सूखा व हरा चारा बहुत पसंद आता है जिसे वे बड़े चाव से खाते हैं।
उनके आहार में विटामिनस, कार्बोहाइड्रेटस, मिनरल्स की उचित मात्रा होनी चाहिए।
पशुओं के लिए स्वच्छ पानी की व्यवस्था होनी आवश्यक है।
इस तरह पशुओं का पालन पोषण बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है।