पशुओं को भीषण गर्मी, लू एवं तापमान के दुष्प्रभावों से कैसे बचाएं
Dr.Savin Bhongra
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पशुधन को भीषण गर्मी, लू एवं तापमान के दुष्प्रभावों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है। वर्तमान में तेज गर्म मौसम तथा तेज हवाओं का प्रभाव पशुओं की सामान्य दिनचर्या को प्रभावित करता है।
भीषण गर्मी की स्थिति में पशुधन को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रबन्धन एवं उपायों, जिनमें ठंडा एवं छायादार पशु आवास, स्वच्छ पीने का पानी आदि पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है। तेज गर्मी से बचाव प्रबंधन में जरा सी लापरवाही से पशु को ‘लू‘ नामक रोग हो जाता है। ‘लू‘ से ग्रस्त पशु को तेज बुखार हो जाता है और पशु सुस्त होकर खाना पीना बन्द कर देता है। शुरू में पशु की श्वसन गति एवं नाडी गति तेज हो जाती है। कभी-कभी नाक से खून भी बहने लगता है। पशु पालक के समय पर ध्यान नहीं देने से पशु की श्वसन गति धीरे-धीरे कम होने लगती है एवं पशु चक्कर खाकर बेहोशी की दशा में ही मर जाता है।
पशुपालन पशु आवास हेतु पक्के निर्मित मकानों की छत पर सूखी घास या कडबी रखें ताकि छत को गर्म होने से रोका जा सके। पशु आवास के अभाव में पशुओं को छायाकार पेड़ों के नीचे बांधे। पशु आवास में गर्म हवाओं का सीधा प्रवाह नहीं होने पावे इसके लिए लकड़ी के फंटे या बोरी के टाट को गीला कर दें, जिससे पशु आवास में ठण्डक बनी रहे। पशु आवास गृह में आवश्यकता से अधिक पशुओं को नहीं बांधे तथा रात्रि में पशुओं को खुले स्थान पर बांधे।
आहार
गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा अधिक खिलावें, पशु इसे चाव से खाता है तथा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत जल की मात्रा होती है, जो समय-समय पर पशु शरीर को जल की आपूर्ति भी करता है। इस मौसम में पशुओं को भूख कम व प्यास अधिक लगती है। इसके लिए गर्मी में पशुओं को स्वच्छ पानी आवश्यकतानुसार अथवा दिन में कम से कम तीन बार अवश्य पिलावें इससे पशु शरीर के तापमान को नियन्ति्रत बनाये रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा पानी में थोड़ी मात्रा में नमक व आटा मिलाकर पिलाना भी अधिक उपयुक्त है इससे अधिक समय तक पशु के शरीर में पानी की आपूर्ति बनी रहती है, जो शुष्क मौसम में लाभकारी भी हैं। पशु को प्रतिदिन ठण्डे पानी से भी नहलाने की सलाह दी गई है।
पशुपालकों को सलाह दी गई कि पशुओं को ‘लू‘ लगने पर प्याज का रस एवं पानी में ग्लूकोज अथवा नमक व शक्कर घोलकर पिलाएं। ‘लू‘ लगने पर पशु को ठण्डे स्थान पर बांधे तथा माथे पर बर्फ या ठण्डे पानी की पट्टियां बांधे जिससे पशु को तुरन्त आराम मिले। पशु में बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त नजदीकी पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर पशु का उपचार करावें जिससे पशुधन तथा उसके उत्पादन में होने वाली हानि से बचा जा सके।