पशुओं को शुरुवाती दुग्धावस्था में बाईपास-फैट देना फायदेमंद
डॉ. योगेश आर्य (नीम का थाना)
बाईपास फैट:- बाईपास फैट पशु आहार मे दी जाने वाली फैट है, जो रुमन मे अपघटित नही होती हैं, बल्कि एबोमेजम की अम्लीय पी.एच. पर इसका पाचन होता हैं| कच्चा खाद्य-तेल देने की बजाय बाईपास फैट देने से रूमन की पाचन क्रिया मुख्यतः रेशेदार आहार का किण्वन एवं पाचन भी प्रभावित नही होता हैं| बाईपास फैट का मेल्टिंग सूचकांक ज्यादा होता हैं, अतः ये रुमन मे अपघटित नही होती हैं, साथ ही 6 से अधिक पी.एच. पर रुमन में ये अक्रिय रहती हैं जबकि एबोमेजम की अम्लीय 2.5 पी.एच. पर फैट और कैल्सियम मे टूट जाती हैं|
बाईपास फैट बनाने की विधि:- सामान्यतया लंबी श्रन्खला वाले वसीय-अम्लो के “कैल्सियम साबुनीकृत लवण” बनाना ज्यादा प्रचलित हैं| इस विधि मे वसीय-अम्लों की क्रिया कैल्सियम-हाइड्रोक्साइड से करवा कर “कैल्सियम साबुनीकृत लवण” तैयार कर लिए जाते हैं| इसके लिए सर्वप्रथम वसीय-अम्लो के स्त्रोत मे पानी और कैल्सियम-ऑक्साइड मिलाया जाता है, इससे बना कैल्सियम-हाइड्रोक्साइड, वसीय-अम्ल से क्रिया करके “कैल्सियम साबुनीकृत लवण” बना लेते हैं| इस पूरी क्रिया मे ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया होने से तापमान बढ़ जाता हैं अतः इसको ठंडा करके, छान कर सुखा लेते हैं|
बाईपास फैट हल्के भूरे या क्रीम रंग का दानेदार पाउडर होता हैं| जिसमे फैट का मात्रा 80 फीसदी और कैल्सियम 8 फीसदी के लगभग होता हैं|
बाईपास फैट खिलाने के फायदे:-
- बाईपास फैट पशु को पॉज़िटिव ऊर्जा बेलेन्स मे रखती हैं और पशु मे नेगेटिव ऊर्जा बेलेन्स से होने वाले रोग अथवा उपापचयी रोग जैसे कीटोसिस, एसीड़ोसिस और मिल्क फीवर इत्यादि नही होते है|
- पशु की शारीरिक दशा एवं स्वास्थ्य मे सुधार होता हैं|
- पशु की प्रजनन क्षमता मे वृद्धि होती हैं|
- पशुओ का दूध उत्पादन बढ़ता हैं|
- दूध मे फैट की मात्रा बढ़ती हैं|
पशु को दी जाने वाली बाईपास फैट की मात्रा:-
बाजार मे अलग अलग ब्रांड के बाईपास फैट उपलब्ध हैं जैसे- केमिन, मेगालेक और डेयरीलेक इत्यादि| इनमे से “केमिन बाईपास फैट” को 100 ग्राम- 400 ग्राम मात्रा प्रति गाय, प्रतिदिन की दर से खिलाया जा सकता हैं| इसकी मात्रा का निर्धारण इसके ब्रांड और गाय की दूध उत्पादन क्षमता के हिसाब से करते हैं| बहुत अधिक दूध उत्पादन देती हो तो 400 ग्राम तक दे सकते हैं|