पशुओं में क्षय रोग (टी.बी) लक्षण एवं रोकथाम

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By-Dr.Savin Bhongra

पशुओं में क्षय रोग (टी.बी)
लक्षण एवं रोकथाम

क्षय रोग पशुओं में एक दीर्घकालीन संक्रामक रोग है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि में पाया जाता हैं। इसके अलावा यह पक्षियों में भी पाया जाता हैं।

यह रोग संक्रामक है इसलिए यह रोग पशुओं से मनुष्यो में भी फैलता है।
यह माइकोवैक्टिरियम नामक जीवाणु से फैलता है।
मनुष्यों में यह संक्रमण संक्रमित पशुओं के दूध से भी फ़ैल सकता हैं।
यह रोग एक संक्रामक रोग है जो एक पशु से दूसरे पशु के सम्पर्क में आने से भी आसानी से फैलता है।
लक्षण

लंबे समय तक खांसी, श्वांस में कठिनाई, भूख में कमी,शुष्क चमड़ी,कार्यक्षमता में कमी एवं कन्धे और पुट्ठै की लसिका ग्रंथियो के आकार में वृद्धि आदि भी।
इस बीमारी से प्रभावित पशुओं में हल्का ज्वर (102-103 डिग्री फैरनहाइट) रहता है।
कभी-कभी थनैला रोग की समस्या भी पायी जाती हैं।
निदान

रोगी पशुओं को तुरंत बाड़े के अन्य पशुओं से अलग करना चाहिए।

संक्रमित पशुओं को पशु चिकित्सक के पास ले कर जाना चाहिए ताकि रोग निवारण सुनिश्चित हो सके।

इस बीमारी की रोकथाम में बहुत समय लगता है।

स्टृप्टोमाइसिन, न रिफाम्पिसिन, आइसोनियाजिड का संयुक्त तरीके से लंबे समय तक प्रयोग करना चाहिए जो लाभकारी प्रभाव दिखाता है।(कम से कम 6 माह)

रोकथाम

खनिज तत्वो व विटामिन से पूर्ण पौष्टिक आहार।
बाड़े में प्रर्याप्त स्थान।
बाड़े में पशुओं का प्रबंधन बेहतर ढंग से करें।
पशुओं के बाड़े में साफ-सफाई का ध्यान रखें।
नियमित विसक्रंमण।
रोग रोधन के लिए निम्नलिखित रसायनों का इस्तेमाल किया जा सकता हैं-
2-4 प्रतिशत फारमेलिन
5 प्रतिशत चूना
5 प्रतिशत फिनाइल
2 प्रतिशत तूतिया

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