पशुओं में पेराटूबरकुलोसिस रोग : लक्षण एवं रोकथाम

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पशुओं में पेराटूबरकुलोसिस रोग : लक्षण एवं रोकथाम

By Savin Bhongra
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पेराटूबरकुलोसिस रोग गाय, भैंस, बकरी इस रोग से मुख्य रूप से प्रभावित होते हैं। यह रोग पशुओं में टीबी के बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम एवियम उप प्रजाति (एमएपी)) द्वारा होती है जिससे दूध का उत्पादन कम होने लगता है। यह एक लाइलाज संक्रमण है और पशु व्यवसाय के लिए भारी आर्थिक नुकसान का कारण बनता है। यह मनुष्यों में पशुओं के दुग्ध और गोबर द्वारा फैलता है।

इस रोग के जीवाणु संक्रमित पशुओं के दुग्ध में उपस्थित रहता है तथा यह पाश्चुरीकृत दुग्ध में भी नष्ट नहीं होता। यह जीवाणु गर्भावस्था के दौरान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रेेषित हो सकता है।

लक्षण:

संक्रमित पशु महीनों तक अस्वस्थ दिखाई देता है।
इस रोग द्वारा प्रभावित पशुओं में दस्त लगना, वजन घटना, शारीरिक दुर्बलता जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
संक्रमित पशुओं के दुग्ध उत्पादन में कमी आने लगती है।
इस रोग में आंतों में सूजन हो जाता हैं और आँतें जीर्ण हो जाती है। इसके कारण चारा पचना नहीं है और पशु कमजोर हो जाता है साथ में उसे दस्त लग जाते हैं।

चिकित्सा एवं रोकथाम :

इसका कोई सफल इलाज उपलब्ध नहीं है।
इस रोग के नियंत्रण हेतु स्वच्छ प्रबंधन रखने की आवश्यकता है।
नियमित परीक्षण कार्यक्रम तथा नवजात पशुओं के उचित रख रखाव से इस रोग से बचाव किया जा सकता है।
रोग की पुष्टि होने पर संक्रमित पशुओं को तत्काल बाड़े के अन्य पशुओं से अलग करना चाहिए।
प्रभावित पशुओं को पशुचिकित्सक के पास अवश्य ले जाना चाहिए।

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