पशुओं में विटामिन ‘ए’ की जरूरत
कई क्रियाओं के संचालन के लिये विटामिन ‘ए’ बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने पर अंधापन, चमड़ी सूखकर सक्त हो जाती है। खुरचन उतरती रहती है प्रजनन क्षमता में कमी तथा नवजात बछड़ों में जन्मजात विकृतियां पैदा हो जाती है।
रोग के कारण
1. प्राथमिक विटामिन ‘ए’ की कमी : हरे चारे की कमी।
2. द्वितीय विटामिन ‘ए’ की कमी
1. आंतों या लीवर की लम्बी बीमारी ।
2. गर्मी के दिनों में पशु को विटामिन ए की अधिक जरूरत पड़ती है।
3. अधिक दानायुक्त आहार व सूखा चारा देने से विटामिन ए की कमी रहती है।
4. जिन पशुओं में थाइराईड ग्रन्थि व लीवर सही काम नहीं करते हे कैरोटिन ‘ए’ में परिवर्तन नहीं हो पाता है। और कमी हो जाती है। कई संक्रामक रोगों के कारण भी इसकी कमी हो जाती है।
5. कई दिनों तक तरल पैराफिन देने से विटामिन ए की कमी हो जाती है।
6. शरीर में विटामिन ई तथा सी की कमी।
विटामिन ए क्यों जरूरी है।
7. शरीर की वृद्धि के लिये तथा इसकी कमी से भूख कम तथा पशु दुबला रहता है।
8. आंख की दृष्टि के लिये।
9. हड्डियों की वृद्धि के लिये।
10. त्वचा को कोमल लेकिन मजबूत बनाने के लिये।
11. भ्रूण के विकास के लिये।
12. विटामिन ए की कमी से स्वांस नली में संक्रमण अधिक होता है।
13. विटामिन ए की कमी से पथरी बनने की संभावना अधिक रहती है।
14. विटामिन ए के कमी से नर मादा दोनों की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है।
15. शुक्राणुओं का बनना एवं अंडाणुओं का बनना प्रभावित होता है।
16. विटामिन ए की कमी से रिटेंसन आफ प्लेसेन्टा तथा गर्भपात की संभावना रहती है।
विटामिन ए की कमी के लक्षण
रतौंधी : कभी-कभी दिन में भी सही दिखाई नहीं देता है।
शुष्क त्वचा : चमड़ी रुखी तथा कटी सी हो जाती है। तथा जगह-जगह से खुरचन उतरती रहती है।
1. ऐनीमल की वृद्धि कम होती है। तथा कमजोर हो जाता है।
2. शुक्राणुओं का निर्माण प्रभावित होने से सक्रिय शुक्राणुओं की संख्या कम हो जाती है।
3. गाय-भैस के गर्भाशय में लेसेन्टा कमजोर हो जाने से गर्भपात भी हो सकता है।
4. आंखों में सफेद झाई सी आना तथा पानी भर जाने से आंखें बाहर की ओर निकल आती हैं। आंखों से आंसू गिरते रहते है।
5. नवजात बछड़ों में आई बाल की पूरी तरह कमी या छोटी रह जाती है। कई बार तीसरी आंख भी बन जाती है। यह गर्भ में विकृति के कारण भी होता है।
6. गर्म विकास के दौरान अंगों में विकृतियां पैदा हो जाती हैं।
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
विटामिन ए का स्रोत : विटामिन ए का लीवर, हरी घास, हरे चारे, दुग्ध, वसा, गाजर आदि।
इलाज :
विटामिन इंजेक्शन
200 आई यू. पर पाउंड शरीर भार, बछड़े में 10 से 15 लाख आईयू., गाय में 2 से 2.5 लाख आई यू., घोड़े 2 से 3 लाख आई यू