पशुओं मैं यूरिया शिरा उपचार

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पशुओं मे यूरिया शिरा उपचार

संकलन -डॉ राजेश कुमार सिंह ,पशु चिकित्सक ,जमशेदपुर, झारखंड ,94313 09542

हरे चारे की कमी या सूखा पड़ने पर आप सूखे चारे का उपचार कर के पशुओं को खिला सकते हैं। सूखे चारे के रूप में अपने देश में अधिकतर गेहू° का भूसा, धान का पुआल और ज्वार, बाजरा के डंठल का उपयोग होता है। इन चारों में पाचक ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा बहुत कम हैं आरै ये चारे पशु शरीर के बनाये रखने की क्षमता भी नहीं रखते। इसलिये इनका उपचार कर के खिलाना जरूरी हैं।
इसके दो तरीके हैं-

A-यूरिया शिरा उपचार =:

सर्वप्रथम एक मजबूत बड़ा घड़ा (15 किलो क्षमता) लीजिये इसमें 2 लीटर साफपानी डालें अब उसमें 1.5 किलो यूरिया डालकर अच्छे से घोल लें अब इसमें 10 किलो शिरा (सात किलो गुड़ को 3 लीटर पानी में घोलकर)तैयार कर सकते हैं। एक किलो नमक एवं एक किलो खनिज मिश्रण ( एग्रीमीन ) डालकर उसे पुनः अच्छी तरह घोल लें। अब इस मिश्रण युक्त घाड़े को सुरक्षित स्थान पर रख लें।

खिलाने की विधि =:

आधा किलो बने मिश्रण को लेकर 2 लीटर साफ पानी में मिलाकर पतला घोल बना लें। इस घोल की 5 किलो कुट्टी में डालकर अच्छी तरह से हाथों से मिला दें। इस तरह उपचारित कुट्टी पशु को एक दिन खिलाने हेतु पर्याप्त है। ज्यादा दूध देने वाली पशुओं को अलग से चुनी, खली एवं चोकर मिलाकर दे सकते हैं।

B-यूरिया उपचार =:

1 क्विंटल पैरा कुट्टी 2 मीटर का घेरा फैला लें। 4 किलो यूरिया को 50 लीटर पानी में पूर्ण रूप से घोलकर धीरे-धीरे 100 किलो ग्राम (1क्विंटल) पैरा कुट्टी में अच्छे से छिड़काव करें। अच्छी तरह फैले हुए कुट्टी में समान रूप से मिलावें। उपचारित कुट्टी को पॉलिथीन (यूरिया के बोरे को जोड़कर बना सकते हैं) ढंक दें। जिससे बाहर की हवा अंदर न जावें। 21 दिनों बाद उपचारित कुट्टी पशुओं को खिलाने हेतु तैयार हो जाती है। उपचारित कुट्टी को खिलाने के 1/2 से 1घंटे पहले खुली हवा में रखा जाता है।
पैरा यूरिया उपचार की विधि

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सावधानियां :

1. मवेशियों को यूरिया घोल से दूर रखना चाहिए।
2. यूरिया का घोल बनाने के लिए पानी साफ व सही मात्रा में डालना चाहिए।
3. चार माह से कम उम्र के पशुओ को उपचारित चारे न खिलावें।
4. पैरा कुट्टी का उपचार पक्के फर्श या ऐसे जगह करना चाहिए जिससे यूरिया घोल निकल कर बर्बाद न हो या जमीन न सोंखे।
3. पशु मूत्र उपचार :
पैरा कुट्टी की कुल मात्रा से आधी मात्रा में पशु मूत्र लेकर कुट्टी में अच्छी तरह से मिला दें । उक्त कुट्टी को धूप में सूखते तक रखे। सुखने के पश्चात् पशु मूत्र उपचारित कुट्टी पशुओं को आवश्यक खिला दें। इस विधि में बिना लागत के पशु मूत्र में उपस्थित नाईट्रोजन, कैल्शियम एवं फॉस्फोरस जैसी उपयोगी तत्व पैर कुट्टी में मिल जाते है।
चूना उपचार : समतल गोबर लिपि जमीन पर लगभग 6 इंच मोटी 1 क्विंटल पैरा कुट्टी धूप में फैला देते है। 2 किलो चूना 40 लीटर पानी में घोल कर फैले हुए कुट्टी में बराबर मात्रा में छिड़काव करें। इस उपचारित कुट्टी को सुखने के बाद थप्पी जमाकर घर में रख लें एवं आवश्यकतानुसार पशुओं को खिला दें। चूना उपचारित कुट्टी पशुओं को खिलाने से पैरा में विद्यमान हानिकारक पदार्थ ऑक्जेलिक अम्ल का असर कम हो जाता है। शारीरिक विकास एवं एवं दूध उत्पादन हेतु आवश्यक कैल्शियम चूने के माध्यम से पूर्ति हो जाती है।

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