पोल्ट्री फीड से आने वाले दिनों में बढ़ सकते हैं चिकन के दाम!
मक्के और सोयाबीन का दाम चढ़ने से पोल्ट्री इंडस्ट्री की प्रॉडक्शन कॉस्ट बढ़ी। पिछले सालभर में पोल्ट्री का फार्म गेट प्राइस करीब 20 प्रतिशत बढ़कर 85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।
पशुधन प्रहरी नेटवर्क
कृष्णकुमार पीके, कोच्चि
चारे की लागत में बढ़ोतरी से होने वाला नुकसान कम करने के लिए पोल्ट्री इंडस्ट्री प्रॉडक्शन में कमी करने पर विचार कर रही है। इससे आने वाले दिनों में पोल्ट्री के दाम चढ़ सकते हैं। पोल्ट्री फीड में अहम हिस्सा रखने वाले मक्के के दाम कुछ महीनों में चढ़े हैं। इससे पोल्ट्री इंडस्ट्री की प्रॉडक्शन कॉस्ट बढ़ी है। इसका असर पोल्ट्री प्राइस पर भी आया है।
पिछले सालभर में पोल्ट्री का फार्म गेट प्राइस करीब 20 प्रतिशत बढ़कर 85 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। हालांकि जुलाई में हिंदू कैलेंडर के हिसाब से सावन महीना शुरू हो गया है और काफी लोग इस दौरान नॉन-वेज नहीं खाते हैं। इससे कीमत कम हुई है।
पोल्ट्री के फार्म गेट प्राइसेज घटकर करीब 62 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ चुके हैं। तमिलनाडु के पल्लादम में ब्रॉयलर कोऑर्डिनेशन कमेटी के एक एग्जिक्युटिव ने कहा, ‘पोल्ट्री फार्मर के लिए ऐवरेज प्रॉडक्शन कॉस्ट 75 रुपये के आसपास है। कंजम्पशन में करीब 30 प्रतिशत की गिरावट आने से हमारे सामने उत्पादन में कमी करने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है। इससे आने वाले महीनों में पोल्ट्री के दाम चढ़ सकते है।’ यह कमेटी साउथ इंडिया में ब्रॉयलर चिकन के दाम तय करती है।
सुगना पोल्ट्री फार्म्स के एमडी जी बी सुंदराराजन ने कहा, ‘प्रॉडक्शन कॉस्ट 20 प्रतिशत बढ़ गई है। इसके अलावा मौसम गर्म होने से चूजों की ग्रोथ पर असर पड़ा है। इससे वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में सप्लाई 15 से 20 प्रतिशत कम हुई है।’ पहली तिमाही में फीड कॉस्ट में बढ़ोतरी का असर पोल्ट्री की ज्यादा डिमांड के कारण तकलीफदेह नहीं बना था। सुंदराराजन ने कहा, ‘दूसरा क्वॉर्टर आमतौर पर सुस्त पीरियड होता है। हमारा अनुमान है कि तीसरे क्वॉर्टर में डिमांड बढ़ेगी।’
मक्के और सोयाबीन का उपयोग पोल्ट्री फीड में किया जाता है। इस साल इन दोनों के दाम चढ़े हैं। तमिलनाडु में रवि पोल्ट्री फार्म्स के डायरेक्टर शशि कुमार ने कहा, ‘पिछले साल के मुकाबले मक्के का दाम बढ़कर 26-27 रुपये प्रति किलो हो गया है, वहीं सोयाबीन का दाम करीब 40 प्रतिशत बढ़कर 37 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।’
उन्होंने कहा कि एग और चिकन, दोनों से जुड़े फार्मर अभी घाटे में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में कीड़े की मार के कारण मक्के की फसल कमजोर होने से भी दाम चढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने रूस और यूक्रेन से मक्का आयात करने का टेंडर जारी करने का निर्णय किया था ताकि सप्लाई बढ़ाई जा सके। हालांकि उसमें देर हो गई है। उन देशों में फसल तैयार हो चुकी है और दाम चढ़ रहे हैं।’ इंडस्ट्री यह मानकर चल रही है कि अक्टूबर तक अगली फसल आने पर मक्के का दाम घट सकता है।
Report by- Pashudhan praharee network