ग्रीष्म ऋतु का समय पोल्ट्री किसानों के लिए सबसे कठिन समय होता है । गर्मी तनाव अक्सर गर्मी के महीनों में ही देखा जा सकता है इसलिए उत्पादन और शरीर के वजन में होने वाले नुकसान से बचने के लिए उचित देखभाल की आवश्यकता होती है। पोल्ट्री शेड में 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान शरीर के तापमान को समायोजित करने में समस्या पैदा करता है और अंत में शरीर के उत्पादन में गडबड़ी करता है। वयस्क पक्षी उच्च तापमान को समायोजित करने के लिए करीब 5 दिनों का समय लेते हैं। वसंत के बाद, शुरू के गर्मी के दिनों में उतपन्न गर्मी से तनाव बढ़ जाता है इसलिए किसानों को समस्थिति (Homestatis) बनाये रखने के लिए और उत्पादन की लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रत्येक पक्षी की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए lउष्मागत तनाव (Heat Stress) अंततः कॉर्टिकोस्टेरोन को रिलीज करता है और झुंड की कार्यक्षमता कम करता है।
चूंकि पक्षियों में पसीने की ग्रंथियों की कमी होती है, इसलिए शरीर की अतिरिक्त गर्मी को चार तरीकों से नियंत्रित किया जाता हैl किसी माध्यम के बिना एक पक्षी के शरीर की गर्मी दूसरी चीज़ या दूसरे पक्षी तक पहुंचती है (Radiation)l संवाहन (Conduction) के द्वारा गर्म सतह से ठंडी सतह तक गर्मी का स्थानांतरण होता है ताकि गर्मी से प्रभावित पक्षी पानी के पाइपों को छूकर या लिट्टर के ढेर में गड्ढा करके ठंडी ज़मीन के संपर्क में आकर अपने शरीर को ठंडक पहुंचाने का प्रयास कर सकें ।हालाँकि उनके नीचे के लिट्टर का तापमान उनके शरीर के तापमान के बराबर ही होता हैl संवहन (convection) द्वारा आसपास की हवा (यानी, उचित वेंटिलेशन) से शरीर की गर्मी कम हो जाती है lगर्मी के प्रकोप को कम करने का यह सबसे प्रभावी तरीका है l जब पर्यावरण तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है तब गर्मी कम करने के ये तीन विकिरण, संवाहन और संवहन आम तौर पर पक्षियों के शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैंl
जब पर्यावरण का तापमान पक्षी के तापमान (i.e.41 डिग्री सेल्सियस) के साथ मेल खाता होता है, तो इन तीनों गर्मी कम करने वाली क्रियाविधियों का प्रभाव कम हो जाता हैlऐसी स्थिति में, शीतलन प्रक्रिया मुंह खोल कर तेजी से सांस लेने (पेंटिंग) के माध्यम से होती है। .इस प्रक्रिया के दौरान, पंख ढीले हो कर दोनों तरफ लटक जाते हैं।
कम भोजन और अधिम मात्रा में पानी का सेवन अंडे के उत्पादन और खोल की गुणवत्ता को कम करते हैं और कुछ पक्षी मर भी सकते हैं। विश्राम की अवस्था में लिए गए साँस की तुलना में सांस लेने की दर 10 गुना बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अतिरिक्त कार्बोन्डाइसाइड छोड़ी जाती है जो रक्त केअधिक क्षारीय बनने का कारण बनती है। रक्त की क्षारीयता कैल्शियम को ले जाने की क्षमता कम करती है और खोल की गुणवत्ता के नुकसान के साथ-साथ कोमल पक्षियों की हड्डी की ताकत भी कम करती है ।
गर्मी तनाव से बचने के लिए, निम्नलिखित प्रबंधन प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए:
आहार नीतियां
पक्षियों को सुबह और शाम के समय में खिलाया जाना चाहिए।भर पेट भोजन किए हुए पक्षियों की तुलना में भूखे पक्षियों का मेटाबोलिक ताप उत्पादन 20-70% कम होता है, साथ ही थर्मोजेनिक प्रभाव 35 डिग्री सेल्सियस पर लगभग 10 घंटे तक रहता है, और 20 डिग्री सेल्सियस पर केवल 2 घंटे के लिए होता है l इसलिए,दोपहर में भोजन नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि पाचन के ताप शरीर का तापमान बढ़ाता है । पाचन से उतपन्न गर्मी को कम करने के लिए कार्बोहाइड्रेट के साथ-साथ सिंथेटिक अमीनो एसिड (0.5% से प्रोटीन कम करें) की तुलना में वसा के उपयोग बढ़ा देना चाहिए । भोजन में एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे विटामिन ई (250 मिलीग्राम / किग्रा फीड) और विटामिन सी (400 मिलीग्राम / किग्रा) को शामिल करने से गर्मी के दौरान बढ़ा मृत्यु दर कम होता है । ताजा और ठंडा पानी पक्षी के लिए लगातार उपलब्ध रहना चाहिए। डेक्सट्रोज़ और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड इत्यादि) जैसी दवाएं अधिक गर्मी में शरीर के आयनिक संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।मुर्गी बाड़ा
मुर्गी बाड़ा
पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए, इससे हवा का संचालन ठीक रहता है l ठंडक के लिए निकास पंखे, छत पंखा, फॉगर्स आदि का उपयोग किया जा सकता है। जहां तक हो सके एक जगह पर पक्षियों का जमावड़ा नहीं होना चाहिए पक्षियों के लिए ज़रूरत से अधिक जगह होनी चाहिए lछत पर दिन में 3-4 बार पानी छिडकने से शेड का तापमान 5°से 10°F तक कम हो जाता है । छत पर तिनकों /घास -फूस के उपयोग से तापावरोधन बनाना चाहिए या चूने की एक अच्छी मोटी परत के साथ छत की पुताई कर देनी चाहिए l
अन्य
गर्मियों के दौरान, गीला भोजन खिलाना बेहतर होता है, लेकिन सावधान रहना चाहिए क्योंकि ऐसा भोजन जल्दी ही खराब हो जाता है इसलिए अच्छी गुणवत्ता वाले विष बाइंडर (Toxin Binder) का प्रयोग करना चाहिए। कड़े शीत चेन रखरखाव के साथ ही निर्माण के निर्देशन का भी पालन किया जाना चाहिए ,क्योंकि गर्मी के दौरान टीके की विफलता सामान्य समस्या है। अधिक गर्मी के साथ बहुत सारी बीमारियां जुड़ी हुई हैं, इसलिए प्रदूषण को कम करने के लिए स्वच्छता और जैव सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिएl गर्मियों में स्तिथि के अनुसार चारे की खपत कम हो जाती है तथा विटामिन और खनिजों की बढ़ोत्तरी 20-40% तक बढ़ जाती हैl
इस से, गर्मियों में गर्मी के प्रकोप का प्रभाव कम करने का कोई एकमात्र समाधान नहीं निकलता lपोल्ट्री में आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए रोकथाम रणनीति की श्रृंखला आवश्यक है ।