फार्म में बायो सिक्यूरिटी का तरीका – वायरल बीमारियों से बचाव का एक मात्र तरीका

0
1060
फार्म में बायो सिक्यूरिटी का तरीका – वायरल बीमारियों से बचाव का एक मात्र तरीका
(Principles of Bio-Security in Poultry Farms)
BY-DR. IBNE ALI
दोस्तों पोल्ट्री फार्म्स में तरह-तरह की बैक्टीरियल और वायरल बीमारियां आती रहती हैं जिनसे बचाव करना व्यवसाय में मुनाफा बढ़ाने के नए आयाम खोलता है|  बचाव करने के इस सिस्टम को बायो सिक्योरिटी प्रोग्राम कहा जाता हैआजकल जैसे स्वच्छ भारत अभियान ज़ोरो पर है वैसे ही हमें अपने पोल्ट्री फॉर्म के लिए भी स्वच्छता का अभियान चलाते रहना चाहिए|  अच्छी साफ-सफाई रखने के साथ-साथ मुर्गियों में समय से टीकाकरण और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इम्यून बूस्टर देने चाहिए|  इन तीनों लेवल पर काम करने से मुर्गियों में बीमारी आने से काफी हद तक रोका जा सकता है|  एक बात याद रखें कि किसी भी फार्म को पूरी तरह से जीवाणु या कीटाणु मुक्त करना संभव नहीं है हम एक हद तक ही जा सकते हैं इसलिए ऊपर दिए गए तीनों कार्यक्रम इमानदारी से करने पर बायो सिक्योरिटी प्रोग्राम को सफल बनाया जा सकता है|
 
अब हम नीचे कुछ अहम पहलुओं पर नजर करेंगे.
·         सबसे पहले किसी भी अवांछित व्यक्ति को फार्म में ना आने दे और हर आने-जाने वाले का रिकॉर्ड रखें कई बार दवाई बेचने वाले या फिर चूज़े बेचने वाले फार्मो में घूमते रहते हैं वह एक फार्म की बीमारी दूसरे फार्म में लाने के लिए जिम्मेदार  हो सकते हैंनिश्चित रूप से वह ऐसा अनजाने में कर जाते हैं इसलिए हमें सावधानीपूर्वक किसी को फार्म में लाना चाहिए|
·         यदि आपने एक आयु से अधिक के मुर्गियों के बैच रखे हुए हैं तो सबसे पहले आप नए फलॉक  का निरीक्षण करें और उसके बाद अधिक आयु वाली मुर्गियों की तरफ  जाएं
·         जो व्यक्ति फार्म में काम नहीं कर रहे मुर्गियों को उनके संपर्क में न आने दें
·         यदि किसी अन्य फार्म से कोई बर्तन या अन्य उपकरण आता है तो उसे अच्छे से धो कर और डिसइंफेक्टेंट से साफ करके फार्म में लाएं
·         गाड़ियों के लिए डिसइन्फेक्टटेंट  के स्प्रे और व्हील डीप  का इंतजाम करें  इसके लिए 1 ग्राम पोटेशियम परमैंगनेट 1 लीटर पानी में घोलकर बनाया जा सकता है|
·         फार्मों की फेंसिंग करके रखें
·         गेट और दरवाजों पर हर समय ताला रखें
·         अपनी मुर्गियों के अलावा किसी अन्य पक्षी को फार्म में ना रखें  अन्य पक्षी जैसे कबूतर देसी मुर्गियां बत्तख आदि और यदि किसी अन्य पशु जैसे गाय भैंसो बकरी आदि कोई यदि फार्म में रखें  तो उनकी  फेंसिंग  और आने का रास्ता अलग रखें
·         किसी भी पालतू पशु जैसे कुत्ता बिल्ली को फॉर्म में ना रखें और ना आने दे
·         हर एक फॉर्म में चूहे छछूंदर आदि को कंट्रोल करने का एक प्रोग्राम हमेशा चला कर रखें इसके लिए उपयुक्त संसाधन पहले ही जुटा लेंचूहे ईकोलाई साल्मोनेला और अन्य कीटाणुओं जीवाणुओं के कार्यवाहक होते हैं|
·         मुर्गियों के फार्म में चूहे नहीं घुसने चाहिए
·         फार्म की आसपास की जगह में कोई भी घास-फूस कूड़ा यह पुराना सामान चूहों को रहने की जगह मुहैया करता है
·         यदि किसी स्थान पर फीड बिखर जाता है तो उसे अच्छे से साफ कर दें  क्योंकि यह चूहों को आकर्षित करता है
·         हर फार्म में शौचालय और हाथ धोने की व्यवस्था होनी चाहिए|  फार्म के बाहर 1 वाश बेसिन लगाना चाहिए जिस पर डेटॉल लिक्विड सोप मौजूद हो और फार्म में जाने से पहले और बाद में उस से हाथ साफ किए जाएं
·         फार्म में जाने के अलग कपड़े और गम बूट होने  चाहिए जिन्हें  समय-समय पर होते रहना चाहिए
·         फार्म के बाहर भी एक फुट बाथ  रखना चाहिए जिसमें पोटेशियम परमैंगनेट का घोल  हर चौथे या पांचवें दिन बदलना चाहिए फार्म में घुसते समय और बाहर आते समय उसमे पैर धोने चाहिए
फार्म की साफ-सफाई और सैनिटेशन प्रोग्राम
·         सैनिटेशन प्रोग्राम एक अकेला ऐसा कार्य है जिससे फार्म में बीमारियों को आने से रोका जा सकता है
·         एक स्वस्थ ब्रीडर के चूजे एक अच्छी शुरुआत प्रदान करते हैंअच्छी साफ-सफाई रखने से बीमारियों की आमद कम हो जाती है|फार्म सैनिटेशन का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं कि हम एक अच्छा डिसइन्फेक्टेंट  चुनकर  सारा भार उस पर डाल दें |
·         डिसइन्फेक्टेंट को फार्म के अंदर मौजूद गंदगी निष्क्रिय कर देती है नीचे दिए गए सिद्धांतों को ध्यान से पढ़ें और यह सिद्धांत उस स्थिति में कारगर नहीं है यदि आप लीटर को दोबारा इस्तेमाल करते हैं |
·         हर पोल्ट्री बैच के कार्यकाल के अंत में सभी पक्षियों को फार्म में से निकाल देना चाहिए
·         यदि फार्म में कीड़ों, जुओं और किल्लियों की समस्या आई हो तो एक अच्छा कीटनाशक इस्तेमाल करें यह कार्य पक्षियों के निकलने के तुरंत बाद करना चाहिए क्योंकि यह कीड़े जल्दी ही फार्म की दरारों और अन्य जगाहों में छुप जाते हैं और अगले पोल्ट्री के बैच को दूषित करते हैं
·         कीटनाशक छिड़कने का प्लान पहले ही बना लेना चाहिए
·         फार्म में से मुर्गियों को निकालने के बाद चूहों को कंट्रोल करने का प्रोग्राम चलाना चाहिए
·         हर तरह के फीड को फार्म में से हटा देना चाहिए यदि फीड बचा हुआ होतो उसे अगले बैच में इस्तेमाल करने से पहले,  पिछले बैच में  होने वाली बीमारियों का आंकलन कर ले और सुव्यवस्थित ढंग से फीड का इस्तेमाल करें
·         दूसरा बैच लेने से पहले सारे लिट्टर को फार्म में से साफ कर लेना चाहिए और गाड़ियों में भी लीटर के अवशेष ना रहने दें
·         गन्दगी, धूल, मिट्टी आदि सभी साफ करें कुछ फार्मों में दवाई रखने के लिए कुछ शेल्फ बने होते हैं उन पर धूल जम जाती है उसे साफ करना ना भूलें जो खंबेपर्दे या दीवारें में भी धूल मिट्टी जमा हो जाती है उसे भी साफ करना ना भूलें
·         जिन बर्तनों को या उपकरणों को धोया  नहीं जा सकता उन्हें धूप में सुखाएं या फूमिगेशन (fumigation) के समय फॉर्म में रहने दे
·         जब फार्म में से लिट्टर को निकाल दे तब प्रेशर वाले पाइप से फर्श की धुलाई करें और एक अच्छा डिटर्जेंट लेकर उस पानी से फर्श को और दीवारों को साफ करें फार्म की छत और पदों पर भी तेज धार वाले पानी से सफाई करनी चाहिए यदि फार्म में पंखे लगे हुए हैं तो उन पर पहले पन्नी का कवर चढ़ा दें और सावधानी से छत की धुलाई करें
·         जिन फार्मो में पर्दे लगे हुए हो उनमें पर्दों के दोनों तरफ सफाई करनी चाहिए
·         धुलाई एक तरफ से शुरू करनी चाहिए और पानी को  साथ साथ  निकालते चलना चाहिए और किसी भी तरह के पानी को फार्म में या आसपास जमा ना होने दें
·         जहां पर बिजली की फिटिंग हो वहां पर पानी को ध्यानपूर्वक इस्तेमाल करें
·         जिन  फार्मों में टैंक लगे हुए हो उन्हें खाली करके अंदर से डिटर्जेंट से साफ करना चाहिए और उस पानी को ड्रिंकिंग सिस्टम से बाहर निकालना चाहिए उसके बाद उसमें साफ पानी भर के जब तक बाहर निकाल ले जब तक डिटर्जेंट पूरी तरह से साफ ना हो जाए
·         Virkon s नामक दवाई को पानी के टैंक में 10 ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से डालें और पूरे ड्रिंकिंग सिस्टम में उस पानी को चला दे ऐसा करने से ड्रिंकिंग सिस्टम के अंदर हर प्रकार की चिकनाई और गंदगी दूर हो जाएगी और पानी द्वारा बीमारी फैलने का खतरा भी कम हो जाएगा|
·         फार्म के बर्तनों को डिटर्जेंट से अच्छे से धोने के बाद Virkon s नामक  दवाई के घोल में 15 मिनट  के लिए डुबाना चाहिए और निकाल कर सुखा लेना चाहिए
·         दूसरे उपकरण जैसे ब्रूडर गार्ड फीडर के ढक्कन आदि को भी बिना अच्छे से साफ किए अगले बैच में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
·         बाहर आने जाने के रास्ते में गटर में छतों पर या अन्य जगहों में फॉर्म से  धुलाई के दौरान निकला हुआ कचरा जमा ना होने दें
·         किसी भी तरह के रिपेयर का काम या ड्रेनेज की सफाई इसी दौरान कर लें| चलते फार्म में यह काम करने बहुत कठिन होते हैं और इनसे पक्षी  तनाव में आ जाते हैं और अतिरिक्त लाभ भी नहीं मिलता|
·         अच्छी तरह से धोने के बाद सुखाना जरूरी होता है इसलिए इसके लिए अतिरिक्त पंखे चलाए जा सकते हैं
·         जब फार्म को धो लिया जाए तब उसमें डिसइन्फेक्टेंट का स्प्रे करना चाहिए इसके लिए 10 ग्राम Virkon s नामक  दवाई को  1लीटर पानी में  घोल कर  मिला लेना चाहिए याद रखें कि पानी बहुत ठंडा या गर्म ना हो बल्कि उसका तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के करीब हो और 1 लीटर पानी से 3 मीटर स्क्वायर जगह को स्प्रे करें|
·         10,000 स्क्वायर फीट जगह के लिए 300 ग्राम Virkon s को 30 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें (यह उन फार्मो के लिए हैं जिन्हें वायरल बीमारी बार बार आती है)आम  फार्म में 30 ग्राम Virkon s  30 लीटर पानी में काफी होता है|
·         यह सब करने से फार्म में पिछले बैच की लगभग 80% वायरल बीमारियां गम्बोरो, रानीखेत, IB आदि खत्म की जा सकती हैं परंतु अब भी एक महत्वपूर्ण कार्य करना बाकी रहता है वह है फूमिगेशन
फूमिगेशन (fumigation) क्या है
फूमिगेशन में फार्मेलिन नामक केमिकल को इस्तेमाल किया जाता है इसमें से निरंतर फॉर्मेल्डिहाइड की वाष्प निकलती रहती है जो सभी प्रकार के जीवाणु और कीटाणु का नाश करती है|
Ø  इस तरीके को अपनाने से पहले मानव सुरक्षा के सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए क्योंकि यह एक रासायनिक क्रिया है और किसी भी केमिकल के कम या ज्यादा होने से उसके परिणाम अलग हो सकते हैं|  जहां पर इस क्रिया को किया जा रहा है वहां के भौतिक वातावरण  का आकलन अवश्य करना चाहिए जिसमें निम्न बातों का ध्यान रखें|
Ø  वातावरण में आद्रता 70 से 80% तक होनी चाहिए
Ø  फार्म का तापमान  कम से कम 21 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए  इससे कम तापमान पर फॉर्मल इन गैस काम नहीं करती (इसलिये सर्दियों में फूमिगेशन (fumigation) सुबह के समय करना चाहिए)|
Ø  फार्म को धोने के तुरंत बाद  फूमिगेशन करना ठीक रहता है क्योंकि इससे फॉर्म में आद्रता बढ़ जाती है
Ø  इसके लिए फार्म को पूरा सील कर देना चाहिए और कहीं से भी हवा के बहाव को रोक देना चाहिए ऐसा कम से कम 24 घंटे के लिए होना चाहिए
फूमिगेशन के तरीके
1.    फार्मेलिन और पोटेशियम परमैंगनेट
इस तरीके में एक  उग्र रसायनिक क्रिया होती है जिसमें से ऊष्मा और फार्मेलिन गैस निकलती है 25 मीटर क्यूब जगह के लिए 1 लीटर फार्मेलिन काफी होता हैइसमें 3:2  के अनुपात में पोटेशियम परमैंगनेट मिलाया जाता है मतलब लीटर फॉर मैरिज के लिए 625 ग्राम पोटेशियम परमैंगनेट की आवश्यकता होती है|
क्योंकि यह रासायनिक क्रिया बहुत उग्र होती है इसलिए  एक बर्तन में सवा लीटर से अधिक फार्मेलिन  इस्तेमाल नहीं करना चाहिए|
जिस बर्तन में यह क्रिया की जानी है  उसकी गहराई फार्मेलिन तरल से 3 गुना अधिक होनी चाहिए और जितनी गहराई हो उतना ही  उस बर्तन का व्यास होना चाहिए  ऐसा करने से फार्मेलिन और पोटेशियम परमैंगनेट के बीच होने वाली रासायनिक क्रिया से उत्पन्न होने वाले बुलबुले बर्तन से बाहर नहीं आएंगेयह बर्तन मिट्टी या धातु का होना चाहिए|
 
उदाहरण के लिए 1700m  (60210 ft3जगह के लिए 68 लीटर फार्मेलिन और 45 किलो पोटेशियम परमैंगनेट चाहिए होता है|
Steps in Fumigation
1.    अपने फार्म का आयतन ftमें निकाल लें (मतलब चौड़ाई X लम्बाई X ऊँचाई)
2.    इसके बाद फार्म को पूरी तरह से बंद कर दें और सिर्फ बहार जाने का एक रास्ता खुला छोड़ दें
3.    अब व्यास का स्टील या चीनी मिट्टी का बर्तन लें और उसमे 760 gram पोटैशियम परमैंगनेट रख दें
4.    ऐसे बर्तन हर 10 फीट की दूरी पर रख दें (उदहारण के लिए यदि आपका फार्म 100 फीट लम्बा है तो 9 बर्तन ऐसे रखें)
5.    अब दो लोग अपने मुह पर कपडा बांधकर, चमड़े के जूते, दास्ताने और आँखों पर सेफ्टी चश्मा लगाकर फोर्मलिन को  एक बाल्टी में लेकर तैयार रहे और साथ में एक सवा लीटर (1.2 लीटर ) का मापक ले लें (यह मापक ऐसा होना चाहिए जिसमे आगे की तरफ पकड़ने का एक हैंडल हो और मापने का कटोरा दूसरे पर हो| यह हैंडल 1 मीटर लम्बा होना चाहिए |
6.    अब फार्म के दो सिरों से दो लोग उस मापक कटोरे से बाल्टी से फोर्मलिन लेकर पहले से रखे हुए पोटैशियम परमैंगनेट डालना शुरू करें
7.    ऐसा वो जल्दी से जल्दी कर दें (मगर इस बात का ध्यान रखें की बराबर मात्रा में फोर्मलिन बर्तन में चला गया है)
8.    अब फार्म से बहार आ जाये और 24 घंटे के लिए फार्म को बंद कर दें
2.    फोर्मलिन और पानी द्वारा फूमिगेशन
 
इस तरीके में फोर्मलिन में बराबर मात्रा में पानी मिला कर रख दिया जाता है और उसमे से वाष्प निकलने लगती है जो जीवाणु और कीटाणु नाशक होती है | 28ml फोर्मलिन में 28ml पानी 25 m3 के लिए पर्याप्त होती है |
फोर्मलिन गैस और द्रव्य बहुत घातक होते हैं और अधिक देर तक उनके संपर्क में रहने से कैंसर भी हो सकता है इसलिये इस प्रक्रिया को पुरे बचाव के साथ जल्द से जल्द पूरा करें और काम के बाद हाथ पैर धो लें |
 
Please follow and like us:
Follow by Email
Facebook

Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON
READ MORE :  BASIC PREVENTION AND CONTROL OF INFECTIOUS BURSAL DISEASE (IBD/GUMBORO) IN POULTRY PRODUCTION