फार्म साफ करने के लिए, यानी इंफेक्शन से बचाव करने के लिए कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल
हम फार्म साफ करने के लिए, पानी साफ करने के लिए, छिड़काव करने के लिए कई तरह की दवाइयों का इस्तेमाल
करते हैं।इनसे हमारे फार्म पर आने वाली बीमारी अपना रास्ता बदल देती हैं, व आई हुई बीमारियां भी जल्द ही खत्म
हो जाती हैं। आज आप लोगों के साथ इन दवाइयों के बारे मे कुछ जानकारी साझा करता हूँ ताकि आप लोग सही
जरूरत के लिए सही दवाई ही लगाएं। इन दवाओं को डिस-इंफेक्तंट (disinfectant) कहते हैं। यानी इंफेक्शन से बचाव
करने वाला।
इन दवाइयों के काम के अनुसार इनके कई प्रकार हैं और हर प्रकार का अपना महत्व और अपनी कमियां हैं।
इनके प्रकार समझने के पहले ये समझना जरूरी है की ये दवाएं विभिन्न तरह के रसायन हैं जो की बीमारियों के
जीवाणु और विषाणु के ऊपर जितना तेज और कारगर प्रभाव डालती हैं उसी के अनुपात में ये मुर्गे के शरीर पर भी
दुष्प्रभाव डालने की क्षमता रखती हैं।
यानी अगर हल्की दवा है तो वो कम कीटाणु मारेगी लेकिन मुर्गे को कम नुकसान करेगी, और यदि बहुत तेज दवा है
तो कीटाणु तेज मारेगी लेकिन मुर्गे को थोड़ा जादा नुकसान करेगी। हर नियम की तरह इस नियम में भी अपवाद हैं,
लेकिन सामान्यतः यही होता है।
इसिलिए किस काम के लिए क्या दवा इस्तेमाल करनी है ये जानना बहुत जरूरी है वरना हम शेर का शिकार सुईं से
और चींटी का शिकार तलवार से कर रहे होंगे।
इनके काम करने के मुताबिक इनके प्रकार :
A) पानी साफ करने की दवा
B) बच्चों के रहते छिड़काव करना / रेगुलर डिसिन्फेक्ट स्प्रे
C) बच्चों के ना रहते शेड की सफाई और बायोसेक्योरिटी मे इस्तेमाल करने वाली तेज दवा।
जाहिर है की पानी मे पिलाने वाली दवा वो सही होगी जो बच्चे को नुकसान कम करे, और यथा संभव जीवाणु कम
करे। रेगुलर स्प्रे के लिए वो दवा जो जीवाणु और विषाणु मारने में सक्षम हो लेकिन नियंत्रित मात्रा में बच्चो को
नुक्सान न करे।
`
और खाली शेड मे वो जो जादा से जादा जीवाणु और विषाणु, ज्यादा चुनौती पूर्ण माहौल में भी मार सके, भले वो
अनियंत्रित मात्रा में कुछ नुक्सान देह हो। बिलकुल विष समान दवा की हम बात ही नहीं कर रहे। उसका तो उपयोग
कर ही नहीं सकते।
हम फारमर गलती ये करते हैं की पानी साफ करने की दवा से ही फार्म साफ करते हैं और फार्म साफ करने की दवा
पानी मे देते हैं।
ऐसे मे ज्यादातर बार हमे दिक्कत नही होती क्योंकि ये दवाइयाँ इतना जादा बच्चों को तकलीफ नही देती की
मोर्टेलिटी हो जाये और अगर हो भी तो हम समझ नही पाते की बच्चा मरा क्यों।
लेकिन कभी कभी इससे बहुत जादा मोर्तालिटी भी हो जाती हैं, और कारण को ढूँढना मुश्किल होता है।
हम डॉक्टर भी अपने अनुभव के आधार पर कभी कभी कुछ तेज दवा को नियंत्रित तौर पर उपयोग कर लेते हैं, लेकिन
हम ऐसा करते वक़्त फायदे और नुकसान को तोल कर फैसला लेते हैं, और यह डॉक्टर की कला होती है, परंतु फारमर
भाई यही क्रिया दोहराते है अज्ञान वश। दोनो बातों मे बहुत अंतर होता है।
A) पानी साफ करने की दवा प्रायः दो तरह की हो सकती है।
1) एसिडिफायर (ओरगानिक एसिड का मिश्रण )
2) सैनिटाइज़र (क्लोरीन, आयोडीन, डी. डी. ए. सी इत्यादि रसायन उत्पाद)
फारमर भाई इन दोनो मे से कोई एक इस्तेमाल करते हैं पानी साफ करने के लिए और यदि सही खुराक दें तो पानी से
होने वाली बीमारी जैसे की ई कोलाई से बिल्कुल मुक्त रहते हैं। लेकिन जहां पानी बहुत खराब हो या गर्मी का मौसम
हो, या बार बार बीमारी आती हो तो फार्मर इन दवाइयों की खुराक बहुत बढा देता है। मेरी सलाह होती है की एक तरह
की दवा का डोज़ बढ़ाने की बजाय दोनो तरह की दवा को एक साथ इस्तेमाल करने से जादा लाभ मिलता है। (यानी
पहले एक दवा डालकर 30 मिनट छोड़ दिया। फिर दूसरी दवा मिलाकर कुछ देर में पानी छोड़ सकते है। ऐसा करने पर
30 से 60 मिनट पानी की दूसरी व्यवस्था होनी चाहिए।
लेकिन पहले दिन से आखिरी दिन तक (वैक्सीन का समय छोड़कर) इन दवाइयों का उपयोग बहुत ही जादा लाभकारी
है। वैक्सीन यदि पानी के माध्यम से होना हो तो 48 घंटे पहले ये दवा बंद कर दे। यदि आँख में वैक्सीन होनी है तो दवा
बंद न करे।
B) बच्चों के रहते छिड़काव वाली दवा/ रेगुलर डिसिन्फेक्ट :
इस ग्रुप में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं ट्रिप्प् साल्ट वाले उत्पाद, या फिर (क्यू.ए. सी) वाले उत्पाद) (QUARTERNARY
AMMONIUM COMPOUNDS)।
ये दवा प्रति सप्ताह दो बार ठंडे मौसम मे शेड मे व बाहर छिड़काव करने से फार्म तक पहुंचे वाइरस के जीवाणु नष्ट हो
जाते हैं और आती बीमारी टल जाती है। बच्चा बीमार नही होता तो ग्रोथ पर भी फायदा मिलता है।
डॉक्टर अपने अनुभव के आधार पर कभी कभी इनका अतिरिक्त इस्तेमाल भी करते हैं पर फारमर बंधुओं ने बिना
राय के ऐसा नहीं करना चाहिए।
C) बच्चे के ना रहने पर खाली शेड की सफाई के वक़्त इस्तेमाल होने वाली तेज दवाएं/टर्मिनल डिसिन्फेक्टैंट
इनका इस्तेमाल बच्चों के रहते भी लोग कर लेते हैं, लेकिन इनका सही इसतेमाल बच्चा ना रहने पर है।
हालांकि डॉक्टर इनकी डोस नियंत्रित करके इन्हें बच्चों के रहते इस्तेमाल कर सकता है, या दवाई का निर्माता भी यह
राय दे सकता है लेकिन फारमर बंधुओं ने स्वयं अपनी इच्छा से ये काम नही करना चाहिए क्योंकी जादा मात्रा मे ये
नुकसान कर सकती हैं। लेकिन इनका प्रभाव बहुत मजबूत होता है। इसको शेड साफ़ करते समय, फुट बाथ, वेहिकल
स्प्रे, और बच्चे के रहते शेड के बाहर स्प्रे के लिए करना उचित होता है।
इसमें सामान्यतः एल्डिहाइड उत्पादों व् उनके विभिन्न मिश्रणों की जगह होती है। आम तौर पर बी.के.सी, अल्काइल
यूरिया डेरीवेटिव, 1,6 डी. डी. हेच इत्यादि मिश्रित होते हैं।
इनकी मारक क्षमता अच्छी होती है।
याद रखें, साफ पानी, साफ हवा, अच्छा दाना, व्यवस्थित मैनजमेंट, और अंत में सही मार्केटिंग ही इस व्यवसाय मे
जीत की सीढ़ी है।
इस लेख में सभी तरह के उत्पाद या उनके मिश्रण का उल्लेख कर पाना संभव नहीं था, फिर भी सामान्य तौर पर
इस्तेमाल होने वाले उत्पादों के सन्दर्भ में बात की गयी है।
संकलन –डॉ प्रवीण सिंह , पौल्ट्री कंसल्टेंट , लखनऊ