ब्रायलर मुर्गियों में एसाईटिस (Ascites) की समस्या और उसका समाधान

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ब्रायलर मुर्गियों में एसाईटिस (Ascites) की समस्या और उसका समाधान – Problem of Ascites (Water Belly) in Broilers and its Management & Remedy

BY-DR. IBNE ALI

एसाईटिस (Ascites) एक ऐसी बीमारी है जो पोल्ट्री व्यवसाय के लिए सर दर्द बनी हुई है|  यह कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि कई बीमारियों का संगलन है जिसमे पक्षी के पेट में पीले रंग का द्रव्य जमा हो जाता है और अचानक से मोर्टेलिटी (Sudden Death Syndrome) बहुत बढ़ जाती है| इस बीमारी से होने वाले नुकसान बहुत व्यापक हैं जिसमे आम तौर पर 4% तक मोर्टेलिटी संभव है| इस बीमारी में अच्छे खासे बढ़ते हुए ब्रायलर पक्षी फार्म में जहाँ तहां मरे हुए पाए जाते हैं| पहले से उनमे बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते| इस बीमारी में पेट पानी का मिलना हमेशा ज़रूरी नहीं होता कई बार पानी बिना भरे भी अचानक से मृत्यु हो जाती है जिसे sudden death syndrome  कहते हैं| इसमें पक्षियों के मरने से तो नुक्सान होता ही है साथ साथ बढ़वार के रुकने से भी FCR काफी बढ़ जाता है|

आइये देखते हैं ऐसा क्यों होता है 

ब्रायलर मुर्गा मांस के लिए बनाया गया है इसकी मांस उत्पादन करने की अनुवांशिक क्षमता बहुत अधिक होती है| यह मुर्गे मात्र 40 दिनों में सवा दो किलो के हो जाते हैं| इसीलिए इन्हें अत्यंत अच्छी गुणवत्ता वाले दाने की आवश्यकता होती है जिसमे उर्जा और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है| इनमे मांस तो बहुत तेज़ी से बढ़ता है पर अन्य महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल (heart), फेफड़े (lungs) आदि उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ पाते जिस वजह से वे बढ़ते शरीर ऑक्सीजन आपूर्ति  नहीं कर पाते और अपनी क्षमता से अधिक कार्य करते हैं और ख़राब होने की स्थिति में पहुँच जाते हैं.

इस बात को ऐसे समझा जा सकता है की ब्रीडर्स ने मांस को तो अनुवांशिक (genetic) तरीके से बढ़ा दिया परन्तु अन्य अंगो की बढ़वार पर ध्यान नहीं दिया जिससे दिल और फेफड़े देसी मुर्गी की तरह रह गए| छोटा दिल और फेफड़े बढ़ते हुए पक्षी को पर्याप्त समर्थन नहीं दे पाते हैं|

ब्रायलर पक्षियों की ऑक्सीजन (oxygen) की ज़रूरत भी वज़न के साथ साथ बढती जाती है तो इसलिए दिल अधिक से अधिक खून को फेफड़ो में भेजने की कोशिश करता है परन्तु फेफड़ो की भी एक क्षमता होती है अधिक खून आने से फेफड़ो की धमनियां (blood vessels) सिकुड़ने लगती हैं और रक्त चाप (blood pressure) बहुत बढ़ जाता है इसकी वजह से कुछ पानी खून से फेफड़ो में रिसने (leak) लगता है|

जब फेफड़ो में खून का बहाव कम होता है तो दिल और तेज़ी से साथ धड़कना (increase heart rate) शुरू कर देता है साथ साथ अधिक बल लगाकर खून को फेफड़ो में धक्का देता है| इसकी वजह से दिल के अकार में वृद्धि होने लगती है जिसे Right Ventricular Hypertrophy कहते हैं|

जब दिल से खून के जाने पर रोक लगने लगती है तो दिल लीवर और अन्य अंगो से आने वाले खून को ग्रहण करने में भी अक्षम हो जाता है| खून का दबाव लीवर से आने वाली वेना केवा (vena ceva) पर पड़ता है और खून लीवर में जमा होने लगता है| अत्यधिक दबाव पड़ने से लीवर की शिराएं (vessels) ढीली पड़ जाती हैं और खून में से प्लाज़्मा (द्रव्य) बहार आने लगता यह द्रव्य पेट में जमा होने लगता है जिससे पेट बड़ा होने लगता है और अंत में गुब्बारे की तरह फूल जाता है|

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तो यहाँ ये बात ध्यान देने योग्य है की Ascites मुख्यत ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बीमारी है और यह कमी वातावरण की ऑक्सीजन की कमी से नहीं होती बल्कि दिल और फेफड़ो की सिमित क्षमता के कारण होती है| यदि किसी तरह शरीर की ऑक्सीजन डिमांड को कम कर दिया जाये तो दिल पर अधिक जोर पड़ने से रोका जा सकता है साथ ही साथ कुछ ऐसी दवाइयां मुर्गे को दी जानी चाहिए जिससे उसके दिल की कार्य क्षमता को बढ़ाकर Ascites से होने वाली मोर्टेलिटी (mortality) को कम किया जा सके|

Ascites के बहारी और पोस्ट मोर्टेम लक्षण (Clinical Symptoms & Postmortem Lesions)

• अचानक मौत (Sudden Death)
• नीली खाल और कलगी (Cyanosis)
• अधिकतर मुर्गियां पीठ के बल पड़ी मिलती हैं (Dead on back)
• साँस में से गर्ग्लिंग की आवाज़ आती है (Gurgling sound)
• मृत्युदर नर (male broiler) ब्रायलर में अधिक होती है (कुछ कंपनिया अधिक ग्रोथ रेट बता कर नर ब्रायलर आम चूज़े को अधिक दाम में बेचती हैं, यदि आप ऐसे ग्रहाक हैं तो उचित सावधनिया बरते)
• मृत्युदर 3 हफ्ते से अधिक आयु के मुर्गो में अधिक देखने को मिलती है
• यदि फीड में माइकोटोक्सिन (mycotoxins) हो तो वो एसईटिस को बढ़ावा देते हैं
• बढ़ा हुआ पेट – पक्षी पेंगविन (penguin) की तरह दिखता है
• मुह खोल के साँस लेना (panting) (ठण्ड के मौसम में भी)
• फेफड़ो में पानी भरा होना (interstitial edema in lungs)
• फेफड़ो में अत्यधिक खून का मिलना'(congestion/hyperemia in lungs)
• पेट में पीला गाढ़े रंग का पानी होता है (straw color yellow fluid in abdominal cavity)
• दिल का अकार नार्मल से 25 से 35% तक बढ़ा हुआ मिलता है (Ventricular hypertrophy)

सुक्षम अघात  (Microscopic Lesions)

लीवर की कोशिकाएं मरने लगती हैं और अन्दर मौजूद साइनस बड़े हो जाते हैं  (necrosis of hepatocytes and dilatation of sinusoids) , बहारी आवरण पर एक रेशेदार परत जम जाती है  (fibrosis of the capsule) . बाद के चरणों में लीवर के अन्दर का माद्दा भी बढ़ जाता  है  (proliferation of the interstitial stroma). दिल की कोशिकाओं में भी अध्पतन शुरू हो जाता है (Degeneration of myocardial fibers), कोशिकाओं के बीच में पानी जमा होने लगता है और कोलेजन टिश्यू का विस्तार होने लगता है और खून बहार आने से हिमोरेज दिखने लगता है  interstitial edema and proliferation of connective tissue with focal hemorrhages and infiltration of heterophils are observed. फेफड़ो में खून का जमा होना (lungs are hyperemic and edematous and collapse of the atria and air capillaries are observed)

ASCITES के कारक

• खून का गाढ़ापन (viscosity) बढ़ जाता है जिससे उसका रक्त शिराओं (blood vessels) में प्रवाह धीमा हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और खून से पानी बहार आने लगता है

• फेफड़ो में खून जमने की वजह से शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) जमा होने लगती है जिससे खून में तेज़ाबियत (metabolic acidosis) हो जाती है, इसकी वजह हीमोग्लोबिन (hemoglobin) की ऑक्सीजन से जुड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन का अभाव और बढ़ जाता है|

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• Anatomical inefficiency of broiler’s lungs: मुर्गियों के फेफड़े इंसानों की तरह छाती में खुले नहीं रहते बल्कि छाती से चिपके रहते हैं और फिक्स होते हैं| इसकी वजह से मुर्गियां छाती फुला कर साँस नहीं ले पाती और खून में ऑक्सीजन स्तनधारियो की बनिज्बत अभाव रहता है इसीलिए पक्षियों में वायु कोष (air sacs) होते हैं जो हवा का निरंतर बहाव बना कर रखते हैं परन्तु ASCITES में यह प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं हो पाती जिससे खून का पर्याप्त ओक्सीजिनेशन नहीं हो पाता|

• An ultrastructural comparison between lungs of domestic fowl with lungs of the jungle fowl demonstrated differences in thickness of the blood-gas barrier, influencing the relative exchange surface; therefore any stressful condition can result in an inability of the cardiorespiratory system to meet oxygen demand.

• ब्रायलर मुर्गियों का दिल भी छोटा होता है जो ठीक से खून की सप्लाई नहीं कर पाता|

• Pellet feed भी Ascites को बढ़ाने में सहायक होता है क्यूंकि ये शरीर में अधिक उर्जा पहुंचता है जिससे metabolize करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है|

• High Altitude ऊँचाई पर (जैसे पहाड़ी इलाको में) Ascites के केसेस में व्यापक वृद्धि देखि जाती है क्यूंकि वहां ऑक्सीजन का दबाव कम होता है और खून का Oxygenation बहुत कम हो पाता, फेफेडो में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और फिर खून से पानी बहार आने लगता है|

• कुछ अध्यनो में ये देखने को मिला है की जो चूज़े अन्डो से देर में बहार आते हैं उनमे Ascites के चांस काफी बढ़ जाते है, ऐसा तब होता है जब अन्डो की हैचिंग कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में की जाती है|

• दाने में अधिक क्लोराइड कंटेंट खून की तेज़ाबियत को बढाता है जिससे फिर खून के ओक्सीजिनेशन में बाधा होती है और Ascites सम्भावना बढ़ जाती है

• विटामिन डी, कैल्शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी भी Ascites को बढ़ावा देती है|

• शरीर में एंटीओक्सीडेन्ट्स की कमी के चलते ओक्सीडेटिव स्ट्रेस बढती है और उससे खून की ऑक्सीजन ले जाने वाली कोशिकाएं कमज़ोर हो जाती है टूटने लगती हैं और फिर से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है|

• ठण्ड के मौसम में Ascites के केस बढ़ जाते है उसका कारण भी ऑक्सीजन की कमी ही होती है क्यूंकि ठन्डे मौसम में पक्षी गरम रहने के लिए अतिरिक्त दाना खाता है जिसको पचाने और शरीर में सम्मिल्लित करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है

मोटे तौर पर ये समझना होगा की जो भी कारक शरीर में ऑक्सीजन की कमी करता है वो Ascites को (कम या ज्यादा) बढ़ावा ज़रूर देता है|

इस प्रकार से Ascites ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बीमारी है|


Ascites से बचने के उपाय

परन्तु पोल्ट्री किसान हर वजह को तो समझ नहीं सकते और बचाव नहीं कर सकते इसलिए नीचे इन कारको को हमने इनकी त्रिवता के हिसाब से रखा है यदि किसान सिर्फ दो तीन बातो का भी ख्याल रखे तो Ascites से बचा जा सकता है| 

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1. पक्षी की अनुवांशिकता (genetics of birds) – वैसे तो अनुवांशिक तौर पर सभी ब्रीड के पक्षी Ascites के लिए रिस्क पर होते पर यदि किसी ब्रीड में यह अधिक देखने को मिले तो उसे न खरीदें
2. यदि फार्म में Ascites के केस दिखने लगें तो फीड को तुरंत कम कर दें (या फीडिंग नीचे दी गयी सारणी के अनुसार करें)
3. जैसा की हम जानते हैं की यदि हैचरी में अन्डो को सेते समय ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं रहती तो जो बच्चे पैदा होते हैं उनमे (3 से 4 हफ्ते की आयु पर) Ascites होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है तो आप ऐसे ब्रीडर्स से चिक्स न लें जिनका रिकॉर्ड ख़राब हो
4. रौशनी के समय को कम कर दें जैसे 6 घंटे अँधेरा रखे और 18 रौशनी
5. Ascites की समस्या देखते की दाने (फीड) में नमक कम कर दें
6. पानी में विटामिन C और सोडा बाईकार्बोनेट (NaHCO3) का प्रयोग करें, प्रत्येक 50Kg मुर्गियों पर 500mg विटामिन C और 5g सोडा दें
7. Loop diuretics जैसे furosemide (lasix) का उपयोग सोच समझकर या बिलकुल आखिरी कंडीशान में करना चाहिए क्यूंकि इससे FCR पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वेट लीटर (wet litter) की दिक्कत आती है जिससे अमोनिया बढ़ जाती है और फिर वही ऑक्सीजन की कमी का चक्र शुरू होता है| यदि lasix इस्तेमाल ही करनी हो तो 1 टेबलेट प्रति 70Kg वज़न पर देनी चाहिए|
8. यदि खुद की फीड मिल हो और पेलेट इस्तेमाल करते हैं तो उसकी जगह मेश फीड इस्तेमाल करें
9. हर्बल एंटीओक्सीडेन्ट्स (herbal antioxidants) के बहुत अच्छे रिजल्ट्स देखने को मिलते हैं हालाँकि मार्किट में Ascites के निवारण के लिए कोई प्रोडक्ट नहीं मिलता पर मैंने हाल ही में हर्बल एंटीओक्सीडेन्ट्स युक्त एक प्रोडक्ट देखा है जो शरीर में पोटैशियम का पॉजिटिव बैलेंस बनाकर शरीर में खून को पतला करता है और metabolic acidosis को भी ख़त्म करता है, Ascites के केसेस में इसके अच्छे रिजल्ट्स हैं|
10. सर्दियों में शेड का तापमान न गिरने दें पर साथ साथ वेंटीलेशन भी पर्याप्त रखें इसके लिए चाहे परदे गिरा कर रखें परन्तु Exaust Fan लगाकर गन्दी हवा और अमोनिया बहार निकालते रहे|
11. गर्मियों के मौसम में पानी में  डिस्प्रिन भी दे सकते हैं, 1 डिस्प्रिन प्रति 60Kg वज़न

फीडिंग की सारणी (Feeding Schedule) 

यह सारणी रिसर्च द्वारा बनायीं गयी है और इन्हें अपनाने से FCR पर कोई असर नहीं पड़ता परन्तु Ascites के कारण होने वाली मृत्यु में बहुत कमी आ जाती है| इनमे से एक शेड्युल अपनाया जा सकता है|

1. शुरू के 21 दिन केवल आठ घंटे फीडिंग कराएं उसके बाद फुल फीडिंग कर दें
2. पहले हफ्ते में फुल फीडिंग करें उसके बाद 3 हफ्ते दिन में आठ घंटे फीडिंग करें फिर आखिर के 2 हफ्ते फुल फीडिंग करें

यदि आपके फार्म में Ascites की दिक्कत आती है तो आप निशुल्क निम्न जानकारी के साथ whatsapp नंबर पर संपर्क कर सकते हैं|

 

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