भेड़, ऊंट, घोड़ों की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण पर किए कार्य पर डॉ. मेहता को फैलोशिप सम्मानबीकानेर, 13 फरवरी,पशुधन प्रहरी नेटवर्क।राजस्थान में बीकानेर स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. एस.सी.मेहता (Dr S C Mehta) को उनके द्वारा भेड़, ऊंट एवं घोड़ों की स्वदेशी नस्लों के संरक्षण पर किए गए कार्य के आधार पर फैलोशिप सम्मान प्रदान किया गया है। डॉ. मेहता ने गुरुवार को बताया कि विश्व में पाई जानेवाली 21 उष्ट्र नस्लों का माइक्रोसैटेलाइट पद्धति से चरित्रण किया है साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल पर बनाए गए सिमन एवं सोमेटिक सेल बैंक को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने 100 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किए हैं एवं 40 से अधिक विद्यार्थियों का स्नातकोत्तर अनुसंधान के लिए मार्गदर्शन किया है। इस देश में ऊंट को दुग्ध उत्पादन क्षमता के लिए चयन करने का कार्य उन्होंने उष्ट्र अनुसंधान केंद्र प्रारंभ किया। उन्होंने पशुधन उत्पादकता बढ़ाने के लिए आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए की आणविक जेनेटिक्स लैब में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में काम किया है। उष्ट्र संरक्षण पर उनका कार्यक्रम ‘ऊंटां री बातां’ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा एक ‘सक्सेस स्टोरी’ के रूप में प्रकाशित किया गया एवं उनके प्रयासों को लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स द्वारा राष्ट्रीय रिकॉर्ड के रूप में मान्यता दी गई। डॉ मेहता केन्द्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर एवं राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार के प्रबंधन समिति के सदस्य भी रहे हैं। मेहता को ‘सोसाईटी फोर कंजरवेशन ऑफ डोमेस्टिक एनीमल बायोडाईवरसीटी’ की तरफ से ‘फेलो’ सम्मान प्रदान किया गया।उक्त सम्मान सोसाईटी के 17 वें नेशनल सिम्पोजियम के अवसर पर पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान महविद्यालय, महु, मध्यप्रदेश में डॉ एस पी एस अहलावत, पूर्व कुलपति, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जेन एवं आई वी आर आई, इज्ज़त नगर द्वारा डॉ ए ई निवसरकर, पूर्व निदेशक, राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल, डॉ आर एस गाँधी, सहायक महानिदेशक, नईदिल्ली एवं अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में बुधवार को प्रदान किया गया है।
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