मत्स्य पालन के लिए नए तालाब का निर्माण
परिचय
मीठा जल में मछली पालन के लिए तालाब एक उपयुक्त जल संसाधन है | विभिन्न योजनाओं से / अपने खर्च पर मत्स्य कृषकों द्वारा नए तालाब का निर्माण कराया जा रहा है | नए तालाब के निर्माण हेतु मत्स्य कृषक को विभिन्न पहलुओं पर जानकारी होना आवशयक है ताकि तालाब में अपेक्षित मात्रा में जल का भंडारण किया जा सके एवं सालों भर मछली पालन हेतु पानी उपलब्ध हो सके |
सामान्यत: तालाब निर्माण हेतु निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवशयक है : –
तालाब के निर्माण हेतु ऐसी भूमि का चयन किया गया तो प्राकृतिक रूप से गहरी को ताकि आसपास के क्षेत्र के वर्षाजल के संग्रहण में सुगमता हो |
भूमि की मिटटी चिकनी/दोमट/ लोम किस्म की हो |
तालाब तक पहुंचने का मार्ग सुगम हो |
मिटटी न ज्यादा अम्लीय हो न ज्यादा क्षारीय हो |
तालाब समूह में बनाना अच्छा होता है |
तालाब के मिटटी की पहचान
नए तालाब निर्माण के पहले मिटटी की जाँच आवश्यक है | मिटटी की जाँच प्रयोगशाला में करायी जा सकती है | साथ-ही-साथ मत्स्य कृषक अपने स्तर से भी मिटटी की जाँच कर सकते हैं | जिसकी सरल विधि निम्नलिखित है :-
जहां तालाब बनाना है उस स्थान पर 3 x 3 फीट के क्षेत्र में तीन से पाँच फीट का गड्ढा बना कर मिटटी निकाले |
उस मिटटी को पाने में गीला कर 3 इंच व्यास का गोला बनाएं एवं 3-4 फीट तक हवा में उछाले | यदि होला टूट जाए तो मिटटी तलाब बनाने के उपयुक्त नहीं हैं, यदि गोला नहीं टूटे तो तालाब के लिए उपयुक्त है |
मिटटी का गोला (3 इंच व्यास) बनाकर उसे बेलनाकार घुमा कर 5-6 इंच तक लंबा करे यदि नहीं टूटे तो यह स्थान तालाब के लिए उपयुक्त है |
तालाब का आकार-प्रकार
साधारणत: आयताकार तालाब ज्यादा उपयुक्त माना जाता है | लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 1:2 – 3 होना ज्यादा उपयुक्त माना जाता है |
उपलब्ध जमीन का 70 से 75 प्रतिशत भाग ही तालाब के निर्माण हेतु अर्थात जलक्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है, शेष 25-30 % तालाब के बाँध में चला जाता है | अर्थात एक एकड़ के तालाब के निर्माण हेतु लगभग 1.35 से 1.40 एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है |
तालाब की लंबाई पूरब से पश्चिम दिशा में रखा जाना बेहतर है | इस प्रकार के तालाब में हवा के बहाव के कारण में अधिक हलचल होती है फलस्वरूप घुलित आक्सीजन की मात्रा अधिक रहती है |
तालाब की औसत गहराई : तालाब की औसत गहराई उतनी होनी चाहिए जहां सूर्य की रोशनी पहुंच सके | जहां पानी का साधन हो वहां तालाब की गहराई से 4-6 फीट रखी जा सकती है | यदि तालाब वर्षा पर आधारित ही वहां तालाब की गहराई 8 से 10 फीट तक रखी जा सकती है |
तालाब की संरचना
तालाब के जलक्षेत्र की मापी के बाद चारों तरफ 5’ से 7’ फीट जमीन वर्म के रूप में छोडकर बाँध बनाया जाय जिससे बाँध की मिटटी को क्षरण होकर तालाब में जाने से रोका जा सके |
तालाब की खड़ी खुदाई नहीं करनी चाहिए | तालाब का किनारा ढलवां होना चाहिए | तालाब का ढालना 1:1.5 या 1:2 (ऊंचाई : आधार) रखा जाना चाहिये |
तालाब का बाँध निर्माण
बाँध इतना मजबूत होना चाहिये कि वह पानी के दबाव को सह सके तथा तालाब से पानी के रिसाव को भी रोक सके | बाँध निर्माण हेतु निम्नलिखित बातें आवश्यक है –
पेड़-पौधों को जड़ सहित हटा दें |
तालाब निर्माण प्रारंभ करने के पूर्व भूमि की उस जगह जहां मिटटी की खुदाई होती है, वर्म का स्थान एवं बाँध का निर्माण स्थल को चिन्हित कर लेना आवशयक है | बाँध तैयार करने हेतु चिन्हित स्थल से घास / जंगली पौधों को हटा कर ट्रैक्टर या हल से जुताई करने के बाद ही वहां पर मिटटी डालने का काम किया जाए, इससे बाँध मजबूत बनेगा और उससे पानी के रिसाव की संभावना नहीं रहेगी |
जिस तरफ पानी का रिसाव हो उधर का बाँध ज्यादा चौड़ा एवं मजबूत बनाना चाहिए |
बाँध पर तह दर मिटटी डालनी चाहिये तथा उसे दबाते रहना चाहिये |
शिखर की चौड़ाई के अनुरूप बाँध के दोनों ओर ढलान रखना आवशयक है यदि बाँध की उंचाई 4-5 फीट हो, तो शिखर की चौड़ाई भी कम से कम 4-5 फीट रखनी चाहिये तथा अन्दर का ढ़लान 1:1.5 रखना चाहिये | यदि बाँध पर वाहन भी चलना है तो शिखर की चौड़ाई 8-10 फीट रखी जा सकती है |
तालाब से पानी का रिसाव रोकने के लिए बाँध के अन्दर चिकनी मिटटी का परत / भित्ति का निर्माण किया जा सकता है |
पानी का प्रवेश तथा निकास द्वार
पानी प्रवेश द्वार रचना की आवश्यकता तालाब में पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए होती है एवं इसके माध्यम से तालाब में पानी भरा जा सकता है | इसे बाँध के आधार के समकक्ष उंचाई पर ही बनाना चाहिए |
जिस प्रकार प्राकृतिक ढ़लान हो उधर ही पानी का निकास द्वार बनाना चाहिये | निकास द्वार का निर्माण तालाब से जल निकासी की आवश्यकता को देखते हुए प्रवेश द्वार के नीचे के स्तर में बनाना चाहिए |
तालाब संरचना की देख-रेख
तालाब का देख-रेख करते रहना चाहिए एवं समय-समय पर बाँध की मरम्मती करते रहना चाहिए | चूहें आदि के द्वारा बनाए गए बिल को बंद करते रहना चाहिए |
कॉमन कार्प मछली के कारण बाँध क्षतिग्रस्त हो जाता है, ऐसी स्थिति में मरम्मत आवश्यकता है | बांधों पर दूब / घास लगाने से क्षति हो रोका जा सकता है |
स्त्रोत: मत्स्य निदेशालय, राँची, झारखण्ड सरकार