राष्ट्रीय गोकुल मिशन
28 जुलाई 2014 को केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन ने स्वदेशी गायों को संरक्षित करने और नस्लों के विकास को वैज्ञानिक विधि द्वारा प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय गोकुल मिशन की स्थापना की ।
ये मिशन राष्ट्रीय पशु प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम ( एन पी बी डी डी ) पर केंद्रित परियोजन है ।
भारत में 199 मिलियन पशु पाए जातें हैं जिसमें से166 मिलियन पशु देशी नस्ल के हैं ।
लेकिन कुछ वर्षों से क्रोस _ ब्रिडिंग का चलन बढ़ रहा है जिससे स्वदेशी नस्लों को खतरा हो रहा है ।
अतः देशी नस्ल की गायों के संरक्षण और नस्ल सुधार के लिए यह तरीका अपनाया गया है ।
मिशन का उद्देश्य
- स्वदेशी नस्लों का विकास और उनका सरक्षंण ।
2. दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना ।
3. नस्ल सुधार कार्यक्रम प्रारम्भ करना ।
4. पशुओं में आनुवंशिकी सुधार तथा संख्या में वृद्धि।
5. नॉन- डिस्क्रिप्टिव पशुओं का गिर , साहिवाल , राठी , देउनी , थारपारकर ,रेड सिंधी और अन्य कुलीन स्वदेशी नस्लों के जरिये उन्नयन ( अपग्रेड)
करना ।
6. प्राकृतिक सेवाओं के लिए उच्च अनुवांशिक योग्यता वाले सांडो का वितरण ।
– इस मिशन के तहत पशुओं की नस्ल को उन्नत करके उनके वंश की बढ़ोतरी की जाती है जिससे दुग्ध उत्पादन को बढ़ाया जाए व उच्च अनुवांशिकता वाले सांड मिल सके ।
– इस मिशन के अंतर्गत गाँवो में समन्वित पशु केंद्र बनाएं गए हैं जिसे गोकुल ग्राम कहा गया है ।
– एक गोकुल ग्राम में 1000 पशु रखने की क्षमता होती है ।
– गोकुल ग्राम को महानगरों व शहरों के निकट स्थापित किया गया है ।
– गोकुल ग्राम को रोगमुक्त रखने के लिए पशुओं की नियमित जाँच की जाती है तथा एक डिस्पेंसरी भी होती है ।
– पशुओं के पोषण से संबंधित आवश्यकता को पूरा करने के लिए चार उत्पादन भी होता है ।
इस प्रकार देश में दूसरी श्वेत क्रांति लाने के लिऐ सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन की स्थापना की ।